Bihar News: मंत्री संजय सरावगी ने मुजफ्फरपुर में की समीक्षा बैठक, अधिकारियों को दिए जरूरी निर्देश Bihar News: मंत्री संजय सरावगी ने मुजफ्फरपुर में की समीक्षा बैठक, अधिकारियों को दिए जरूरी निर्देश Bengaluru Stampede: विराट कोहली के खिलाफ थाने में शिकायत, बेंगलुरू हादसे को लेकर FIR दर्ज करने की मांग Bengaluru Stampede: विराट कोहली के खिलाफ थाने में शिकायत, बेंगलुरू हादसे को लेकर FIR दर्ज करने की मांग Buxar News: अजय सिंह के नेतृत्व में भारत प्लस इथेनॉल प्लांट की बड़ी उपलब्धि, सफलतापूर्वक विकसित किया CO2 स्टोरेज सिस्टम Buxar News: अजय सिंह के नेतृत्व में भारत प्लस इथेनॉल प्लांट की बड़ी उपलब्धि, सफलतापूर्वक विकसित किया CO2 स्टोरेज सिस्टम Bihar News: बिहार में सबसे सस्ता गोल्ड रेट और मेकिंग चार्ज लेकर आया श्री हरी ज्वेलर्स, मौका कहीं छूट न जाए Bihar News: बिहार में सबसे सस्ता गोल्ड रेट और मेकिंग चार्ज लेकर आया श्री हरी ज्वेलर्स, मौका कहीं छूट न जाए Patna News: पटना में यहां मिल रहा खादी के कपड़ों पर आकर्षक डिस्काउंट, खरीदने के लिए उमड़ रही भारी भीड़ Patna News: पटना में यहां मिल रहा खादी के कपड़ों पर आकर्षक डिस्काउंट, खरीदने के लिए उमड़ रही भारी भीड़
11-Jan-2025 08:22 PM
By First Bihar
रामलला के प्राण प्रतिष्ठा उत्सव को लेकर इस साल एक दिलचस्प सवाल उठ रहा है कि क्या यह उत्सव साल में दो बार मनाया जाएगा? दरअसल, पौष शुक्ल द्वादशी की तिथि इस साल दो बार पड़ रही है—11 जनवरी और 31 दिसंबर को। यह स्थिति अंग्रेजी और हिंदी कैलेंडर के बीच तालमेल न होने के कारण उत्पन्न हुई है। लेकिन सवाल यह है कि क्या इस पर कोई विशेष निर्णय लिया जाएगा कि उत्सव का आयोजन दोनों तिथियों पर होगा?
रामलला के प्राण प्रतिष्ठा उत्सव का महत्व
रामलला के प्राण प्रतिष्ठा उत्सव की पहली वर्षगांठ 11 जनवरी 2025 को मनाई जा रही है, जो पौष शुक्ल द्वादशी के दिन है। यही तिथि इस साल 31 दिसंबर 2024 को भी पड़ी थी। हालांकि, मंदिर के प्रमुख पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास और ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्र का कहना है कि इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया गया है और अगले साल जब पौष शुक्ल द्वादशी आएगी, तब इस पर विचार किया जाएगा।
ज्योतिषियों की राय
इस पर ज्योतिषी भी अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं। बीएचयू के प्रोफेसर विनय पांडेय का कहना है कि पौष शुक्ल द्वादशी के दिन प्राण प्रतिष्ठा उत्सव का आयोजन शास्त्रसम्मत है। उनकी मान्यता है कि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह तिथि कभी दो बार आती है, और ऐसा हर 2-3 साल में होता है। इसके पीछे चांद्र और सौर वर्षों के बीच अंतर है।
काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि एक वर्ष में यह तिथि दो बार आना स्वाभाविक है। उनके अनुसार यह स्थिति चांद्र और सौर वर्षों के तालमेल की समस्या के कारण उत्पन्न होती है।
पंचांग और तिथियों का गणित
हिंदी और अंग्रेजी कैलेंडर के बीच तालमेल न होने के कारण पौष शुक्ल द्वादशी की तिथि इस साल दो बार—11 जनवरी और 31 दिसंबर—आ रही है। यह अंतर समय के गणित में एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। अंग्रेजी कैलेंडर 365 दिनों का होता है, जबकि पंचांग चांद्र वर्ष पर आधारित है, जो केवल 354 दिनों का होता है। इस अंतर के कारण हर कुछ वर्षों में कुछ तिथियों का पुनरावृत्ति होना स्वाभाविक है।
इस दिन का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व
पौष शुक्ल द्वादशी का दिन विशेष रूप से धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। पंडितों के अनुसार, इस दिन सूर्य उत्तरायण की दिशा में बढ़ता है और चंद्रमा अपनी पूर्णता की ओर जाता है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसे भगवान विष्णु का दिन भी माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से विष्णु अवतारों की पूजा और दान-पुण्य के कार्यों को महत्त्व दिया जाता है। इसे वैकुंठ द्वादशी भी कहा जाता है, और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन किए गए यज्ञ और शुभ कार्यों से पुण्य प्राप्त होता है।
रामलला के प्राण प्रतिष्ठा उत्सव का आयोजन पौष शुक्ल द्वादशी पर विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, और इस बार यह तिथि दो बार आ रही है—11 जनवरी और 31 दिसंबर। हालांकि, इस मुद्दे पर मंदिर प्रशासन ने कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया है कि साल में दो बार उत्सव मनाया जाएगा या नहीं। इसे लेकर अगले साल जब वही तिथि आएगी, तब विचार किया जाएगा। लेकिन एक बात स्पष्ट है कि यह तिथि और उत्सव का महत्व धार्मिक, ज्योतिषीय और कैलेंडर गणना के कारण हमेशा उच्च रहेगा।