Bihar Police Transfer: बिहार के इस जिले में 19 पुलिस अधिकारियों का तबादला, 4 नए थानाध्यक्षों की तैनाती Bihar Police Transfer: बिहार के इस जिले में 19 पुलिस अधिकारियों का तबादला, 4 नए थानाध्यक्षों की तैनाती SSC EXAM : नॉर्मलाइजेशन के तरीके में हुआ बड़ा बदलाव, शिफ्ट बदलने पर भी नहीं होगा मार्क्स में अंतर BPSC Prelims 2025: 13 सितंबर को होगी BPSC 71वीं PT परीक्षा, आयोग ने जारी किया नोटिस; सेंटर जाने से पहले पढ़ लें यह खबर CP Radhakrishnan: सीपी राधाकृष्णन ने राज्यपाल पद से दिया इस्तीफा, इन्हें मिली महाराष्ट्र के गवर्नर की जिम्मेवारी CP Radhakrishnan: सीपी राधाकृष्णन ने राज्यपाल पद से दिया इस्तीफा, इन्हें मिली महाराष्ट्र के गवर्नर की जिम्मेवारी नेपाल में अंतरिम पीएम की चर्चा: Gen-Z ने इंजीनियर कुल मान घिसिंग का नाम आगे बढ़ाया, बालेन शाह और सुशीला कार्की को किया खारिज प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार को दिया दो बड़ा तोहफा, सिक्स लेन रोड और रेल दोहरीकरण योजना का किया ऐलान: दिलीप जायसवाल Bihar News: बिहार के भ्रष्ट इंजीनियर विनोद राय के समस्तीपुर स्थित आवास पर EOU की रेड, चप्पे-चप्पे की ली जा रही तलाशी Bihar Crime News: नेपाल में हिंसा के बीच भारत में अवैध घुसपैठ की कोशिश, बार्डर से पांच विदेशी नागरिक गिरफ्तार
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 10 Apr 2025 07:15:34 PM IST
बिहार न्यूज़ - फ़ोटो GOOGLE
Bihar News: फार्मासिस्ट कोर्स करने वालो के लिए यह अहम खबर है। दरअसल, फार्मासिस्ट की बहाली को लेकर लंबे समय से चल रहे विवाद पर पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) ने बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि बिहार सरकार द्वारा तय की गई न्यूनतम योग्यता यानी "डिप्लोमा इन फार्मेसी (डी. फार्मा)" ही फार्मासिस्ट पद के लिए मान्य योग्यता रहेगी। यह फैसला कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश आशुतोष कुमार और न्यायाधीश पार्थ सारथी की खंडपीठ ने बी. फार्मा और एम. फार्मा डिग्रीधारियों द्वारा दायर कई याचिकाओं को निष्पादित करते हुए सुनाया गया है।
वहीं, याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि बी. फार्मा/एम.फार्मा, डी. फार्मा से उच्च योग्यता है और उन्हें आवेदन से वंचित करना अनुचित है, लेकिन अदालत ने माना कि डिग्री और डिप्लोमा कोर्स की प्रकृति, उद्देश्य और कार्यक्षेत्र अलग हैं। बता दें कि डी. फार्मा पाठ्यक्रम खास तौर पर सरकारी अस्पतालों व दवा वितरण में उपयोग के लिए तैयार किया गया है, जबकि बी. फार्मा/एम.फार्मा का पाठ्यक्रम औद्योगिक और अनुसंधान क्षेत्र पर होता है।
अदालत ने राज्य सरकार द्वारा जारी नियमों को संविधान सम्मत मानते हुए खारिज किया कि जब तक नियमों में बदलाव नहीं होता। बी. फार्मा/एम.फार्मा धारकों को सिर्फ उसी स्थिति में पात्र माना जाएगा साथ ही जब वे डी. फार्मा की न्यूनतम योग्यता भी रखते हों। वहीं, फैसले में यह भी स्पष्ट किया गया है कि फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के 2015 के रेगुलेशन में दोनों योग्यता यानि डी. फार्मा/बी. फार्मा को मान्यता दी गई है, लेकिन राज्य सरकार को अपने पदों की प्रकृति के अनुसार योग्यता तय करने का अधिकार है, इसलिए सिर्फ डी. फार्मा को ही मान्य किया जाएग।
वहीं, कोर्ट के इस निर्णय के बाद हजारों बी. फार्मा/एम.फार्मा डिग्रीधारी अभ्यर्थियों को बड़ा झटका लगा है, लेकिन डी. फार्मा की डिग्री धारकों के लिए यह एक बड़ी राहत साबित हुई है। अब पटना हाई कोर्ट के फैसले पर बी. फार्मा/एम.फार्मा डिग्रीधारी अभ्यर्थियों का क्या प्रतिक्रिया होती है? यह बड़ी बात हो सकती है। बिहार में फार्मासिस्ट पद के लिए केवल डी. फार्मा (Diploma in Pharmacy) ही मान्य न्यूनतम योग्यता मानी जाएगी। कोर्ट ने बी. फार्मा और एम. फार्मा डिग्रीधारियों की याचिकाएं खारिज करते हुए कहा कि दोनों कोर्स का उद्देश्य और कार्यक्षेत्र अलग है।