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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 08 Aug 2025 06:00:45 PM IST
रक्षाबंधन का त्योहार - फ़ोटो GOOGLE
PURNEA: रक्षाबंधन केवल एक पारंपरिक पर्व नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति में निहित उन मूल्यों का प्रतीक है जो सामाजिक सौहार्द, आत्मीयता, समर्पण और उत्तरदायित्व को उजागर करते हैं। यह पर्व मात्र भाई-बहन के रिश्ते का उत्सव नहीं, बल्कि रक्षा, सम्मान और विश्वास के सार्वभौमिक भाव को प्रकट करने का एक सुंदर माध्यम भी है। इसी भावना को केंद्र में रखते हुए जी. डी. गोयनका पब्लिक स्कूल, पूर्णिया के छात्र-छात्राओं ने इस वर्ष रक्षाबंधन को केवल पारिवारिक नहीं, बल्कि सामाजिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी सार्थक रूप में मनाया। विद्यालय द्वारा आयोजित इस विशेष पहल में, विद्यार्थियों ने दो समूहों में विभाजित होकर पूर्णिया एवं कटिहार के विभिन्न प्रशासनिक पदाधिकारियों से भेंट की और उन्हें राखियाँ बाँधते हुए अपने स्नेह, आभार और कर्तव्यबोध का भाव प्रकट किया।
पूर्णिया में छात्रों ने पुलिस उपमहानिरीक्षक (IG) प्रमोद कुमार मंडल, जिलाधिकारी श्री अंशुल कुमार, पुलिस अधीक्षक सुश्री स्वीटी सहरावत, डीएसपी एवं एसडीपीओ पूर्णिया सदर श्री कौशल बाबू, प्रमंडलीय आयुक्त के सचिव श्री अवधेश कुमार आनंद से आत्मीयता के साथ भेंट की। बच्चों ने सभी अधिकारियों को प्रेमपूर्वक राखियाँ बाँधीं, मिठाइयाँ भेंट कीं और उनके उत्कृष्ट नेतृत्व, निःस्वार्थ सेवा एवं सुरक्षा के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। वहीं कटिहार में विद्यार्थियों ने जिलाधिकारी मनेश कुमार मीणा और पुलिस अधीक्षक शिखर चौधरी को राखी बाँधकर उनके प्रति अपनी कृतज्ञता और सम्मान प्रकट किया। यह मुलाक़ातें औपचारिक नहीं, बल्कि अत्यंत आत्मीय, संवेदनशील और प्रेरणादायक रहीं, जहाँ बच्चों ने अपने मन के भाव सरल, सच्चे शब्दों में साझा किए।
इस अभिनव और अर्थपूर्ण पहल का उद्देश्य केवल सांस्कृतिक आयोजन भर नहीं था, बल्कि इसके माध्यम से विद्यार्थियों में सामाजिक सहभागिता, संवाद कौशल, आत्मविश्वास और प्रशासनिक समझ का समग्र विकास भी हुआ। छात्रों को समाज की विभिन्न संस्थाओं—विशेषकर प्रशासन और पुलिस जैसी व्यवस्था की कार्यप्रणाली से नज़दीक से परिचित होने और संवाद स्थापित करने का अवसर मिला। इस पहल ने विद्यार्थियों को यह अनुभव कराया कि 'रक्षा' का भाव केवल निजी और पारिवारिक रिश्तों तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में समाज, प्रशासन और राष्ट्र के प्रत्येक घटक के प्रति भी समर्पित होता है। इस प्रकार की गतिविधियाँ छात्रों को संवेदनशील, जागरूक, उत्तरदायी और भागीदार नागरिक के रूप में विकसित करती हैं।
इस अवसर पर उपस्थित अधिकारियों ने भी अत्यंत भावुक और प्रेरणास्पद प्रतिक्रियाएँ दीं। जिलाधिकारी श्री अंशुल कुमार ने बच्चों के प्रयास की सराहना करते हुए कहा, “यह पहल हमारी सांस्कृतिक विरासत को जीवंत करती है और प्रशासन तथा भावी पीढ़ी के बीच संवाद और विश्वास का एक सशक्त सेतु बनाती है।” पुलिस अधीक्षक सुश्री स्वीटी सहरावत ने इसे “नवाचारपूर्ण, सृजनात्मक और हृदयस्पर्शी” बताते हुए कहा, “हम अपने परिवार से दूर हैं, लेकिन आप सभी ने हमें अपनेपन और परिवार जैसे स्नेह का एहसास दिलाया। जब आप सब कल त्योहार मनाएंगे, तब हम छुट्टी के दिन भी अपनी ड्यूटी पर तैनात रहेंगे—पूरे समर्पण और सेवा भाव के साथ।” इसी प्रकार, कटिहार के जिलाधिकारी श्री मनेश कुमार मीणा ने भी इसे “सामाजिक समरसता को प्रोत्साहित करने वाला प्रयास” बताया। कहा कि “ऐसी पहलें समाज में परस्पर सम्मान, सहयोग और विश्वास की भावना को और अधिक मजबूत करती हैं।”
विद्यालय प्रबंधन का दृढ़ विश्वास है कि इस प्रकार की गतिविधियाँ विद्यार्थियों को पाठ्यपुस्तकों की सीमाओं से परे वास्तविक जीवन की जटिलताओं, सामाजिक संरचनाओं और नागरिक उत्तरदायित्व से जोड़ती हैं, जहाँ वे जीवन मूल्यों, कर्तव्यों और भावनात्मक बौद्धिक विकास की बारीकियों को गहराई से समझते हैं। रक्षाबंधन जैसे पर्व के माध्यम से छात्रों ने यह आत्मसात किया कि ‘रक्षा’ का अर्थ केवल भाई-बहन के रिश्ते तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक सामाजिक भावना है जो समाज, राष्ट्र और मानवता के प्रति कर्तव्यनिष्ठ भाव को दर्शाती है। इस संपूर्ण आयोजन की गरिमा, भावनात्मकता और शिक्षाप्रदता ने न केवल बच्चों के मन-मस्तिष्क पर अमिट प्रभाव छोड़ा, बल्कि विद्यालय समुदाय को यह प्रेरणा दी कि पर्वों को केवल उत्सव के रूप में नहीं, बल्कि जीवन-मूल्यों से जोड़कर सामाजिक परिवर्तन और सकारात्मक चेतना का माध्यम बनाया जा सकता है। यह आयोजन निश्चित रूप से विद्यालय के शैक्षिक दृष्टिकोण, सामाजिक प्रतिबद्धता और नवाचारपूर्ण सोच का एक उत्कृष्ट उदाहरण बनकर सामने आया।