Bihar Election 2025: ‘बिहार में पहले चरण की वोटिंग के दौरान नहीं हुई कोई गड़बड़ी’, चुनाव आयोग का दावा Bihar Election 2025: ‘बिहार में पहले चरण की वोटिंग के दौरान नहीं हुई कोई गड़बड़ी’, चुनाव आयोग का दावा Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के बीच बसपा का बड़ा एक्शन, पार्टी उम्मीदवार को 6 साल के लिए निकाला Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के बीच बसपा का बड़ा एक्शन, पार्टी उम्मीदवार को 6 साल के लिए निकाला IRCTC Aadhaar Verification: इस टाइम में ट्रेन टिकट बुक करने के लिए आधार अनिवार्य, IRCTC के नियमों में बड़ा बदलाव IRCTC Aadhaar Verification: इस टाइम में ट्रेन टिकट बुक करने के लिए आधार अनिवार्य, IRCTC के नियमों में बड़ा बदलाव Bihar Election 2025: दूसरे चरण की वोटिंग से पहले RJD ने पूर्व विधायक समेत उसके दो बेटों को पार्टी से निकाला, लगाए यह गंभीर आरोप Bihar Election 2025: दूसरे चरण की वोटिंग से पहले RJD ने पूर्व विधायक समेत उसके दो बेटों को पार्टी से निकाला, लगाए यह गंभीर आरोप Bihar Election 2025: गोपालगंज में दलितों की पिटाई पर भड़के जीतन राम मांझी, बोले- RJD दलित समाज की दुश्मन, यह उनका नेचर Bihar Election 2025: गोपालगंज में दलितों की पिटाई पर भड़के जीतन राम मांझी, बोले- RJD दलित समाज की दुश्मन, यह उनका नेचर
14-Mar-2021 12:16 PM
PATNA : अक्सर ऐसा देखा जाता है कि इस दुनिया में इंसान से ज्यादा जानवर वफादार साबित होते हों. इसके किस्से भी हमनें कई सुने हैं. लेकिन पटना में एक शख्स ने पशु प्रेम की मिसाल कायम कर दी है. दरअसल, मामला दानापुर के जानीपुर इलाके में रहने वाले अख्तर इमाम का है जिन्हें लोग प्यार से हाथी काका भी कहकर बुलाते हैं. अख्तर इमाम को लोग हाथी काका क्यों बुलाते हैं इसके पीछे की भी काहानी काफी दिलचस्प और भावुक है.
अख्तर इमाम बताते हैं कि उन्होंने अपने नालायक बेटे को अपनी जमीन जयदाद और संपत्ति से बेदखल कर दिया और फिर सारी सपंत्ति दो हाथियों के नाम कर दी थी. बेटे को संपत्ति से बेदखल किये 9 महीने गुजर गए लेकिन फिर भी आज अख्तर इमाम अपने आपको अकेला और बेसहारा महसूस नहीं करते हैं क्योंकि इन्हें बेटों से ज्यादा अपने हाथियों पर भरोसा है. अपने पालतू हाथियों के प्रति इनके लगाव को देखते हुए आसपास के लोग उन्हें हाथी काका कहकर बुलाते हैं.
हाथी काका बताते हैं कि उनके पास दो हाथी हैं जिनका नाम रानी और मोती है. सुबह से रात तक वह इन्हीं दोनों हाथियों के साथ वक्त गुजारते हैं. हाथी काका सुर्खियों में तब आए जब उन्होंने अपने दोनों हाथियों के नाम 5 करोड़ की जमीन, जायदाद को रजिस्ट्री कर दिया और अपने इकलौते नालायक बेटे को घर से बेदखल कर दिया. जायदाद की रजिस्ट्री दो हिस्सों में की गई है जिसमें आधा हिस्सा उनकी पत्नी के नाम है तो आधा अपना हिस्सा हाथियों के नाम.
अख्तर इमाम बताते हैं कि उनके नहीं रहने पर उनकी साड़ी संपत्ति हाथियों की हो जाएगी. अगर हाथियों को कुछ हो जाएगा तो जायदाद ऐरावत संस्था को मिल जाएगी क्योंकि अख्तर ऐरावत संस्था के संरक्षक भी हैं. अख्तर साफ कहते हैं कि उनका जीवन हाथियों के लिए ही समर्पित है और जीना इसी के लिए और मरना भी इसी के लिए तो हाथी भी इनके लिए साथी से कम नहीं है.
इस सवाल का जवाब देते हुए कि उन्हें अपने हाथियों से इतना प्यार क्यों है तो अख्तर बताते हैं कि उनके हाथियों ने उनकी जान बचाई थी. अख्तर बताते हैं कि एक रात दो हथियारबंद लोग घर में जान मारने की नीयत से घुस आए तभी हाथियों ने शोर मचाकर उन्हें और आस-पास के लोगों को जगा दिया. शोर सुनकर हत्या करने आए दोनों भाग खड़े हुए और मेरी जान बची, यही वजह है कि वफादार हाथियों के लिए इन्होंने भी अपना जीवन समर्पित कर दिया है और इलाके में हाथी काका के नाम से मशहूर हो गए.