1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 17 Sep 2025 10:32:18 AM IST
Bihar Land Survey - फ़ोटो FILE PHOTO
Bihar Land Survey: बिहार में इस समय व्यापक स्तर पर भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया चल रही है। राज्य सरकार ने इस अभियान को सुचारू रूप से आगे बढ़ाने और आम जनता को राहत देने के लिए एक अहम फैसला लिया है। अक्सर देखा जाता है कि भूमि मालिकों को अपने अधिकार सिद्ध करने में कठिनाई होती है, क्योंकि पुराने ज़माने के काग़ज़ात या तो सुरक्षित नहीं रह पाते या फिर समय के साथ फट जाते हैं, दीमक से नष्ट हो जाते हैं या जलकर समाप्त हो जाते हैं। इस वजह से लोग सर्वे की प्रक्रिया में हिस्सा लेने से वंचित हो जाते थे। लेकिन अब सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि दस्तावेज़ों की कमी के बावजूद किसी भी भू-मालिक को सर्वेक्षण प्रक्रिया से बाहर नहीं किया जाएगा।
राज्य सरकार ने साफ़ कहा है कि यदि खतियान, रसीद, दाखिल-खारिज, वंशावली जैसे ज़रूरी दस्तावेज़ फट गए हों, नष्ट हो गए हों या उपलब्ध न हों, तो भी परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। ऐसे मामलों में भूमि मालिकों को केवल उपलब्ध दस्तावेज़ों के साथ एक स्वघोषणा पत्र (Self Declaration) प्रस्तुत करना होगा। इस स्वघोषणा पत्र में ज़मीन के स्वामित्व और कब्ज़े की जानकारी लिखकर जमा करनी होगी। इसके बाद, सर्वे के दौरान शेष दस्तावेज़ धीरे-धीरे उपलब्ध कराए जा सकते हैं। यानी प्रक्रिया अब किसी भी स्थिति में बाधित नहीं होगी।
भूमि मालिकों की सुविधा को देखते हुए सरकार ने 15 तरह के वैकल्पिक दस्तावेज़ मान्य करने का फ़ैसला किया है। इसका मतलब है कि यदि पारंपरिक या पुराने दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं हैं, तो इन वैकल्पिक काग़ज़ात की मदद से भी स्वामित्व का दावा सिद्ध किया जा सकता है। विभाग जल्द ही इन वैकल्पिक दस्तावेज़ों की सूची ज़ारी करेगा, ताकि लोग अपनी सुविधा के अनुसार दस्तावेज़ प्रस्तुत कर सकें।
सरकार ने यह भी घोषणा की है कि जिन लोगों के पास किसी ज़मीन पर 50 साल या उससे अधिक समय से कब्ज़ा है और उस ज़मीन को लेकर कोई विवाद नहीं है, उनका नाम सीधे भूमि सर्वेक्षण में दर्ज कर लिया जाएगा। इस स्थिति में दस्तावेज़ों की उपलब्धता बाधा नहीं बनेगी। यह कदम उन ग्रामीण और शहरी परिवारों के लिए बड़ी राहत है जो पीढ़ियों से एक ही ज़मीन पर रह रहे हैं लेकिन जिनके पास पुराने काग़ज़ात अब नहीं बचे हैं।
राज्य सरकार ने आश्वासन दिया है कि किसी भी भूमि मालिक को दस्तावेज़ की कमी के कारण परेशान नहीं होना पड़ेगा। मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार स्वयं ज़रूरी दस्तावेज़ उपलब्ध कराने में मदद करेगी और विकल्प भी देगी। इसके लिए संबंधित विभाग को दिशा-निर्देश दिए जा रहे हैं। सर्वेक्षण टीम हर संभव सहायता करेगी, ताकि किसी भी व्यक्ति का अधिकार छूट न जाए।
भूमि सर्वेक्षण का मकसद राज्य में ज़मीन से जुड़े विवादों को कम करना और ज़मीन मालिकों की सही पहचान दर्ज करना है। सरकार चाहती है कि हर नागरिक को अपनी ज़मीन का स्पष्ट और अद्यतन रिकॉर्ड मिले। इसके लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाया जा रहा है। अब कोई भी भूमि मालिक केवल उपलब्ध काग़ज़ात और स्वघोषणा पत्र देकर प्रक्रिया में भाग ले सकता है। बाक़ी दस्तावेज़ धीरे-धीरे समय के साथ जोड़े जा सकते हैं।
इधर, इस फैसले के बाद लाखों भूमि मालिकों को राहत मिलने की उम्मीद है। पहले जहां दस्तावेज़ों की कमी या जटिलता के कारण लोग अपने हक से वंचित रह जाते थे, वहीं अब यह डर समाप्त हो जाएगा। सरकार ने स्पष्ट संदेश दिया है कि किसी भी परिस्थिति में ज़मीन मालिक को उसके अधिकार से वंचित नहीं किया जाएगा।