Prashant Kishor : बिहार विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद पीके और प्रियंका की सीक्रेट मीटिंग, नई अटकलें तेज

प्रशांत किशोर ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से बिहार और यूपी की राजनीति पर दो घंटे लंबी बैठक की। पीके और कांग्रेस के रिश्तों में नई हलचल शुरू।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 15 Dec 2025 02:20:20 PM IST

Prashant Kishor : बिहार विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद पीके और प्रियंका की सीक्रेट मीटिंग, नई अटकलें तेज

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Prashant Kishor : बिहार विधानसभा चुनाव में जन सूरज पार्टी के असफल प्रदर्शन के बाद चुनाव रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर (पीके) फिर से राजनीतिक चर्चाओं में लौट आए हैं। अब पीके ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से एक बंद कमरे में लगभग दो घंटे तक बैठक की। बैठक में दोनों ने उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे उत्तर भारतीय राज्यों के राजनीतिक परिदृश्य पर चर्चा की। हालांकि दोनों पक्षों ने इसे सिर्फ शिष्टाचार भेंट बताकर राजनीतिक अटकलों को खारिज करने की कोशिश की, लेकिन यह मुलाकात राजनीतिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।


बीते कुछ वर्षों में प्रशांत किशोर और कांग्रेस के रिश्ते में खटास रही है। 2021 में जद(यू) से निष्कासित होने के बाद पीके ने कांग्रेस को पुनर्जीवित करने का प्रस्ताव दिया था। इसके तहत 2022 में उन्होंने कांग्रेस आलाकमान से बातचीत की और अप्रैल 2022 में सोनिया गांधी के 10 जनपथ निवास पर राहुल और प्रियंका गांधी सहित शीर्ष नेतृत्व के सामने पीपीटी प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया। उस समय कांग्रेस ने उनकी बातों पर विचार करने के लिए पैनल गठित किया और ‘एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप’ बनाने का निर्णय लिया, जिसमें उन्हें शामिल होने का न्योता दिया गया।


लेकिन प्रशांत किशोर ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। उनका कहना था कि वे सिर्फ सदस्य बनकर शामिल नहीं होना चाहते, बल्कि उन्हें अधिक अधिकार और स्वतंत्रता मिलनी चाहिए थी ताकि वे पार्टी में संरचनात्मक सुधार ला सकें। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और जी-23 समूह के सदस्यों को भी किसी बाहरी व्यक्ति के मार्गदर्शन में पार्टी में बदलाव करने पर भरोसा नहीं था। कांग्रेस ने बयान जारी करते हुए कहा कि पीके के प्रस्ताव और प्रयासों की सराहना की जाती है, लेकिन उन्होंने पार्टी में शामिल होने से इनकार किया। प्रशांत किशोर ने भी बयान जारी किया कि पार्टी को उनके से अधिक नेतृत्व और सामूहिक इच्छाशक्ति की जरूरत है ताकि संगठनात्मक समस्याओं को सुधार जा सके।


इसके बाद से पीके ने कांग्रेस की आलोचना जारी रखी। बिहार चुनाव के दौरान उन्होंने राहुल गांधी द्वारा उठाए गए 'वोट चोरी' और 'मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण' (SIR) जैसे मुद्दों को चुनावी दृष्टि से अप्रासंगिक बताया। चुनाव परिणामों ने उनके दृष्टिकोण को सही साबित किया, जब कांग्रेस 61 सीटों में केवल 6 सीटें जीत पाई।


प्रशांत किशोर की अपनी जन सूरज पार्टी ने भी बिहार में 238 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। 236 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई और पार्टी का खाता तक नहीं खुल पाया। इस पर स्थिति स्पष्ट है कि पीके की रणनीतिक सलाह चुनाव में प्रभावी तो साबित हुई, लेकिन उनकी राजनीतिक पकड़ अभी मजबूत नहीं हो पाई है।


प्रियंका गांधी के साथ हालिया बैठक को लेकर राजनीतिक हलकों में अटकलें तेज हैं। विशेषज्ञ इसे कांग्रेस और पीके के बीच नए राजनीतिक समीकरण की दिशा में पहला कदम मान रहे हैं। हालांकि अभी दोनों पक्ष इसे सिर्फ औपचारिक मुलाकात कहकर खारिज कर रहे हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि प्रशांत किशोर के अनुभव और रणनीतिक कौशल से कांग्रेस के लिए उत्तर भारतीय राज्यों में स्थिति बदलने की संभावना अभी भी बनी हुई है।


बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में आगामी राजनीतिक घटनाक्रम में पीके की भूमिका अहम हो सकती है। यह देखना रोचक होगा कि क्या कांग्रेस उनके सुझावों को पुनः अपनाएगी या प्रशांत किशोर अपनी रणनीतिक दृष्टि के तहत नई राजनीतिक राह अपनाएंगे। फिलहाल, यह मुलाकात एक नई राजनीतिक चर्चा की शुरुआत के रूप में देखी जा रही है, जो अगले चुनावी परिदृश्य को प्रभावित कर सकती है।