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12-May-2025 11:09 AM
By First Bihar
Rahul Gandhi Bihar visit: कांग्रेस नेता राहुल गांधी 15 मई को बिहार के दौरे पर पटना पहुंचेंगे, जहां वे सामाजिक न्याय के एजेंडे को लेकर कई अहम कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। इस दौरान राहुल गांधी पटना में सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ ‘फुले’ फिल्म देखेंगे, जो महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले के जीवन पर आधारित है। यह फिल्म जाति व्यवस्था पर गहरी चोट करती है और सामाजिक सुधार की प्रेरणा भी देती है।
राहुल गांधी की यह पहल सामाजिक न्याय से जुड़े संदेश को बिहार में और मजबूती देने की रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है। फिल्म देखने के बाद वे दलित और अति पिछड़ा वर्ग के छात्रों के साथ संवाद करेंगे। इस बातचीत में शिक्षा, रोजगार और राज्य से हो रहे पलायन जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी। दरभंगा या मुजफ्फरपुर के किसी छात्रावास में यह संवाद कार्यक्रम आयोजित होने की संभावना है। कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और बिहार के सह-प्रभारी सुशील पासी ने बताया कि बिहार के दलित और पिछड़े वर्ग को लगातार शिक्षा और रोजगार के लिए बाहर जाना पड़ रहा है। राहुल गांधी इन समुदायों की वास्तविक समस्याओं को समझने के लिए सीधे संवाद करेंगे।
माना जा रहा है कि कांग्रेस की यह रणनीति आगामी चुनावों से पहले बिहार में अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने की एक कोशिश के रूप में देखी जा रही है। राहुल गांधी के साथ पार्टी के कई वरिष्ठ नेता भी अलग-अलग जिलों में छात्रों के साथ बातचीत करेंगे। हालांकि उनके नामों की आधिकारिक घोषणा अभी नहीं हुई है। बिहार में लगभग 16% दलित आबादी है, जो 38 अनुसूचित जाति और 2 अनुसूचित जनजाति की विधानसभा सीटों पर असर डालती है। राहुल गांधी इस जनसमूह को कांग्रेस की ओर आकर्षित करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। हाल ही में कांग्रेस ने दलित नेता राजेश कुमार को प्रदेश अध्यक्ष और सुशील पासी को सह-प्रभारी बनाकर अपने इरादे साफ कर दिए हैं।
उल्लेखनीय है की बिहार की राजनीति में जातीय समीकरणों की अहम भूमिका है। कांग्रेस लंबे समय तक दलित, मुस्लिम और सवर्णों के वोट बैंक पर टिकी रही, लेकिन सत्ता से बाहर होने के बाद उसका जनाधार खिसक गया। अब 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद पार्टी को राज्य में पुनर्जीवन की उम्मीद है। राहुल गांधी इससे पहले ‘भारत जोड़ो यात्रा’ और अन्य मंचों से लगातार दलितों के अधिकार और आरक्षण पर मुखर रहे हैं। उनका यह बिहार दौरा कांग्रेस की उसी रणनीति का हिस्सा है, जिसके जरिए वे एनडीए से दलित वोटों को खिसकाकर इंडिया गठबंधन के पक्ष में माहौल बनाना चाहते हैं।