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25-Jun-2024 07:40 PM
By First Bihar
PATNA: बिहार में बीजेपी के साथ सरकार बनाने के बाद नीतीश कुमार ने एलान किया था कि राजद के सरकार में रहते जो फैसले लिये गये थे उसकी जांच होगी. अब नीतीश और बीजेपी की सरकार ने पिछली सरकार के फैसलों पर गाज गिरानी शुरू कर दी है. राजद के सरकार में रहते अलॉट किये गये 826 करोड़ के टेंडर को रद्द कर दिया गया है. नीतीश सरकार कह रही है कि अभी औऱ कार्रवाई की जायेगी.
पीएचईडी के टेंडर रद्द
नीतीश सरकार के लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग में 826 करोड़ के 350 टेंडर में धांधली का आरोप लगाते हुए उन्हें रद्द कर दिया है. ये सभी टेंडर महागठबंधन सरकार के कार्यकाल में जारी हुए थे. तब इस विभाग के मंत्री राजद के ललित यादव हुआ करते थे. मौजूदा सरकार ने इन टेंडर की जांच करायी थी और अब उसमें गड़बड़ी पाते हुए रद्द कर दिया है.
बिहार के पीएचईडी मंत्री नीरज कुमार बबलू ने बताया कि महागठबंधन सरकार के कार्यकाल के दौरान लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) में हुए 826 करोड़ रुपये के 350 टेंडर रद्द कर दिए गए हैं. ये सारे टेंडर ग्रामीण जलापूर्ति व्यवस्था के लिए हुए थे. पुराने टेंडर को रद्द करने के बाद अब नए सिरे से टेंडर आमंत्रित किए जाएंगे.
मंत्री नीरज बबलू ने बताया कि जांच के दौरान ये पाया गया कि टेंडर प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई थी. इसके बाद टेंडर रद्द किए गए हैं. पीएचईडी विभाग के दूसरे टेंडर की भी जांच अभी चल रही है. अगर उनमें गड़बड़ी पायी जाती है तो उन्हें भी रद्द कर दिया जायेगा. मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री के हर घर नल का जल के संकल्प को पूरा करने के लिए जल्द ही नए सिरे से टेंडर किए जाएंगे.
विजय सिन्हा ने शुरू की थी कार्रवाई
बता दें कि 17 महीने के कार्यकाल के दौरान महागठबंधन सरकार में पीएचईडी विभाग ने 4600 करोड़ रुपये के 1160 टेंडर दिए थे. उस समय विभाग के मंत्री ललित यादव थे. जनवरी 2024 में जब जेडीयू-भाजपा की सरकार बनी तो पीएचईडी विभाग का जिम्मा संभाल रहे डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने सारे टेंडर की समीक्षा कर कार्रवाई का फैसला लिया था. उन्होंने कहा था कि ग्रामीण नल-जल योजनाओं के टेंडर में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की शिकायत मिली हैं, जिनकी जांच करानी जरूरी है.
अब इस मामले में कार्रवाई शुरू हो गई है. नल-जल योजना नीतीश कुमार के महत्वाकांक्षी सात निश्चय में से एक है. नल-जल योजना को लागू करने का काम पहले पंचायती राज जनप्रतिनिधियों को सौंपा गया था. लेकिन उसमें बड़े पैमाने पर गड़बडी की शिकायत के बाद नीतीश कुमार ने पीएचईडी विभाग से काम कराने का फैसला लिया था. अब सरकार कह रही है कि पीएचईडी विभाग में भी कारनामा हो गया था.