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26-Jun-2021 05:04 PM
PATNA : बिहार एसटीईटी परीक्षा का रिजल्ट और मेरिट लिस्ट को लेकर बवाल मचा हुआ है. अभ्यर्थी और शिक्षक संघ सरकार और बोर्ड के ऊपर बहाली में धांधली का आरोप लगा रहे हैं. कैंडिडेट्स का आरोप है कि मेरिट लिस्ट तैयार करने में फर्जीवाड़ा किया गया है. इसलिए टीईटी शिक्षक संघ हाईकोर्ट की शरण में जायेगा. संघ के प्रदेश संयोजक अमित विक्रम ने कहा कि बिहार बोर्ड द्वारा STET की मेधा सूची जारी करना अवैध और क्षेत्राधिकार से बाहर है. नियोजन इकाई को ही मेरिट लिस्ट तैयार करने का अधिकार है.
टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश संयोजक अमित विक्रम ने शनिवार को एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए टीईटी परीक्षा में हुए मेरिट लिस्ट घोटाले के लिए पूरी तरह से बिहार बोर्ड को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि बिहार बोर्ड ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर मेधा सूची निकाला है. जबकि मेधा सूची नियोजन इकाईयों को जारी करने का अधिकार है. साथ में मेधा सूची जारी करने में बिहार बोर्ड और बेल्ट्रॉन ने मिलकर भारी धांधली की है, जो सफल छात्र थे उन्हें मेरिट लिस्ट से बाहर कर दिया और जो असफल छात्र थे उन्हें मेरिट लिस्ट में घुसा दिया.
उन्होंने कहा कि 12 मार्च 2021 को जारी रिजल्ट में बिहार बोर्ड ने बताया कि कुल 12 विषयों के परीक्षाफल में पेपर वन जो कि माध्यमिक शिक्षकों के लिए है उसमें कुल 16, 668 और पेपर टू उच्च माध्यमिक शिक्षकों के लिए है, उसमें कुल 8531 अभ्यर्थियों को क्वालिफाइड दिखाया गया. जब मेरिट लिस्ट जारी किया गया तो ठीक इतने ही अभ्यर्थियों को मेरिट लिस्ट में भी संख्या दर्शाया गया. रिक्त सीटों की संख्या भी उतनी ही रही है.
तो अब सवाल यह उठता है जब कुल 25499 अभ्यर्थी क्वालिफाइड थे और 25499 ही मेरिट लिस्ट में हैं तो आखिर जो क्वालिफाइड थे वह मेरिट लिस्ट से बाहर कैसे हो गए? इसका साफ मतलब है कि जो मेरिट लिस्ट में है उसमें से कई ऐसे व्यक्ति हैं जो पहले क्वालिफाइड नहीं थे. उन्होंने कहा कि यह मेरिट लिस्ट पूरी तरह से अवैध है. संघ इसके खिलाफ हाई कोर्ट में मुकदमा दायर करेगा और माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षक सेवा नियमावली 2020 के आधार पर नियोजन की प्रक्रिया पूरी करने की मांग करेगा.
गौरतलब हो कि पिछले दिनों उच्च माध्यमिक और माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षक नियोजन हेतु बिहार बोर्ड द्वारा ली गई परीक्षा एसटीइटी का मेरिट लिस्ट जारी की गई. टीईटी शिक्षक संघ ने कुछ बिंदुओं और तथ्यों को रखते हुए इस मेरिट लिस्ट को अवैध बताया है.
1. STET बिहार बोर्ड द्वारा ली गई यह परीक्षा एक पात्रता परीक्षा है ना कि शिक्षक भर्ती हेतु प्रतियोगी परीक्षा प्रतियोगी परीक्षा और पात्रता परीक्षा में बहुत अंतर होता है प्रतियोगी परीक्षा के अंकों के आधार पर नौकरी होती है लेकिन पात्रता परीक्षा केवल नौकरी पाने हेतु पात्रता तय करता है ना कि केवल उसके अंकों के आधार पर नौकरी दी जा सकती हैं।
2. माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षक नियोजन नियमावली में यह स्पष्ट लिखा हुआ है की बहाली प्रक्रिया में मेधा सूची तैयार करने का अधिकार नियोजन इकाई ( जिला परिषद एवं नगर निकायों) को होगा जिसमें क्रमशः स्नातक या परास्नातक तथा B.Ed के अंकों को आधार माना जाएगा। एसटीईटी को कोई वेटेज नहीं दिया जाएगा बल्कि केवल वह एक पात्रता तय करने वाली परीक्षा होगी
3. 2006 के माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक शिक्षक नियोजन नियमावली के कंडिका 6(iv) एवं 6 (v) अनुसार मेधा सूची तैयार करने के निम्न आधार थे.
मैट्रिक का अंक ,इंटर का अंक, स्नातक का अंक, स्नातकोत्तर का अंक (केवल उच्चतर माध्यमिक के लिए) एवं बीएड का अंक।
4. 2020 के माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक सेवा नियमावली के कंडिका 10 (v) एवं 10 (vi) में वर्णित नियुक्ति प्रक्रिया में मेधा सूची तैयार करने का आधार माध्यमिक शिक्षकों के लिए स्नातक के अंकों एवं B.Ed के अंकों को जोड़कर 2 से भाग देकर निकाल ले जाने को बताया गया है तथा उच्च माध्यमिक शिक्षकों के लिए स्नातकोत्तर एवं बीएड के अंकों को जोड़कर 2 से भाग देकर निकाले जाने को बताया गया था।
5. उपरोक्त तथ्यों के आधार पर यह स्पष्ट है कि बिहार बोर्ड द्वारा एसटीइटी 2019 के लिए जारी नोटिफिकेशन ही गलत है जिसमें बिहार बोर्ड ने मेधा सूची तैयार करने की बात कही है। बिहार बोर्ड को मेधा सूची तैयार करने का कोई अधिकार नहीं है। बिहार बोर्ड केवल क्वालिफाइड और नॉट क्वालिफाइड तय कर सकता है वह भी उसे सीटों के आधार पर नहीं बल्कि 60% एवं 55% कट ऑफ मार्क्स के आधार पर तैयार करना था।
टीईटी शिक्षक संघ ने सरकार से मांग की है कि एसटीईटी को पात्रता परीक्षा मानते हुए विभिन्न आरक्षण कोटियों के अनुसार कट ऑफ जारी करें और सभी को 2020 की नियमावली के अनुसार नियोजन में भाग लेने का मौका दे. साथ ही हम संघ की ओर से सरकार के एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी की भी मांग करते हैं जो एसटीइटी के मेरिट लिस्ट जारी करने में हुए घोटाले की जांच करें. अन्यथा हम हाईकोर्ट से ऐसी कमेटी गठित करने की मांग करेंगे.