ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar News: दो हजार महिला चालकों को ट्रेंड करेगी बिहार सरकार, पिंक बस को लेकर है खास प्लान Bihar News: दो हजार महिला चालकों को ट्रेंड करेगी बिहार सरकार, पिंक बस को लेकर है खास प्लान Bihar Transfer Posting: बिहार प्रशासनिक सेवा के 9 अधिकारियों का तबादला, देखें पूरी लिस्ट.... Bihar Education News: बिहार में अब शिक्षक-छात्रों की समस्या का चुटकियों में होगा समाधान, शिक्षा विभाग ने कर दी यह बड़ी व्यवस्था Bihar Education News: बिहार में अब शिक्षक-छात्रों की समस्या का चुटकियों में होगा समाधान, शिक्षा विभाग ने कर दी यह बड़ी व्यवस्था Bihar Crime News: मुजफ्फरपुर के बाद अब बिहार के इस जिले में लूट की बड़ी वारदात, माइक्रोफाइनेंस कंपनी के मैनेजर से लूटपाट बेगूसराय: प्रेम-प्रसंग में युवक की बेरहमी से हत्या, परिजनों ने शव के साथ सड़क पर किया हंगामा Patna News: पटना के अपार्टमेंट में लगी भीषण आग, कई लोग फंसे; रेस्क्यू ऑपरेशन जारी Patna News: पटना के अपार्टमेंट में लगी भीषण आग, कई लोग फंसे; रेस्क्यू ऑपरेशन जारी Bihar Crime News: बिहार में बैंक लूट की बड़ी वारदात से हड़कंप, पिस्टल दिखाकर 11 लाख ले भागे बदमाश

कोरोना ने किसानों की तकलीफ और बढ़ा दी, वंचित समाज पार्टी ने बताई हकीकत

कोरोना ने किसानों की तकलीफ और बढ़ा दी, वंचित समाज पार्टी ने बताई हकीकत

01-May-2020 08:47 AM

PATNA : कोरोना ने किसानों की तकलीफ को और बढ़ा दिया है. वंचित समाज पार्टी के नेता और चुनाव अभियान समिति के प्रमुख ललित मोहन सिंह ने कहा कि  किसानों के बही खाते में नफा-नुकसान का कोई कॉलम ही नहीं होता, आखिरकार ऑडिट करने कौन आएगा, उसके खाते में एक ही कॉलम है घाटे वाला क्योंकि उसके उत्पाद का न्यूनतम समर्थन मूल्य, तय करने वाले कभी खेतों की मेड़ों पर नहीं घूमे. ऐसे अधिकारी इसका मूल्य तय करते हैं जिन्हें न तो खेत से मतलब है और न ही उन्होंने किसानों की परेशानी और दर्द को सामने से देखा है.

उन्होंने कहा कि बिहार में, बहुतायत में, संतोष धन पाया जाता है, कोई किसान खुदकुशी नहीं करता, वह जानता है कि जो होता है अच्छा होता है. दिनकर की कविता की पंक्तियां को अपना भाग्य समझता है ,“सौभाग्य न सब दिन सोता है, देखें आगे क्या होता है।“ और “होहियें वही जे राम रुचि राखा।“ जैसी पंक्तियों को अपनी जीवन का आधार मानता है. 

सरकारी खरीद तो यहां  एक मज़ाक  बन कर रह गई है. जो भी अधिकारी को खरीदने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है वह मिल मालिकों से तथा पैक्स के सभापति की मिली भगत में कम-से-कम 3.00 से लेकर 3.50 प्रति किलो ग्राम या 300/- से 350/- प्रति क्विंटल चाहिए चाहिए. जिस फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1500/- प्रति क्विंटल रखा गया हो उस फसल का 20 से 25% तो सरकार के अधिकारियों को जाता है. और किसानों को तत्तकाल भुगतान के विपरीत कई महीने बाद पैसे मिलते हैं. किसानों की मजबूरी और मजबूती भी यही है कि हम हर साल उपजायेंगे और हर बार मुस्कराहट के साथ घाटा सहेंगे क्योंकि यही हमारा भाग्य है, यह ही हमारी नियति और यही हमारा प्रारब्ध.हम हैं तो खुदा भी है नहीं तो इबादत करेगा कौन?