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Mauni Amavasya 2025: मौनी अमावस्या 2025, सनातन धर्म में अद्वितीय पर्व का महत्व

सनातन धर्म में मौनी अमावस्या का विशेष महत्व है। यह पर्व आत्मसंयम, मौन व्रत और धार्मिक अनुष्ठानों का प्रतीक है। इसे माघ मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है, जब श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान कर भगवान विष्णु और पितरों की आराधना करते हैं।

Mauni Amavasya 2025

17-Jan-2025 08:00 AM

By First Bihar

Mauni Amavasya 2025: सनातन धर्म में माघ अमावस्या का विशेष स्थान है, जिसे मौनी अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन को धर्म, अध्यात्म और आत्मसंयम का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस शुभ तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान और मौन व्रत धारण करने से व्यक्ति के पूर्व जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में शुभता का संचार होता है।


मौनी अमावस्या का महत्व

मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान, जप-तप, और दान का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि इस दिन किए गए पुण्य कर्म जन्म-जन्मांतर तक फलदायी होते हैं। पितृ दोष से मुक्ति के लिए यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। साथ ही, भगवान विष्णु की पूजा कर सुख, शांति और आर्थिक समृद्धि की कामना की जाती है।


पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

2025 में माघ अमावस्या 28 जनवरी की रात 7:35 बजे से शुरू होकर 29 जनवरी की शाम 6:05 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के आधार पर 29 जनवरी को मौनी अमावस्या मनाई जाएगी। इस दिन श्रद्धालु ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान विष्णु का स्मरण करते हैं और मौन व्रत धारण करते हैं। गंगा स्नान या गंगाजल युक्त जल से स्नान कर, भगवान भास्कर और पितरों को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। पूजा के अंत में दान-पुण्य कर व्रत खोला जाता है।


मौन व्रत का महत्व

मौनी अमावस्या पर मौन व्रत आत्मसंयम और मानसिक शुद्धि का प्रतीक है। यह व्यक्ति को आत्मचिंतन का अवसर प्रदान करता है और मनोबल को सशक्त बनाता है। इस व्रत को विधिपूर्वक करने से ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।


मौनी अमावस्या अध्यात्म, आस्था, और आत्मसंयम का अद्भुत पर्व है, जो व्यक्ति को भौतिक और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है।