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26-May-2024 08:28 AM
By First Bihar
PATNA : बिहार विस में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगातार पिछले छह चरणों के चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी पर हमलावर नजर आ रहे हैं। तेजस्वी यादव लगातार पीएम से सवाल करते हैं कि पिछले चुनाव में बिहार ने आपको कुल 39 सांसद दिए थे। आपने क्या काम किया और उनलोगों ने कहां विकास किया, जरा इसका हिसाब दें। इसके बाद अब तेजस्वी ने पत्र लिखकर आरक्षण के मामले में पीएम मोदी से जवाब मांगा है।
तेजस्वी ने अपने पत्र में लिखा है कि प्रधानमंत्री जी, आपके नाम खुला ख़त है। जरा समय निकालकर जातिगत जनगणना, आरक्षण, मंडल कमीशन और संविधान पर अवश्य ही अपना ज्ञानवर्धन कर लीजिएगा। इसके आगे तेजस्वी ने पत्र में लिखा है कि चुनावी मौसम में ही आप बिहार आते हैं। कल आप फिर से बिहार आए और एक बार फिर आपने सभी लोगों को भ्रमित करने की असफल कोशिश की है। मैं आपके समक्ष कुछ बातें रखना चाहता हूं। प्रधानमंत्री जी।
आपको याद होगा कि बिहार से हम सब अगस्त, 2021 में आपके पास जातिगत जनगणना की मांग लेकर आए थे और आदरणीय नीतीश जी की जदयू समेत और भी कई दल मेरी इस मांग के पक्ष में थे। जातिगत जनगणना का प्रस्ताव मेरी ही पहल पर सर्वसम्मति से बिहार विधानसभा में पास कराया गया। हम सभी ने मिलकर आपसे जातिगत जनगणना की मांग की थी। लेकिन आपने हमारी यह मांग ठुकरा दी। हम सबको पीड़ा हुई, आपकी संवेदनशून्यता से लेकिन इसपर क्या कहा जा सकता है।
जब हम बिहार में सरकार में आए तो हमने सरकार में आते ही राज्य सरकार के खर्च पर जातिगत सर्वेक्षण कराया। उसकी हकीकत से आपको भी अवगत कराया गया है। प्रधानमंत्री जी, हमने उस सर्वेक्षण के आलोक में आरक्षण का दायरा 75 प्रतिशत तक बढ़ाया है और आपसे बार-बार गुजारिश और हाथ जोड़कर मांग करते रहे कि इसको संविधान की नौंवी अनुसूची में शामिल कीजिए। लेकिन प्रधानमंत्री जी, मूलतः आप पिछड़ा और दलित विरोधी मानसिकता के हैं। आपने हमारी इस महत्वपूर्ण आग्रह, जिसके पक्ष में बहुजन स्वर था, पर कोई विचार नहीं किया। 10 दिसंबर, 2023 को पटना में आयोजित पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में केंद्रीय गृहमंत्री से भी इसकी माँग की गयी थी। आप उनसे पूछ सकते हैं।
आज आप बिहार आये और यहां आकर आप जितने भी आधारहीन, तथ्यहीन और झूठी बातें कर सकते थे, आपने की। अब आपसे अपेक्षा नहीं है कि आप अपने पद की गरिमा का ख़्याल रखते हुए विमर्श का स्तर ऊँचा रखेंगे। लेकिन आज "भैंस", "मंगलसूत्र" के रास्ते होते हुए "मुजरा" तक की शब्दावली पर आ गए। सच कहूं तो हमें आपकी चिंता होती है। क्या इस विशाल हृदय वाले देश के प्रधानमंत्री की भाषा ऐसी होनी चाहिए? आप सोचिए और निर्णय कीजिए मुझे और कुछ नहीं कहना है।
आपने बाबा साहेब का आरक्षण खत्म करने का एक नायाब तरीका ढूँढा है। क्योंकि संविधान की धारा 15 और धारा 16 के तहत आरक्षण सरकारी नौकरियों में मिलता है। आपने रेलवे, सेना और अन्य विभागों से सरकारी नौकरियां ही खत्म कर दीं, तो फिर आरक्षण की अवधारणा कहां जाएगी? लेकिन यह गंभीर चिंता आपकी प्राथमिकताओं में है ही नहीं। हम तो आपसे कई बार आग्रह कर चुके हैं कि संसद में, सड़क पर, सदन तक में आप प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण की व्यवस्था कीजिए। ताकि एक व्यापक बहुजन आबादी दलित समुदाय और अन्य वंचित समूहों को उनका वाजिब संवैधानिक हक़ मिल सके।
प्रधानमंत्री जी! पांच किलो राशन को भी आप "मुफ़्त" कहते रहते हैं। यह तो हमारे देश के नागरिकों का संविधान प्रदत्त न्यूनतम अधिकार है। आपकी भाषा और भाव मूलतः गरीब विरोधी है। मैं आपसे लगातार नौकरी, आर्थिक- सामाजिक न्याय और मंहगाई और बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने पर सवाल करता रहा हूँ, लेकिन आपकी रहस्यमयी चुप्पी समस्त बिहारवासियों को हताश कर रही है।
आपसे कितनी बातें कहूं? बस इतना कह सकता हूँ की बस अब चुनाव का एक ही चरण शेष है। हमारी जो भी मांग है, आरक्षण को लेकर, संविधान को लेकर और आर्थिक सामाजिक न्याय के संदर्भ में, उन सब पर गौर फरमाइए। सीधे तौर पर आकर कहिए कि आप अपने प्रेरणा स्रोत गुरुजी गोलवलकर की "बंच ऑफ़ थॉटस" किताब से सहमत नहीं हैं। क्या आप कह पायेंगे? यह भी कह दीजिये की आप पिछड़े, अत्यंत पिछड़े, दलित, तमाम वर्गों को उनका समुचित आरक्षण का लाभ प्राइवेट सेक्टर में भी देने की मांग से सहमत हैं?
अगर आपसे यह कहते नहीं बन रहा है, तो जनता समझ लेगी कि आपकी चुनावी भाषणों का गिरता स्तर ही आपकी राजनीतिक सोच का सही प्रतिबिम्ब है। कौन भूल सकता है कि वर्ष 1990 में जब मंडल कमीशन लागू हुआ था तब मंडल कमीशन के विरोध में आप आडवाणी जी के साथ आरक्षण विरोधी रथ के सारथी बने हुए थे। बहुजन दलित समुदाय कैसे भूल जाएं?
समस्त दलित/पिछड़ा-अतिपिछड़ा और आदिवासी जानते हैं कि बीजेपी और आप बाबा साहेब, बिरसा मुंडा, मान्यवर कांशीराम, लोहिया जी और मंडल कमीशन के कट्टर वैचारिक दुश्मन हैं। भाषण नहीं, अपने एक्शन से बतायें श्रीमान जी। और हां! इस पत्र के साथ मैं गुजरात में ओबीसी कैटगरी के अंतर्गत मुस्लिम जातियों की सूची भी संलग्न कर रहा हूं। शायद आपको ज्ञान और ध्यान भी न रहा हो कि गुजरात में मुस्लिम समुदाय की जातियों को भी आरक्षण मिलता है। आप 13 बरस से ज्यादा अरसे तक इस राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं।
अतः भ्रम फैलाने और नफरत परोसने की राजनीति से परहेज करिए। लोकतांत्रिक लड़ाई लड़ने की बजाय आप युवाओं को नौकरी दिलाने के लिए संघर्षशील एक 34 साल के युवा तेजस्वी को जेल भेजने की धमकी दे रहे हैं। क्या ऐसी धमकी देकर आप संविधान की धज्जियां नहीं उड़ा रहे है? चुनाव आएंगे और जाएंगे लेकिन संविधान, देश की सामाजिक संरचना और इसकी बनावट पर अब और आघात मत कीजिये। शुभकामनाओं सहित...