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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 23 Nov 2025 09:31:29 AM IST
बिहार न्यूज - फ़ोटो GOOGLE
Bihar News: बिहार में लंबे समय से चल रहे वैवाहिक जीवन में अचानक सामने आए पति के अवैध संबंधों की शिकायतें बढ़ रही हैं। शादी के 20-25 वर्षों बाद भी कई महिलाएं अपने पतियों के किसी अन्य महिला के साथ संबंध होने की खबर से परेशान होकर बिहार राज्य महिला आयोग पहुंच रही हैं। महिला आयोग इन मामलों को गंभीरता से लेते हुए पीड़िता और उनके पति दोनों से बातचीत कर काउंसिलिंग का प्रयास कर रहा है।
महिला आयोग में हर दिन औसतन 10 से 12 मामले दर्ज हो रहे हैं, जिनमें से चार से पांच मामले सीधे पति के अवैध संबंधों से जुड़े हैं। आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे मामले केवल शहरी क्षेत्रों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं भी इस समस्या के चलते आयोग की शरण ले रही हैं। विवाह के लंबी अवधि के बावजूद रिश्तों में दरार आना महिलाओं के लिए मानसिक और सामाजिक तनाव का कारण बन रहा है।
जानकारी के मुताबिक, सिपारा, पटना की रहने वाली सोनी कुमारी (नाम बदल कर) की शादी को 10 साल हो चुके थे। पिछले तीन वर्षों से उनके पति का किसी अन्य महिला के साथ संबंध चल रहा था। सोनी कुमारी की शिकायत पर महिला आयोग ने उनके पति को दो बार नोटिस जारी कर काउंसिलिंग के लिए बुलाया, लेकिन कई बार नोटिस के बावजूद पति उपस्थित नहीं हुए। इसी प्रकार, दानापुर की पिंकी कुमारी ने महिला आयोग में शिकायत दर्ज कराई कि उनके पति पिछले दो वर्षों से किसी अन्य महिला के साथ संबंध में हैं। शादी को 20 वर्ष से अधिक हो चुके हैं और उनके बच्चे भी बड़े हो चुके हैं। महिला आयोग ने उनके पति को बुलाकर समझाइश दी और काउंसिलिंग की प्रक्रिया शुरू की।
बिहार राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष अप्सरा देवी ने बताया कि पिछले कई महीनों से पति के अवैध संबंधों की शिकायतें बढ़ी हैं। आयोग इन मामलों को गंभीरता से लेते हुए शिकायतकर्ता और उनके पतियों को बुलाकर काउंसिलिंग करता है। इसके लिए कभी-कभी स्थानीय पुलिस की मदद भी ली जाती है, क्योंकि कई पति बार-बार बुलाने के बावजूद उपस्थित नहीं होते। अप्सरा देवी ने कहा कि काउंसिलिंग का असर कुछ मामलों में सकारात्मक दिखाई दे रहा है। कई पतियों के बिगड़े रिश्ते सुधर गए हैं और विवाह संबंध फिर से मजबूत हो रहे हैं। हालांकि, कुछ मामले ऐसे भी हैं जहाँ पति सहयोग नहीं कर रहे, और ऐसे मामलों में आयोग महिला सुरक्षा और कानूनी कार्रवाई के विकल्प तलाशता है।
विवाह में विश्वासघात की घटनाएं न केवल मनोवैज्ञानिक तनाव बढ़ाती हैं, बल्कि परिवार और बच्चों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। महिलाएं अक्सर मानसिक रूप से परेशान हो जाती हैं और उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा पर भी असर पड़ता है। महिला आयोग इन मामलों में सिर्फ मध्यस्थता और काउंसिलिंग ही नहीं करता, बल्कि पीड़िताओं को कानूनी और मानसिक सहारा भी प्रदान करता है।
कई मामलों में, विवाह के लंबी अवधि के बावजूद पति के अवैध संबंध का पता लगने के बाद महिलाएं अकेली पड़ने के डर और सामाजिक शर्मिंदगी के कारण सीधे न्यायालय नहीं जातीं। ऐसे समय में महिला आयोग उनके लिए सुरक्षित और भरोसेमंद मंच बन जाता है। आयोग की काउंसिलिंग प्रक्रिया में दूसरे पक्ष को बुलाना, समझाइश देना और मध्यस्थता करना शामिल है।
जब पति बार-बार बुलाने के बावजूद उपस्थित नहीं होते, तो महिला आयोग स्थानीय पुलिस की मदद लेता है। पुलिस की सहायता से पति को नोटिस दिए जाते हैं और काउंसिलिंग के लिए मजबूर किया जाता है। इसके अलावा, महिलाओं की सुरक्षा और कानूनी अधिकारों की जानकारी भी प्रदान की जाती है। बिहार राज्य महिला आयोग का प्रयास है कि पति के अवैध संबंधों के मामलों में जल्दी समाधान निकाला जाए, ताकि महिलाएं मानसिक और सामाजिक रूप से सुरक्षित रहें। शादी के लंबी अवधि में भी रिश्तों में दरारें पैदा हो सकती हैं, लेकिन आयोग की काउंसिलिंग और मध्यस्थता से कई परिवारों में पुनर्मिलन और समझदारी बढ़ रही है। महिला आयोग की यह पहल न केवल महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए है, बल्कि समाज में समानता, सम्मान और पारिवारिक स्थिरता को बढ़ावा देने का भी काम कर रही है।