1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 17 Dec 2025 01:27:51 PM IST
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Bihar Midday meal : जमुई जिले के बरहट प्रखंड अंतर्गत कन्या मध्य विद्यालय मलयपुर में छात्राओं को दिए जाने वाले मध्यान भोजन की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठे हैं। मंगलवार को जब छात्राओं की थाली में मात्र दो टुकड़े सोयाबीन, नाममात्र आलू और पानी से भरी सब्जी परोसी गई, तो उनका रोष झलक गया। इस घटना ने विद्यालय में मध्यान भोजन की व्यवस्थाओं की पोल खोल दी। छात्राओं का आरोप है कि स्कूल में भोजन का स्तर बेहद खराब है। कभी चावल में कीड़े, कंकड़ या शीशा मिल जाता है, तो कभी जला हुआ या अधपका चावल परोसा जाता है। दाल और सब्जी अधिकतर पानी से भरी होती हैं, जिससे उनका सेवन मुश्किल हो जाता है।
छात्राओं का कहना है कि प्रधानाध्यापक उत्तम कुमार तिवारी अपने लिए पहले दाल और सब्जी अलग कर लेते हैं और बाकी में पानी मिलवा दिया जाता है। मेनू के अनुसार भोजन कभी नहीं मिलता। छात्राओं ने यह भी बताया कि तीन दिनों तक लगभग 300 बच्चों का भोजन मात्र एक लीटर सरसों के तेल से तैयार किया जाता है। सब्जी में सिर्फ आधा किलो प्याज और नाममात्र मसाले डाले जाते हैं, जिससे खाना खाने योग्य नहीं रहता। कई बार छात्राओं को मजबूरी में भोजन फेंकना पड़ता है। शिकायत करने पर प्रधानाध्यापक द्वारा छात्रों को डांट दिया जाता है और जेब से खर्च करने की बात कह दी जाती है।
मामले को लेकर प्रधानाध्यापक उत्तम कुमार तिवारी ने रसोइया पर मध्यान भोजन की सामग्री गायब करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि आवश्यक सामग्री दी जाती है, लेकिन रसोइया उसे बचाकर अपने साथ ले जाती है। वहीं रसोइया का कहना है कि दिए गए तेल, मसाला और अन्य सामग्री में कटौती की जाती है। जितना सामान दिया जाता है, उसी अनुसार भोजन बनाया जाता है। इसके अलावा, समय पर गैस सिलेंडर उपलब्ध न कराए जाने के कारण लकड़ी के चूल्हे पर 300 बच्चों के लिए चावल बनाना कठिन हो जाता है।
प्रधानाध्यापक के डर और डांट-फटकार के कारण छात्राओं ने जागरण प्रतिनिधि के समक्ष एक पत्र लिखकर अपनी समस्याएं बताईं। पत्र में केवल मध्यान भोजन ही नहीं, बल्कि विद्यालय की अन्य गंभीर समस्याओं का भी जिक्र किया गया। छात्राओं ने बताया कि विद्यालय में शौचालयों की कमी है और जो शौचालय हैं वे गंदगी से भरे हैं। पीने के पानी की व्यवस्था भी दयनीय है। आठवीं कक्षा के कमरे की छत पर रखी पानी की टंकी से लगातार पानी टपकता रहता है, और पीने के लिए लगा नल खराब है, जिस पर काई जमी रहती है। इससे गिरने का खतरा बना रहता है। विद्यालय में लगाया गया वाटर फिल्टर कई वर्षों से खराब पड़ा है।
छात्राओं ने पत्र में कहा कि लगातार समस्याओं के बावजूद उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने शिक्षा विभाग से तत्काल कदम उठाने और विद्यालय में गुणवत्ता पूर्ण मध्यान भोजन और स्वच्छता सुनिश्चित करने की मांग की है।
बरहट प्रखंड के बीडीओ श्रवण कुमार पांडेय ने इस मामले पर कहा, “मामले की जानकारी हमें नहीं थी। हम विद्यालय का औचक निरीक्षण करेंगे और छात्राओं से प्रत्यक्ष जानकारी लेंगे। संबंधित विभाग को पत्र लिखकर विद्यालय की समस्याओं के समाधान की पहल की जाएगी।”
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि विद्यालय में मध्यान भोजन की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण पर गंभीर असर डाल सकता है। 300 से अधिक छात्राओं के लिए भोजन की पर्याप्त मात्रा, पौष्टिक सामग्री और स्वच्छता सुनिश्चित करना अनिवार्य है।
मध्याह्न भोजन योजना का उद्देश्य बच्चों के पोषण स्तर को सुधारना और शिक्षा के प्रति उनकी रुचि बढ़ाना है, लेकिन मलयपुर विद्यालय में इसका पूरी तरह उल्लंघन देखा गया है। छात्राओं ने स्पष्ट रूप से कहा कि स्कूल प्रशासन की उदासीनता के कारण उन्हें रोजाना घटिया भोजन का सामना करना पड़ता है।
अभिभावकों और स्थानीय समाज के सदस्य भी इस मुद्दे पर नाराजगी जताते हुए शिक्षा विभाग से त्वरित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। बरहट के कन्या विद्यालय मलयपुर में मध्यान भोजन की घटिया गुणवत्ता, स्कूल की गंदगी और पीने के पानी की खराब व्यवस्था ने एक बार फिर शिक्षा और पोषण के बीच खाई को उजागर किया है। इस मामले की जांच और सुधार के लिए प्रशासनिक कदम उठाना अब अनिवार्य हो गया है।