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28-Jun-2021 01:48 PM
By JITENDRA
BEGUSARAI: अंधविश्वास के कारण आज एक विवाहिता की जान चली गयी। महिला को सांप ने काट लिया था। सांप काटने के बाद परिजन अस्पताल ले जाने के बजाय झाड़ फूंक कराने ले गये। कई घंटों बाद झाड़ फूंक का यह सिलसिला चलता रहा। आखिरकार इस चक्कर में महिला की मौत हो गयी। मामला चांदपुरा थाना क्षेत्र की है।
बताया जाता है कि कुशमौत निवासी दीपक राम की 29 वर्षीय पत्नी कंचन देवी घर में खाना बना रही थी तभी इस दौरान सांप ने उसे काट लिया। सांप के काटने के बाद महिला की तबीयत बिगड़ने लगी। जिसके बाद परिजन कंचन देवी को अस्पताल ले जाने के बजाय अंधविश्वास के चक्कर में पड़कर झाड़फूंक कराने के लिए ले गये। गांव का ही एक व्यक्ति महिला के शरीर से विष निकालने के लिए झाड़फूंक करने लगा। काफी देर तक यह तमाशा चलता रहा।
काफी देर बाद परिजनों को बताया गया कि महिला के शरीर में विष नहीं है बल्कि परेशानी कुछ और ही है। जिसके बाद आनन-फानन में परिजन महिला को लेकर सदर अस्पताल पहुंचे जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। महिला की मौत की खबर से परिजनों में कोहराम मच गया। परिजन फूट-फूट कर रोने लगे। उन्हें शायद इस बात का अफसोस है कि झाड़फूंक के चक्कर में यदि वे नहीं पड़े होते और समय रहते हॉस्पिटल ले जाते तब जान बच सकती थी।

जितनी तत्परता लोगों ने ओझा-गुणी के पास ले जाने में दिखाई यदि उतनी तत्परता डॉक्टर के पास जाने में करते तो शायद कंचन देवी आज हम सभी के बीच रहती। झाड़ फूंक के दौरान जब महिला की मौत हो गयी तब उसे गोद में उठाकर परिजन अस्पताल की तरफ दौड़े लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी।

बेगूसराय में अंधविश्वास के कारण मौत का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी जगदीशपुर गांव निवासी गंगासागर राय के 24 वर्षीय पुत्र सुनील की मौत झाड़ फूंक के चक्कर में हो गयी थी। डॉक्टरों द्वारा युवक को मृत घोषित किए जाने के बावजूद मुर्दे को जिंदा करने का दावा किया गया था और सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में झाड़ फूंक की गयी थी लेकिन उस वक्त भी अंधविश्वास का खेल यूं ही चलता रहा और इसे देखने के लिए गांव के कई बुद्धिजीवी भी मौजूद नजर आए लेकिन किसी ने कुछ भी नहीं कहा। इस तरह के अंधविश्वास को रोकने की पहल भी नहीं की। इसी का नतीजा है कि इस तरह की घटनाएं आए दिन सामने आ रही है।

कंचन देवी की जान इसी अंधविश्वास ने ले ली है। सांप काटने के बाद यदि उसे समय पर अस्पताल ले जाया जाता तो शायद उसकी जान बच सकती थी। विज्ञान और टेक्नोलॉजी के युग में भी आज लोग इन अंधविश्वासों के चक्कर में पड़कर अपनी जान गवां रहे हैं। झाड़फूंक पर विश्वास करने वाले लोगों में जागरूकता लाना बहुत जरूरी है। इसे लेकर सरकार द्वारा समय-समय पर अभियान चलाये जाने चाहिए ताकि इस तरह की घटनाएं दोबारा ना हो।
