Bihar News: बिहार के इन जिलों में इंडस्ट्रियल हब का निर्माण, रोजगार की आने वाली है बाढ़.. Bihar News: बिहार के इन जिलों में एयरपोर्ट का निर्माण, गया हवाई अड्डे को बनाया जाएगा इस मामले में खास.. ISM पटना में व्याख्यान का आयोजन: इसके माध्यम से युवाओं को मिला लैंगिक संवेदनशीलता का संदेश Bihar Cabinet Meeting: नीतीश कैबिनेट का बड़ा फैसला...इस विभाग में 459 लिपिक की होगी बहाली..इन आंदोलनकारियों की पेंशन राशि में भारी वृद्धि अररिया में लूट की कोशिश नाकाम: एक्सीडेंट में घायल हुए दो बदमाश, ग्रामीणों ने हथियार के साथ पकड़ा Bihar Education News: 1st Bihar की खबर का बड़ा असर, भ्रष्टाचार में लिप्त A.E. की सेवा होगी समाप्त.. शिक्षा विभाग को भेजा गया प्रस्ताव, करप्शन की जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी Patna News: पटना में स्वतंत्रता दिवस पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम, ड्रोन से होगी निगरानी Patna News: पटना में गंदगी फैलाने वालों पर होगी कड़ी कार्रवाई, इस दिन से अभियान शुरू Janmashtami 2025: जन्माष्टमी पर क्यों तोड़ी जाती है दही हांडी? जानिए... इस परंपरा का इतिहास और महत्व Bihar News: बिहार में मिला इतने हजार करोड़ का खनिज, खजाने की ई-नीलामी की तैयारी में जुटी केंद्र सरकार
08-Oct-2021 09:45 AM
DESK : कलश स्थापना के साथ कल से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है. आज नवरात्रि का दूसरा दिन. इस दिन मां के ब्रह्मचारिणी स्वरुप की उपासना की जाती है. इनको ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है. कठोर साधना और ब्रह्म में लीन रहने के कारण इनको ब्रह्मचारिणी कहा गया है. विद्यार्थी और तपस्वियों के लिए इनकी पूजा बहुत ही शुभ फलदायी होती है. जिनका चन्द्रमा कमजोर हो उनके लिए भी मां ब्रह्मचारिणी की उपासना अत्यंत अनुकूल होती है.
नवरात्रि के दूसरे दिन पूजित ब्रह्मचारिणी आंतरिक जागरण का प्रतिनिधित्व करती हैं. मां सृष्टि में ऊर्जा के प्रवाह, कार्यकुशलता और आंतरिक शक्ति में विस्तार की जननी हैं. ब्रह्मचारिणी इस लोक के समस्त चर और अचर जगत की विद्याओं की ज्ञाता हैं. इनका स्वरूप श्वेत वस्त्र में लिपटी हुई कन्या के रूप में है, जिनके एक हाथ में अष्टदल की माला और दूसरे में कमंडल है. यह अक्षयमाला और कमंडल धारिणी ब्रह्मचारिणी नामक दुर्गा शास्त्रों के ज्ञान और निगमागम तंत्र-मंत्र आदि से संयुक्त हैं. भक्तों को यह अपनी सर्वज्ञ संपन्न विद्या देकर विजयी बनाती हैं. ब्रह्मचारिणी का स्वरूप बहुत ही सादा और भव्य है. अन्य देवियों की तुलना में वह अतिसौम्य, क्रोध रहित और तुरंत वरदान देने वाली देवी हैं.
पूजा की विधि
मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा शास्त्रीय विधि से की जाती है. सुबह शुभ मुहूर्त में मां दुर्गा की उपासना करें और मां की पूजा में पीले या सफेद रंग के वस्त्र का उपयोग करें. माता का सबसे पहले पंचामृत से स्नान कराएं, इसके बाद रोली, अक्षत, चंदन आदि अर्पित करें. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में गुड़हल या कमल के फूल का ही प्रयोग करें. माता को दूध से बनी चीजों का ही भोग लगाएं. इसके साथ ही मन में माता के मंत्र या जयकारे लगाते रहें. इसके बाद पान-सुपारी भेंट करने के बाद प्रदक्षिणा करें. फिर कलश देवता और नवग्रह की पूजा करें. घी और कपूर से बने दीपक से माता की आरती उतारें और दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा का पाठ करें. पाठ करने के बाद सच्चे मन से माता के जयकारे लगाएं. इससे माता की असीम अनुकंपा प्राप्त होगी.
पूजा से लाभ
मां का ब्रह्मचारिणी रूप बेहद शांत, सौम्य और मोहक है. मान्यता है कि मां के इस रूप को पूजने से व्यक्ति को तप, त्याग, वैराग्य और सदाचार जैसे गुणों की प्राप्ति होती है. मां के इस स्वरूप को पूजने से साधक होने का फल मिलता है. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति को हर कार्य में सफलता मिलती है और वो हमेशा सही मार्ग पर चलता है.
आपको बता दें कि तृतीया और चतुर्थी तिथि एक साथ पड़ने के कारण इस बार की नवरात्रि 8 दिनों की होगी. नवरात्रि व्रत का समापन 14 अक्टूबर को होगा. 15 अक्टूबर को दशहरा पर्व मनाया जाएगा. नवरात्रि में अलग-अलग तिथि में मां दुर्गा के अलग-अलग रूप की पूजा की जाती है. नवरात्र के अष्टमी और नवमी के दिन कुंवारी कन्याओं को भोजन करा कर उनकी पूजा करने का भी प्रवाधान है. 15 अक्टूबर को असत्य पर सत्य की विजय का पर्व दशहरा मनाया जाएगा.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस पर्व की शुरुआत तब हुई जब मां दुर्गा के द्वारा राक्षस महिशासुर का वध कर दिया गया. दोनों के बीच 9 दिनों तक लड़ाई चली और दसवें दिन मां दुर्गा ने राक्षस का वध कर दिया था. उसी वक्त से नवरात्रि का पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है.