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Bihar News: डीएम और जनप्रतिधिनियों ने नहीं सुनी फरियाद, 300 ग्रामीणों ने सड़क बनाने का उठा लिया बीड़ा

एक ओर बिहार में सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है तो वही मुंगेर में जर्जर सड़क से परेशान लोग अपने श्रमदान से रोड बनाने में लग गये। ग्रामीणों ने खुद सड़क बनाने का बीड़ा उठा लिया और हाथ में कुल्हाड़ी और कड़ाही लेकर निकल पड़े।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 14 Feb 2025 03:29:32 PM IST

BIHAR

श्रमदान से सड़क का निर्माण - फ़ोटो GOOGLE

Bihar News: जब डीएम और जनप्रतिनिधियों ने फरियाद नहीं सुनी तब मुंगेर के ग्रामीणों ने खुद सड़क बनाने का बीड़ा उठा लिया। गांव के करीब 300 लोगों ने अपने श्रमदान से ऊबड़ खाबड़ जर्जर सड़क को बनाने के लिए खुद कमान थाम लिया। ग्रामीणों ने ऐसा कदम इसलिए उठाया क्योंकि यहां आए दिन एक्सीडेंट हो रहा था और सड़क हादसे के बाद गाड़ी नदी में गिर जाती थी। 


जिसके बाद ग्रामीणों की मदद से काफी मशक्कत के बाद गाड़ी को बाहर निकाला जाता था। ग्रामीणों का कहना है कि मुंगेर के तत्कालीन डीएम नवीन कुमार एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए यहां आए हुए थे तब उन्हें भी इस समस्या की जानकारी दी गयी थी लेकिन उनके द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गयी। ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों से भी अपनी फरियाद लगाई थी लेकिन उन्होंने भी एक ना सुनी। 


बिहार सरकार सड़कों के निर्माण और पुल पुलिया बनाने पर लगातार काम कर रही है। राज्य सरकार के द्वारा जिले के गांव-गांव तक सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। वही पहले से बने सड़कों का भी मरम्मत किया जा रहा है। लेकिन मुंगेर जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित धरहरा प्रखंड की ग्रामीण सड़कों की हालत खराब है। नक्सल प्रभावित क्षेत्र बंगलवा पंचायत के सराधी गांव के वार्ड संख्या 11 के आदिवासी बहुल्य ग्रामीण सड़क है जो मुख्य रूप से करैली और कैथवन को जोड़ता है। 


यहां कई वर्षो से सड़क का निर्माण नहीं हुआ है। जिससे इस सड़क की स्थिति काफी जर्जर हो गई। ऊबड़ खाबड़ सड़क होने के कारण यहां आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती है। कभी टोटो तो कभी ऑटो तो कभी मोटरसाइकिल हादसे के बाद नदी में गिर जाता है जिसे बहुत मुश्किल से गांव वाले निकालते हैं। इस सड़क पर बारिश के समय पैदल चलना भी मुश्किल होता है। कई वर्षों से इस सड़क का निर्माण नहीं हो पाया है। इस पर ना तो किसी अधिकारी की नजर जाती है और ना ही जनप्रतिधि ही कुछ करते हैं।


 नेता और अधिकारी ने तो इसकी सुध लेना ही छोड़ दिया। हालांकि ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ यहां के डीएम से इस संबंध में गुहार लगा चुके हैं लेकिन किसी ने इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया। थक हारकर ग्रामीणों को बड़ा फैसला लेना पड़ गया। ग्रामीणों ने खुद इस सड़क के मरम्मत का जिम्मा उठाया। करीब 300 ग्रामीणों ने मिलकर श्रमदान किया और सराधी से करैली गांव को जोड़ने वाले रास्ते को सुगम बनाया। श्रमदान में आसपास गांव के अन्य ग्रामीणों ने भी अपनी सहभागिता दिखाई। 


श्रमदान कर सड़क एवं पुलिया के आसपास मिट्टी भराई कर रास्ता को दुरुस्त किया गया। ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री शैलेश कुमार, कांग्रेस विधायक डॉ अजय कुमार सिंह एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए खोपावर गांव पहुंचे थे। इस कार्यक्रम में मुंगेर के तत्कालीन जिलाधिकारी नवीन कुमार सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं पदाधिकारी शामिल हुए थे। 


इन सभी को सराधी से करैली गांव जाने वाली सड़क एवं पुलिया की स्थिति से अवगत कराया गया लेकिन किसी के कान तक जूं नहीं रेंगा। किसी ने ग्रामीणों की इस बड़ी समस्या का समाधान नहीं निकाला और ना ही कोई पहल की। विवश होकर ग्रामीणों ने मिलकर सड़क को दुरुस्त करने का बीड़ा उठाया और सफल भी हुए। गांव के पुरुषों और महिलाओं के श्रमदान से इस ग्रामीण सड़क का कायाकल्प हुआ। यह सरकार की कुव्यवस्था और जनप्रतिनिधियों की लापरवाही को दर्शाता है। 

मुंगेर से इम्तियाज खान की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट