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Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष में किस तिथि को किसका होगा पिंडदान, जान लें... पूरी डिटेल

Pitru Paksha 2025: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व होता है। इस वर्ष की श्राद्ध तिथियों का विवरण ऐसे है, जिन्हें जानकर श्रद्धालु अपने पितरों का उचित समय पर श्राद्ध कर सकते हैं-

Pitru Paksha 2025

24-Aug-2025 01:46 PM

By First Bihar

Pitru Paksha 2025: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व होता है। यह वह अवधि होती है जब श्रद्धालु अपने मृत पूर्वजों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण तथा दान पुण्य करते हैं। इस वर्ष पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर 2025 से हो रही है और यह 21 सितंबर 2025 को सर्वपितृ अमावस्या पर समाप्त होगा। इस अवधि को पितरों को सम्मान और श्रद्धांजलि अर्पित करने का पवित्र समय माना जाता है।


पितृ पक्ष लगभग 15 से 16 दिनों तक चलता है, जो भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान हमारे पूर्वज धरती लोक पर आते हैं और अपने वंश से अन्न, जल और सम्मान की अपेक्षा करते हैं। इन्हें प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध और तर्पण जैसे अनुष्ठान किए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि पूर्वजों की प्रसन्नता से परिवार में सुख-शांति, समृद्धि, स्वास्थ्य और कल्याण आता है।


पितृ पक्ष के दौरान, विशेष रूप से गया, हरिद्वार, वाराणसी जैसे पवित्र तीर्थ स्थलों पर श्रद्धालु जाकर पिंडदान और तर्पण करते हैं। पितरों की मृत्यु तिथि ज्ञात होने पर श्राद्ध उसी तिथि पर किया जाता है, जबकि यदि मृत्यु तिथि ज्ञात न हो तो सर्वपितृ अमावस्या को श्राद्ध किया जाता है, जिसे सार्वभौमिक श्राद्ध भी कहा जाता है।


इस वर्ष की श्राद्ध तिथियों का विवरण ऐसे है, जिन्हें जानकर श्रद्धालु अपने पितरों का उचित समय पर श्राद्ध कर सकते हैं-


पूर्णिमा श्राद्ध – रविवार, 7 सितंबर 2025

प्रतिपदा श्राद्ध – सोमवार, 8 सितंबर 2025

द्वितीया श्राद्ध – मंगलवार, 9 सितंबर 2025

तृतीया और चतुर्थी श्राद्ध – बुधवार, 10 सितंबर 2025

पंचमी श्राद्ध / महा भरणी – गुरुवार, 11 सितंबर 2025

षष्ठी श्राद्ध – शुक्रवार, 12 सितंबर 2025

सप्तमी श्राद्ध – शनिवार, 13 सितंबर 2025

अष्टमी श्राद्ध – रविवार, 14 सितंबर 2025

नवमी श्राद्ध – सोमवार, 15 सितंबर 2025

दशमी श्राद्ध – मंगलवार, 16 सितंबर 2025

एकादशी श्राद्ध – बुधवार, 17 सितंबर 2025

द्वादशी श्राद्ध – गुरुवार, 18 सितंबर 2025

त्रयोदशी / मघा श्राद्ध – शुक्रवार, 19 सितंबर 2025

चतुर्दशी श्राद्ध – शनिवार, 20 सितंबर 2025

सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध / सार्वभौमिक श्राद्ध – रविवार, 21 सितंबर 2025


पितृ पक्ष का महत्व सिर्फ पूर्वजों की आत्मा की शांति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह परिवार और समाज में एकजुटता का भी संदेश देता है। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों को याद करके उनकी सेवा और सम्मान करते हैं, जिससे पारिवारिक संबंध मजबूत होते हैं। साथ ही, श्राद्ध के माध्यम से मृतकों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है, ऐसा भी माना जाता है।


इसके अलावा, पितृ पक्ष के दौरान किए जाने वाले दान और पुण्य कर्म भी अत्यंत फलदायी माने जाते हैं। धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि इस समय किये गए दान से पितृ प्रसन्न होते हैं और वंश में समृद्धि आती है।


श्राद्ध अनुष्ठान शास्त्रों के अनुसार पवित्र तरीके से करना चाहिए। गाय, कुत्ते, ब्राह्मणों को दान करना शुभ माना जाता है। भोजन में सात्विक और सरल व्यंजन परोसे जाते हैं। अनुष्ठान के बाद तर्पण करते समय श्रद्धा और भक्ति का होना जरूरी है पितृ पक्ष और श्राद्ध के इस पावन अवसर का अधिकतम लाभ उठाएं और अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्रद्धा पूर्वक श्राद्ध करें। यह न केवल उनके प्रति सम्मान है, बल्कि आपके परिवार में सुख, शांति और समृद्धि भी लाता है।