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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 03 Apr 2025 08:10:14 AM IST
patliputra university - फ़ोटो FILE PHOTO
patliputra university : पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी में वीसी और रजिस्ट्रार के बीच हुआ विवाद ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा है। अब इस मामले में सूबे के पुलिस कप्तान यानी डीजीपी को भी लेटर लिख दिया गया है। इसके बाद अब इसको लेकर काफी चर्चा की जा रही है की आखिर यह विवाद का मूल कारण क्या है। ऐसे में हम आपको इस मामले की ताजा अपडेट दे देते हैं।
जानकारी के मुताबिक, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के वीसी प्रो. शरद यादव और रजिस्ट्रार प्रो. एनके झा के बीच विवाद गहरता जा रहा है। अब रजिस्ट्रार प्रो. झा के आरोप के बाद वीसी प्रो. शरद कुमार यादव ने पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र के माध्यम से बताया है कि 29 मार्च को सिंडिकेट की बैठक हुई थी। जिसमें प्रो. झा छह बजे तक विश्वविद्यालय में थे। बैठक समाप्त होने के बाद यह बोलकर गए कि घर से होकर आता हूं। आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
वीसी ने कहा कि, मैं अपने कमरे में बैठकर इंतजार करता रहा, पर कुलसचिव नहीं आए। उनका मोबाइल बंद पाया। प्रोफेसरों की प्रोन्नति और 2025-26 का बजट अनुमोदन सहित अन्य निर्णयों की अधिसूचना संचिकाओं पर कुलसचिव का हस्ताक्षर किया जाना था। कुलसचिव का मोबाइल बंद पाकर विश्वविद्यालय कर्मचारी गोपाल सिंह, मनोज चौधरी एवं योगेन्द्र सिंह उनके आवास पर गए थे कि संचिका में उनका हस्ताक्षर आवश्यक है। प्रो. नागेन्द्र कुमार झा, कुलसचिव ने दुर्भावना से प्रेरित हो मेरे खिलाफ आरोप लगाया है।
इसके आगे वीसी ने कहा कि कुलपति ने कहा कि यदि उनको यह अंदेशा हुआ कि असामाजिक तत्व के लोग मेरी गाड़ी से उनके आवास पर गए हैं तो तुरन्त उन्हें बहादुरपुर थाना अथवा डायल 112 को सूचना देनी चाहिए थी। किन्तु तीन दिनों के बाद मनगढ़ंत कहानी रचकर विश्वविद्यालय की छवि को धूमिल करने के लिए यह सबकुछ किया गया। इसकी जांच निष्पक्ष तरीके से की जानी चाहिए। कुलसचिव पर कानूनी कार्रवाई हो।
इधर, कुलसचिव प्रो. झा ने भी राजभवन को पत्र लिखा है। मामले की जांच करने का अनुरोध किया है। जबकि, पाटलिपुत्र विवि के कुलसचिव प्रो. एनके झा के विरोध में बुधवार को छात्रों ने हंगामा किया। इससे कामकाज भी प्रभावित रहा। आंदोलन की शुरुआत कॉलेज ऑफ कॉमर्स से हुई। छात्रों ने आरोप लगाया कि कुलसचिव हमलोगों से मुलाकात नहीं करते हैं। आंदोलन में छात्र रंजन, राहुल, गौतम विरासत, आदित्य, राजन झा, आनंद, आदि शामिल थे।