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Bihar Land Survey: सरकारी जमीन पर कब्जा करने वाले सावधान, शुरू हुई बड़ी कार्रवाई, 27 साल से रसीद कटाने वाले दर्जनों लोगों की जमाबंदी रद्द

Bihar Land Survey: बिहार में जमीन सर्वे के दौरान बड़े पैमाने पर सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे की जानकारी मिल रही है. सरकार ने कागजातों में हेरा फेरी कर सरकारी जमीन कब्जाने वालों पर कार्रवाई शुरू कर दी है.

1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Mon, 24 Feb 2025 12:05:00 PM IST

Bihar Land Survey

- फ़ोटो google

Bihar Land Survey: (Bihar Land News) बिहार में जमीन सर्वे करा रही सरकार ने सरकारी जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त कराने का अभियान भी साथ साथ चला रखा है. इसमें बड़े पैमाने पर सरकारी जमीन पर कब्जे की जानकारी मिल रही है. सरकारी जमीन पर कब्जे वालों की अपने नाम से जमाबंदी कराने और लगान जमा कर रहे लोगों पर गाज गिरने लगी है. 


आरा में करोड़ों की बेशकीमती जमीन की जमाबंदी रद्द

आरा सदर अंचल में करोड़ों की सरकारी जमीन पर फर्जी दस्तावेज बनाकर 27 साल से कब्जा कर बैठे लोगों की जमाबंदी रद्द कर दी गयी है. भोजपुर जिले के   एडीएम(राजस्व) ने ऐसे 12 लोगों की जमाबंदी को 27 वर्षों के बाद रद्द कर दिया है. जिस जमीन की जमाबंदी रद्द कर दी गयी है, वह करोड़ों की बेशकीमती जमीन है. लिहाजा पूरे जिले में हड़कंप मचा हुआ है. 


ये मामला आरा सदर अंचल क्षेत्र के गौसगंज से जुड़ा हुआ है. यहां पर एक एकड़ कीमती सरकारी गैर मजरूआ जमीन में बड़ा फर्जीवाड़ा किया गया था. सदर अंचल के खाता नंबर 166 खेसरा नंबर 267  की एक एकड़ जमीन को स्थानीय अंचल कर्मचारियों और पदाधिकारी की मिली भगत से साल 1998-99 में फर्जी ढंग से रजिस्ट्री करा ली गयी है.


कुल 12 लोगों ने सरकारी जमीन को निजी बता कर अपने नाम रजिस्ट्री करायी थी. निबंधन कराने के दौरान इन लोगों ने सरकारी जमीन या प्रतिबंधित खाता होने से बचने के लिए जमीन का खाता बदल दिया. लेकिन खेसरा, चौहद्दी और रकबा वही रहने दिया था. 27 साल बाद ये हेराफेरी पकड़ में आयी.


भूमि सर्वे में पकड़ा गया मामला

भूमि सर्वे के दौरान जिले की सरकारी जमीनों का हिसाब-किताब लिया जा रहा है. इस दौरान ही ये पता चला कि एक एकड़ सरकारी जमीन की बंदरबांट कर ली गयी है. उसके बाद जांच शुरू हुई तो पता चला कि जिस जमीन का सही खाता संख्या 166 खेसर 267 रकबा एक एकड़ था, उसे कागज पर खेसरा 267 रकबा लगभग एक एकड़ परंतु खाता 166 के बदले 69 और 771 दर्ज कर दिया गया था. 


इस हेराफेरी के बाद तत्कालीन अंचलाधिकारी और राजस्व कर्मचारी के मेल मिलाप से उसका दाखिल खारिज भी करवा लिया गया. दाखिल खारिज के बाद ऑनलाइन जमाबंदी भी कर ली गई. जमीन सर्वे के दौरान सरकारी जमीन पर अतिक्रमण के मामलों की सुनवाई के दौरान मौजूदा अंचलाधिकारी पल्लवी कुमारी गुप्ता ने ये हेराफेरी पकड़ी.


सीओ ने अपनी जांच में सरकारी जमीन के अतिक्रमण का मामला सही पाये जाने के बाद एडीएम (राजस्व) को इस जमाबंदी रद करने की अनुशंसा की. अंचलाधिकारी की अनुशंसा के आधार पर एडीएम ने सभी जमाबंदी को रद्द करते हुए खाता, खेसरा व रकवा फिर से अपडेट करने का निर्देश दिया है. ये भी कहा गया है कि जमीन को अवैध अतिक्रमण से मुक्त करा कर सरकारी कब्जा कायम किया जाये. 


इन लोगों ने फर्जी ढंग से कराई जमाबंदी

जिन लोगों ने सरकारी जमीन की जमाबंदी अपने नाम करायी, उनकी पहचान भी हुई है. गौसगंज की ललमुनी देवी, शकुंतला कुमारी सिंह, जानकी देवी, किरण देवी, ललिता देवी, फूल कुमारी देवी और मंजू देवी के साथ-साथ रंजीत कुमार चौधरी, दिनेश कुमार चौधरी, शंभूनाथ ओझा, शिवयोगी और हरेंद्र साह इनमें शामिल हैं. इन सभी ने अलग-अलग समय पर कीमती सरकारी जमीन का फर्जी ढंग से रजिस्ट्री कराया. फिर बगैर किसी साक्ष्य के दाखिल खारिज भी करवा लिया. इसके साथ ही अंचल कर्मियों की मिलीभगत से ऑनलाइन जमाबंदी भी कायम करवा लिया.