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07-May-2020 10:58 AM
PATNA : बिहार के बीजेपी एमएलसी सचिदानंद राय ने बिहार सरकार को खरी-खरी सुनायी है। ट्रेनों से भर कर मजदूरों को वापस लाए जाने पर भी उन्होनें अपनी आपत्ति दर्ज की है। उन्होनें कहा कि सरकार बिहार के मजदूरों को वापस तो ला रही है लेकिन उन्हें लाने के बाद रोजगार देने का इंतजाम किया है क्या ? उन्होनें कहा कि बिहार में अगर काम होता तो वे बिहार छोड़कर बाहर जाते ही क्यों। साथ ही साथ बीजेपी एमएलसी ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को भी नसीहत दी है।
बीजेपी एमएलसी सचिदानंद राय ने मजदूरों को बिहार वापस लाए जाने पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि आखिर सरकार मजदूरों को किस आशा पर बिहार लेकर आ रही है। उन्हें यहां आने के बाद सरकार उन्हें कौन सा रोजगार देने वाली है। लॉकडाउन खत्म होने के बाद सरकार उनको रोजगार दे पाएंगी क्या ? तमाम सवाल खड़ा करते हुए सचिदानंद राय ने बिहार सरकार को घेरते हुए कहा कि बिहार में अगर रोजगार होता तो ये लोग बाहर जाते ही क्यों।
सचिदानंद राय ने कहा कि लॉकडाउन से देश की अर्थव्यवस्था गड़बड़ा गयी है। लॉकडाउन के बाद चाहे वह केन्द्र सरकार हो या फिर राज्य सरकार उनके पास पैसे होंगे तभी तो लोगों के लिए किसी तरह की जनकल्याणकारी योजनाओं को चला सकेंगे। इसके लिए लॉकडाउन के बाद देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर लाने के लिए देश के बंद पड़े उद्योग धंधों को लागू करना होगा। इसके लिए बड़ी संख्या में मजदूरों की जरूरत पड़ेगी। लेकिन सरकार मजदूरों को वापस लेकर आ रही है। ऐसे में तो देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा जाएगी।
बीजेपी एमएलसी ने कहा कि सरकार को मजदूरों को वापस लाने के बजाए वहीं मजदूरों को तमाम सुविधाएं मुहैया करवानी चाहिए थी । इसके लिए बिहार सरकार को उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केन्द्र सरकार के साथ बाचतीच कर ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए थी कि मजदूरों को घर वापस आने की जरूरत न पड़ें। सरकार जिसने मजदूरों को वापस ला रही है तो उन मजदूरों को 21 दिनों के लिए क्वारेंटाइन किया जा रहा है। छह फीट का डिस्टेंस मेंटेन करना है ऐसे में हजारों वर्ग फीट में क्वारेंटाइन की व्यवस्था करनी पड़ेगी। ऐसे में सरकार लाखों-करोड़ों खर्च कर भी मुकम्मल व्यवस्था नहीं सकेगी। सरकार जो ये सारी कवायदें कर रही है वह बेकार साबितो होगी।
वहीं सचिदानंद राय ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को नसीहत देते हुए कहा कि उनकों इस मसले पर राजनीति करने से बाज आना चाहिए। वे मजदूरों पर जिस तरह की राजनीति कर रहे हैं उससे वे बाज आए। उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि लाखों की संख्या में मजदूरों को वापस लाकर भी उन्हें सुरक्षित नहीं किया जा सकता। उनके लिए भोजनालय से लेकर शौचालय तक की मुकम्मल व्यवस्था करना किसी के बूते में नहीं है।