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यूट्यूबर मनीष कश्यप को सुप्रीम झटका, CJI ने केस क्लब करने की याचिका को किया खारिज

यूट्यूबर मनीष कश्यप को सुप्रीम झटका, CJI ने केस क्लब करने की याचिका को किया खारिज

08-May-2023 11:36 AM

By First Bihar

DELHI : तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों की पिटाई की झूठी खबरें और वीडियो वायरल करने के आरोपी यूट्यूबर मनीष कश्यप केस में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस सुनवाई के बाद उन्हें बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने इनके मामलों को क्लब करने से मना कर दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने इनके ऊपर लगे NSA को रद्द करने की मांग को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट जा सकते हैं। 


दरअसल, आज सुप्रीम कोर्ट में मनीष कश्यप के मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि आप किसी राज्य में इस तरह की अशांति नहीं फैला सकते,इस तरह की घटना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इसके बाद सीजीआई ने NSA आरोप को रद्द करने के लिए और सभी केस को एकसाथ करने यानि केस क्लब करने की याचिका को खारिज कर दिया। 


वहीं, इससे पहले 28 अप्रैल को कोर्ट ने सुनवाई के दौरान तमिलनाडु सरकार से पूछा था कि मनीष पर NSA क्यों लगाया। जिसके लिए तमिलनाडु सरकार ने जवाब के लिए कोर्ट से कुछ दिनों की मोहलत मांगी थी। जिसके बाद आज इस मामले में काउंटर एफिडेविट फाइल किया गया। इस केस की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ कर रही है। 


मालूम हो कि, इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को नोटिस भी जारी किया था। इसके साथ ही  मनीष कश्यप को मदुरै जेल से कही और शिफ्ट न करने का निर्देश दिया था। मनीष कश्यप के खिलाफ छह प्राथमिकी दर्ज हैं। इन सब ममलों को क्लब करने की मांग  आज की गई जिसके बाद कोर्ट ने इस याचिका का खारिज कर दिया। 


आपको बताते चलें कि, सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई से ठीक पहले मनीष कश्यप की तरफ से एडवोकेट को ही बदल दिया गया। इस बात की पुष्टि खुद शुरुआत से सुप्रीम कोर्ट में मनीष के केस को देख रहे सीनियर एडवोकेट एपी सिंह ने की।  उन्होंने बताया कि आज की सुनवाई को लेकर उनके तरफ से पूरी तैयारी की गई थी। कई पेपर तैयार किए गए थे। मगर, अचानक से पता चला कि मनीष कश्यप के परिवार वालों ने नए एडवोकेट को हायर किया है। जिनके पास पहले से कोई तैयारी नहीं थी। इससे पहले 28 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हुई थी। इस सुनवाई में तमिलनाडु सरकार ने जवाब देने के लिए समय मांग लिया था। दरअसल, पिछली सुनवाई के दौरान तमिलनाडु सरकार के एडवोकेट ने कहा था कि एक दिन पहले ही एक अमेंडेंट पिटीशन फाइल मिली है।