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23-Dec-2023 09:13 AM
By First Bihar
PATNA : बिहार में आने वाले दिनों के मकर सक्रांत का पर्व है और जब - जब यह पर्व आता है तब तक बिहार की राजनीतिक सरगर्मी ठंड के मौसम में भी बढ़ जाती है और कुछ बड़े उल्ट फेर के आसार नजर आने लगते हैं। ऐसे में इस दफे भी वर्तमान में जो राजनीतिक परिवेश बन रहे हैं। उसके इशारे इसी तरह दिख रहे हैं कि फिर कोई नई पटकथा लिखी जा सकती हैं।
दरअसल, संसद में विपक्षी के लगभग 90 % सांसदों को निलंबित कर दिया गया। ऐसे में इसको लेकर विपक्षी दलों के एकजुट होकर यह निर्णय लिया कि इसका विरोध जताया जाएगा और उसके बाद राज्यों में भी आपसी सहयोग से सरकार चला रही केंद्र की विपक्षी पार्टी ने बैठक की और यह फैसला लिया गया कि पैदल मार्च कर इसका विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। जिसके बाद बिहार में भी इसकी झलक देखने को मिली। लेकिन, बात यहां खत्म नहीं बल्कि शुरू होती है।
बिहार में महागठबंधन के तरफ से जो सांसद निलंबन को लेकर विरोध प्रदर्शन निकाला गया। उसमें जदयू के तरफ से कोई बड़े चेहरे कहीं भी नजर नहीं आए। सांसद, विधायक और विधान पार्षद तो दूर खुद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दूर -दूर तक एक झलक तक नहीं दिखा पाए। जबकि बिहार में अन्य सहयोगी पार्टी के बड़े नेता फोटो खींचवाने के लिए ही सही लेकिन वो दिखे जरूर। लेकिन बिहार में जिस पार्टी के सीएम हैं और बिहार में विपक्ष में आई जिस पार्टी के पास सांसदों की अच्छी खासी संख्या है उसके कोई भी बड़े नेता दूर - दूर तक फ्रेम में नजर नहीं आए।
वहीं, एक दैनिक अख़बार में छपी खबर के मुताबिक जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा से इसको लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने बड़े ही अनोखे अंदाज में जवाब भी दिया। उन्होंने कहा कि - मुझे कोई जरूरी काम था तो दूसरी जगह जाना था। पार्टी के विधायक के शामिल होने से जुड़ा सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि - पार्टी के तरफ से जन सुनवाई कार्यक्रम भी था उसमें हमारे कुछ नेता बीजी थे। हमारी पार्टी के जिलाध्यक्ष शामिल हुए थे। अब सवाल यह है कि जब कांग्रेस और राजद के प्रदेश अध्यक्ष थोड़ी दूरी तक ही सही इसमें शामिल हो सकते हैं तो क्या जदयू के प्रदेश अध्यक्ष इस कदर बीजी थे की उनके पास 10 से 15 मिनट तक का समय नहीं था। अगर उनके पास समय नहीं था तो पार्टी के विधान पार्षद तक को भेजा जा सकता था।
मालूम हो कि, पिछले 12 दिनों से तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार के सारे कार्यक्रमों का बहिष्कार कर रखा था। नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव पिछले 10 दिसंबर को एक साथ दिखे थे। वह भी तब जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पटना में पूर्वी क्षेत्र के राज्यों की बैठक में शामिल होने आये थे। उस बैठक में नीतीश और तेजस्वी साथ नजर आये थे। उसके बाद तेजस्वी यादव अपने मुख्यमंत्री के हर कार्यक्रम का बहिष्कार कर रहे थे। हद तो ये हुई कि दिल्ली में INDIA गठबंधन की बैठक में भी लालू यादव और तेजस्वी यादव ने नीतीश से दूरी बनाये रखी। वहां भी नीतीश की लालू-तेजस्वी से बातचीत तक नहीं हुई. नीतीश और लालू-तेजस्वी 3 दिनों तक दिल्ली में रहे लेकिन आपस में कोई बात नहीं हुई।