Bihar Government Jobs: दूसरी इंटर लेवल संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन शुरू, जान लें पूरी डिटेल Bihar Assembly Election 2025 : पहले चरण की 121 सीटों पर मैदान में 1314 उम्मीदवार, तेजस्वी यादव और NDA के दिग्गजों की होगी अग्निपरीक्षा Bihar political strategy : MY समीकरण से आगे निकले तेजस्वी ! अब 'K' कार्ड से बदलेगी महागठबंधन की किस्मत; जानिए RJD को कितना फायदा देगा यह नया समीकरण बड़हरा विधानसभा में रामबाबू सिंह का जनसंपर्क अभियान, बबुरा में दुखद मृत्यु पर जताई संवेदना Bihar News: बिहार में मिट्टी लाने गई 3 मासूमों की डूबने से मौत, गांव में पसरा मातम Bihar Assembly Election 2025 : नीतीश कुमार आज मुज़फ्फरपुर से शुरू करेंगे चुनावी प्रचार, एनडीए प्रत्याशियों के पक्ष में जनसभा Bihar News: दीपावली की खुशियों में मातम: अररिया में करंट से पिता-पुत्र की मौत, लोगों ने जमकर किया हंगामा Bihar politics : अल्लावरु कांग्रेस की डुबो रहे लुटिया ! बिहार में अपनों से ही कर रहे दगाबाजी,जानिए विधानसभा चुनाव को लेकर अंदरखाने क्या चल रही चर्चा Bihar Election 2025 : चुनाव बाद डिप्टी सीएम पद पर लोजपा (रामविलास ) करेगी दावेदारी ! बिहार चुनाव पर LJP (R) सुप्रीमो का बड़ा बयान Bihar Election 2025: तेजस्वी पर चिराग का बड़ा हमला, कहा - जब खुद के गठबंधन को नहीं रख सकते सुरक्षित तो बिहार कैसे ? राहुल से भी पूछे यह सवाल
16-Aug-2025 09:02 AM
By First Bihar
Krishna Janmashtami 2025: आज पूरे भारतवर्ष में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व श्रद्धा, आस्था और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। यह त्योहार भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्रीकृष्ण के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, और मध्यरात्रि के शुभ समय पर हुआ था। यही कारण है कि हर वर्ष इस दिन विशेष पूजा, व्रत और झांकियों के माध्यम से पूरे देश में उनका जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
इस वर्ष अष्टमी तिथि का आरंभ 15 अगस्त की रात 11:48 बजे हुआ और यह 16 अगस्त की रात 9:34 बजे तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त 2025 (शुक्रवार) को मनाया जा रहा है। इस बार यह पर्व कई शुभ संयोगों के साथ आया है, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग भी इसी दिन बन रहे हैं, जो इसे और अधिक फलदायी बनाते हैं।
भक्तगण इस दिन निर्जला व्रत रखते हैं और मध्यरात्रि के शुभ मुहूर्त में भगवान श्रीकृष्ण के बालरूप लड्डू गोपाल का पंचामृत स्नान कराकर उनका भव्य श्रृंगार करते हैं। इस वर्ष पूजा का विशेष मुहूर्त रात 12:04 बजे से 12:47 बजे तक रहेगा। इसी दौरान भगवान का प्राकट्य (जन्म) कराकर कीर्तन, भजन और आरती की जाती है।
जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिनमें शालिग्राम, लड्डू गोपाल, राधा-कृष्ण और बंसीधर प्रमुख हैं। मूर्ति का चुनाव मनोकामना के अनुसार किया जाता है— प्रेम-संबंधों की सफलता हेतु राधा-कृष्ण, संतान प्राप्ति हेतु बाल गोपाल, और समस्त इच्छाओं की पूर्ति हेतु बंसीधर स्वरूप को स्थापित किया जाता है।
भगवान के श्रृंगार में ताजे और सुगंधित फूलों का विशेष महत्व होता है। लड्डू गोपाल को पीले वस्त्र पहनाए जाते हैं और माथे पर गोपी चंदन तथा चंदन का तिलक लगाया जाता है। श्रृंगार के उपरांत भक्तगण उन्हें आईना दिखाकर उनकी सुंदरता का दर्शन कराते हैं। इस दिन कृष्ण को वैजयंती के फूल, माखन-मिश्री, मेवे, और पारंपरिक धनिये की पंजीरी का भोग अर्पित किया जाता है। पूजा और अभिषेक के लिए पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) में तुलसी डालना शुभ माना जाता है।
व्रत के नियमों में सात्विक आहार, संयम और पवित्रता अनिवार्य मानी जाती है। व्रती को दिनभर जल तक नहीं ग्रहण करना चाहिए, हालांकि कुछ विशेष परिस्थितियों में फलाहार की अनुमति होती है। मध्यरात्रि में खीरे से बाल गोपाल के जन्म की प्रतीकात्मक परंपरा निभाई जाती है और उसके बाद मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराया जाता है।
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने हेतु विशेष मंत्रों और स्तुतियों का पाठ भी किया जाता है। भक्त "हरे कृष्ण, हरे राम" महामंत्र का जप करते हैं। इसके अलावा "मधुराष्टक", "गोपाल सहस्त्रनाम", और श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ भी किया जाता है। यह न केवल आत्मिक शांति देता है, बल्कि जीवन में प्रेम, समृद्धि और सफलता का मार्ग भी प्रशस्त करता है।
मथुरा, वृंदावन, द्वारका, इस्कॉन मंदिरों और देशभर के प्रमुख तीर्थस्थलों पर आज विशेष आयोजन किए जा रहे हैं। भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। मंदिरों में भव्य झांकियां, पालना उत्सव, रासलीला और दही-हांडी कार्यक्रमों के साथ यह पर्व एक उत्सव में परिवर्तित हो चुका है।
इस प्रकार, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी न केवल धार्मिक आस्था का पर्व है, बल्कि यह जीवन में धर्म, प्रेम, नीति और भक्ति के संदेश का प्रतीक भी है। यह हमें यह सिखाता है कि संकट चाहे जितने भी बड़े हों, अगर भक्ति सच्ची हो तो भगवान सदैव साथ होते हैं।