Road Accident: तेज रफ़्तार कार का शिकार बना मैकेनिक, मौत के बाद हिरासत में वाहन चालक Bihar Crime News: सुपौल में 21 वर्षीय की रॉड से पिटाई, फिर सिर काटकर नदी में फेंका Bihar Ias Officer: बिहार में PM मोदी की जनसभा को लेकर 5 आईएएस अफसरों की लगी ड्यूटी...आज से ही सभी को मोतिहारी भेजा गया, लिस्ट देखें... Bihar Teacher News: बिहार में फिर से बड़े पैमाने पर 'शिक्षकों' की होगी बहाली...जल्द होगी TRE 4 परीक्षा, CM नीतीश ने दिया आदेश Patna News: गांधी मैदान थाना के SHO सस्पेंड, लापरवाही और नाकामी की मिली सजा Patna Police: पटना का एक 'थानेदार' सस्पेंड, गोपाल खेमका मर्डर मामले में पाई गई थी लापरवाही, SSP की रिपोर्ट पर आईजी ने किया निलंबित Bihar News: मां भगवती मंदिर में चेन स्नैचिंग की कोशिश, दो महिलाएं गिरफ्तार Road Accident: सड़क हादसे में बाइक सवार की मौत, 2 की हालत गंभीर Bihar News: पटना में इन 2 जगहों पर बनेंगे मदर स्टेशन, CNG की किल्लत से मिलेगा छुटकारा Bihar News: बिहार में हर किसान को दिए जाएंगे ₹6000, करना है बस इतना सा काम
1st Bihar Published by: RANJAN Updated Sat, 05 Jul 2025 10:34:09 PM IST
स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही - फ़ोटो REPOTER
ROHTAS: बिहार के सासाराम से स्वास्थ्य विभाग की एक चौंकाने वाली लापरवाही सामने आई है। जहां एक ओर प्रदेशभर में मरीजों को समय पर एंबुलेंस नहीं मिल पाता है वही, दूसरी ओर सासाराम के सदर अस्पताल में एंबुलेंस का इस्तेमाल मरीजों की सेवा के बजाय अस्पताल का सामान ढोने के लिए किया जा रहा है।
मामला सदर अस्पताल के ट्रामा सेंटर का है, जहां एक सरकारी एंबुलेंस को अस्पताल के सामान की ढुलाई में इस्तेमाल किया गया। घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने इसका वीडियो और तस्वीरें रिकॉर्ड कीं, जिसमें साफ देखा जा सकता है कि एंबुलेंस के पिछले हिस्से से विभिन्न वस्तुएं उतारी जा रही हैं।
स्वास्थ्यकर्मी ने दिए चौंकाने वाले बयान
जब अस्पताल के एक स्वास्थ्यकर्मी जितेंद्र कुमार से इस विषय पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि "यह काम वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर किया जा रहा है।" इस बयान ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर और भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सवाल यह है कि क्या उच्च अधिकारी सच में मरीजों के लिए आरक्षित आपातकालीन सेवा वाहनों का इस्तेमाल सामान ढोने के लिए कर सकते हैं?
बिहार के कई जिलों से लगातार यह शिकायतें मिल रही हैं कि गंभीर रूप से बीमार मरीजों को समय पर एंबुलेंस नहीं मिल पा रही है। परिणामस्वरूप, कई बार मरीजों की जान भी चली जाती है। ऐसे में, जब जनता को यह पता चलता है कि अस्पतालों में उपलब्ध एंबुलेंस को मरीजों की जगह सामान ढोने में लगाया जा रहा है, तो लोगों का आक्रोश और अविश्वास बढ़ना स्वाभाविक है।
स्थानीय निवासी संजय कुमार, जो अस्पताल में मौजूद थे, उनका कहना था कि "हमें तो लगता है कि सरकार और अस्पताल प्रशासन की नजर में मरीज की जान की कोई कीमत नहीं है। अगर यही हाल रहा, तो कोई भी सरकारी अस्पताल पर भरोसा नहीं करेगा।"
इस पूरे मामले को लेकर अब तक स्वास्थ्य विभाग के किसी अधिकारी या अस्पताल अधीक्षक की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, सोशल मीडिया पर यह मामला वायरल हो गया है और लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर मरीजों की जान से इतना बड़ा खिलवाड़ कब तक जारी रहेगा?
स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े सामाजिक संगठनों और आम नागरिकों ने इस घटना पर नाराजगी जताई है और मांग की है कि संबंधित अधिकारियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई हो। लोगों का कहना है कि एंबुलेंस जैसी जरूरी सेवाओं का दुरुपयोग पूरी तरह से असंवैधानिक और अमानवीय है।