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28-Jan-2024 01:53 PM
By First Bihar
नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफा देते वक्त नीतीश कुमार ने बहुत कम बातें मीडिया से कीं है। इस दौरान नीतीश कुमार बार-बार यही कहते रहें कि हमने काम किया है और इंडिया गठबंधन, महागठबंधन में स्थिति ठीक नहीं थी। लेकिन, नीतीश कुमार इससे पहले भी कई बार सियासी पाला बदल चुके हैं। ऐसे में हम आपको यह जानकारी देंगे की उन्होंने जब - जब पलटी मारा है तब - तब उन्होंने इसकी वजह क्या बताई है।
2000 में पहली बार नीतीश बनें सीएम
दरअसल, नीतीश कुमार की राजनीति का यही अंदाज है। मुख्यमंत्री वही रहते हैं कि गठबंधन के सहयोगी बदलते रहते हैं। साल 2000 मार्च का महीना था। जब नीतीश पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने पर बहुमत के अभाव में उन्हें जल्द ही इस्तीफा देना पड़ा। पांच साल बाद नीतीश की फिर से सत्ता में वापसी हुई। दूसरी बार भारतीय जनता पार्टी के साझेदार के तौर पर मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली। नीतीश ने सरकार चलाई और सुशासन बाबू के तौर पर उभरे।
मोदी को पीएम बनाने से हुए नाराज
उसके बाद साल आया 2010 का नीतीश की पार्टी जनता दल यूनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी तीन चौथाई से भी अधिक सीट जीतकर सदन पहुंची। नीतीश तीसरी दफा मुख्यमंत्री बनें और सरकार चलती रही। उसके साल आया 2013 और भारतीय जनता पार्टी ने अगले ही साल होने वाले आम चुनाव के लिए नरेंद्र मोदी को चुनाव प्रचार का चेहरा बना दिया। लोकसभा चुनाव जीतने पर मोदी प्रधानमंत्री बनते। ऐसे में यह बात नीतीश कुमार को ये बात रास नहीं आई और उन्होंने नीतीश ने राजनीतिक विचारधारा और सिद्धांतों की दुहाई देते हुए एनडीए का साथ छोड़ दिया।
मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगने पर छोड़ा साथ
वहीं, 2015 में बिहार में विधानसभा चुनाव होना था। नीतीश कुमार ने कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के साथ महागठबंधन के बैनर तले चुनाव लड़ने का फैसला किया। ये कहते हुए कि भारतीय जनता पार्टी को हराना वक्त की मांग है और महागठबंधन ही के जरिये ऐसा संभव है। इस चुनाव में महागठबंधन जीत गई। नीतीश मुख्यमंत्री बने लेकिन डेढ़ साल के बाद वह सरकार गिर गई। लालू परिवार, खासकर तेजस्वी यादव का नाम मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में आने के बाद नीतीश ने इस्तीफा दे दिया। 24 घंटे के भीतर फिर वह भारतीय जनता पार्टी का समर्थन जुटाने में सफल रहे। इस तरह नीतीश 2017 में फिर एक बार मुख्यमंत्री बन गए।
भाजपा पर लगाया जदयू तोड़ने का आरोप
इसके दो बरस के बाद राज्य में चुनाव हुआ।2020 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर नीतीश ने चुनाव लड़ा। जीत भी गए लेकिन इस बार ये साथ 2 बरस तक भी नहीं चला। नीतीश कुमार ने अगस्त 2022 में भारतीय जनता पार्टी पर ये इल्जाम लगाते हुए कि वह उनकी पार्टी को तोड़ रही है, इस्तीफा दे दिया और फिर राजद, कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली।