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06-Mar-2020 07:13 PM
RANCHI : अभी-अभी बड़ी खबर आ रही है। जेवीएम के बीजेपी में विलय पर चुनाव आयोग ने मुहर लगा दी है। JVM सुप्रीमो बाबूलाल के BJP का दामन थामने के बाद सबको बस चुनाव आयोग की मंजूरी मिलने का इन्तजार था। इसी के साथ जेवीएम यानि झाऱखंड विकास मोर्चा अब इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। तीन बार दूसरी पार्टी में विलय के बावजूद जेवीएम का अस्तित्व अब तक बचा हुआ था।
झारखंड के 20 साल का राजनीतिक इतिहास अगर किसी एक नेता के इर्द-गिर्द घूमता नजर आता है तो वो हैं बाबूलाल मरांडी। राज्य के पहले मुख्यमंत्री और बीजेपी के धाकड़ लीडर रह चुके हैं। 2006 में बीजेपी छोड़ी अपनी पार्टी बनायी, नाम रखा झारखंड विकास मोर्चा (जेवीएम)। अब बाबूलाल जितनी राजनीतिक सुर्खियां नहीं बटोरते उससे ज्यादा सुर्खियां उनकी बनायी पार्टी बटोरती है।
पहली बार 2014 के विधानसभा चुनाव में खुद बाबूलाल मरांडी चुनाव हार गये। लेकिन उनकी पार्टी ने राज्य को आठ विधायक दिये। उन आठ में से छह ने बाबूलाल का साथ छोड़ दिया और बीजेपी में शामिल हो गये। बाबूलाल ने विधानसभा अध्यक्ष की अदालत में मामला दर्ज कराया। पांच साल की कानूनी कार्यवाही के बाद फैसला आया कि जेवीएम के विधायकों का बीजेपी में विलय हुआ है। इस दौरान छह में से दो विधायकों को सरकार में मंत्री पद दे दिया गया था।
2019 के विधानसभा चुनाव के पहले ही बाबूलाल मरांडी के करीबी बीजेपी में शामिल हो गये लेकिन उन्होनें मोर्चा नहीं छोड़ा सीटे पिछली बार के मुकाबले घटी लेकिन ने सदन में पहुंच गये। प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को मिला कर कुल तीन विधायक पार्टी से जीते। राज्य में जेएमएम-कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनने के बाद प्रदीप और बंधु कांग्रेस तो बाबूलाल बीजेपी में विलय करने पर जोर देते रहे। बाबूलाल ने पार्टी की कार्यसमिति भंग कर बीजेपी का दामन थाम लिया और बीजेपी में शामिल हो गए। उन्हें बीजेपी विधाय़क दल का नेता भी चुन लिया गया लेकिन विधानसभा ने इसकी मान्यता नहीं दी।
इस बीच बंधु तिर्की और प्रदीप यादव सोनिया गांधी से मुलाकात करने के बाद दोनों विधायकों का दावा यह भी है कि जेवीएम का असली विलय कांग्रेस में हुआ है। तकनीकी रूप से देखें तो किसी पार्टी के दूसरी पार्टी में विलय के लिए दो तिहाई विधायक दल के नेता का विलय होना अनिवार्य है। लेकिन अंतत: जेवीएम का विलय बीजेपी में कर दिया गया है।