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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 29 May 2025 03:58:37 PM IST
बिहार न्यूज - फ़ोटो GOOGLE
Bihar News: बिहार में जमीन के दाखिल-खारिज को लेकर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की शिकायतें लगातार सामने आती रही हैं, लेकिन मुजफ्फरपुर जिले से एक चौंकाने वाला और शर्मनाक मामला सामने आया है। यहां के मुशहरी अंचल के सीओ (अंचलाधिकारी) महेंद्र शुक्ला और राजस्व कर्मचारी अनुज कुमार पर एक महिला ने गंभीर आरोप लगाए हैं। पीड़िता काजल कुमारी ने आरोप लगाया है कि एक डिसमिल ज़मीन के दाखिल-खारिज के मामले में न केवल फर्जी कागज़ातों के आधार पर गड़बड़ी की गई, बल्कि उससे सीओ द्वारा अकेले में मिलने का दबाव भी बनाया गया।
इस गंभीर मामले में सीजेएम कोर्ट के आदेश पर दोनों आरोपितों के खिलाफ सदर थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। सदर थानाध्यक्ष अस्मित कुमार ने बताया कि कोर्ट से आदेश मिलने के बाद दरोगा राकेश कुमार को इस मामले का जांच अधिकारी (IO) नियुक्त किया गया है। उन्होंने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए हर पहलू की जांच की जा रही है, और आरोपियों से भी जल्द पूछताछ की जाएगी।
पीड़िता काजल कुमारी, जो कि खबड़ा गांव निवासी मुकेश शर्मा की पत्नी हैं, ने सीजेएम कोर्ट में परिवाद दायर किया था। आरोप है कि जब उन्होंने खबड़ा गांव में खरीदी गई ज़मीन का दाखिल-खारिज कराने के लिए आवेदन दिया, तो उसका मामला जानबूझ कर पेंडिंग रखा गया। आरोप के अनुसार, हल्का कर्मचारी उनके आवास पर पहुंचा और कहा कि दाखिल-खारिज तभी संभव है जब वह सीओ से अकेले में मिलेंगी। ऐसा न करने पर आवेदन को रिजेक्ट कर देने की धमकी दी गई।
इतना ही नहीं, एफआईआर में यह भी कहा गया है कि फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर उसी जमीन को किसी और के नाम दाखिल-खारिज कर दिया गया। यह न केवल कानून का उल्लंघन है बल्कि नारी गरिमा और भूमि अधिकारों पर सीधा हमला है। वर्तमान में सीओ महेंद्र शुक्ला का मोबाइल फोन बंद बताया जा रहा है और वे पुलिस के संपर्क में नहीं हैं।
थानाध्यक्ष ने कहा कि सभी पक्षों से पूछताछ कर मामले में साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। प्रारंभिक जांच के बाद भ्रष्टाचार, महिला उत्पीड़न और फर्जीवाड़े से संबंधित धाराएं भी जोड़ी जा सकती हैं। यह मामला बिहार में भूमि प्रशासन की व्यवस्था और सरकारी कर्मियों की जवाबदेही पर एक बार फिर सवाल खड़े करता है। महिला के साथ हुए व्यवहार और भ्रष्टाचार की प्रकृति को देखते हुए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा भी इस मामले में आंतरिक जांच शुरू किए जाने की मांग उठ रही है।