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17-Jul-2021 02:04 PM
PATNA : बिहार के बाढ़ लोकसभा क्षेत्र से लगातार 5 बार सांसद का चुनाव जीतने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का दर्द 17 साल बाद एक बार फिर से छलका है. बाढ़ में सामुदायिक भवन का उद्घाटन करने के दौरान सीएम नीतीश ने इस बात का खुलासा किया है कि आखिरकार उन्होंने किस वजह से लोकसभा का चुनाव लड़ना दिया. आखिरकार क्यों नीतीश ने कभी जीवन में पार्लियामेंट्री इलेक्शन नहीं लड़ने का फैसला किया.
शनिवार को बाढ़ सामुदायिक भवन के उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बाढ़ लोकसभा क्षेत्र हटने से उन्हें काफी दुःख हुआ था. बाढ़ के क्षेत्र से उनका काफी आत्मीय संबंध रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि परिसीमन के बाद जब बाढ़ लोकसभा क्षेत्र का अस्तित्व खत्म हो गया तो उन्हें इस बात का काफी दुःख हुआ. सीएम ने कहा कि "बाढ़ लोकसभा क्षेत्र हटने से उन्हें काफी दुःख हुआ. उसके बाद से ही हमने यह निर्णय ले लिया कि लोकसभा का चुनाव कभी नहीं लड़ूंगा. बाढ़ से मेरा क्या लगाव रहा है और मैंने बाढ़ के लिए क्या किया है, ये सबको मालूम है. प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई की सरकार में मैं केंद्र में मंत्री था. बाढ़ इलाके में मैं काफी घूमा करता था. मैं एक दिन में 12 किलोमीटर घूमा करता था. एक दिन मैं 16 किलोमीटर घूमा था."
सीएम नीतीश ने कहा कि "जब मैं केंद्र में मंत्री था. तब मैंने टाल के क्षेत्र की समस्याओं के समाधान के लिए शुरुआत कराई. बाद में जब ललन सिंह मंत्री बने तो उन्होंने कुछ काम कराया. आज बाढ़ के इलाके में बहुउद्देशीय सभागार का निर्माण कराया जा रहा है. बाढ़ में सामुदायिक भवन बनने से मीटिंग हॉल बड़ा हो गया है. इसमें किचन से लेकर तमाम सुविधाएँ दी गई हैं."
गौरतलब हो कि 2004 में 14वीं लोक सभा चुनाव बाढ़ संसदीय क्षेत्र के लिये अंतिम चुनाव साबित हुआ था. इस सीट से लगातार पांच बार 1989, 1991, 1996, 1998 और 1999 में लोकसभा चुनाव जीतने वाले नीतीश कुमार साल 2004 में लालू यादव के उम्मीदवार विजयकृष्ण से चुनाव हार गए थे. तब नीतीश तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री थे. केंद्रीय मंत्री नीतीश कुमार को हराकर राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवार विजयकृष्ण ने बाढ़ लोकसभा क्षेत्र से अंतिम सांसद होने का रिकार्ड अपने नाम दर्ज किया.
उस वक्त राजनीतिक विश्लेषकों का मानना था कि सम्भावित हार को देखते हुए नीतीश कुमार ने दो लोकसभा क्षेत्रों बाढ़ और नालंदा से चुनाव लड़ने का फैसला लिया था. क्योंकि विश्लेषकों का मत रथा कि साल 1999 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार और विजयकृष्ण के बीच कांटे की टक्कर हुई थी. 1999 के लोकसभा चुनाव में नीतीश इस सीट पर हारते-हारते बचे थे. वे वाजपेयी सरकार में मंत्री थे. लेकिन उस समय बिहार में राबड़ी देवी की सरकार थी. राजद मजबूत स्थिति में था. तब तक नीतीश और लालू में आर-पार की लड़ाई शुरू हो चुकी थी. नीतीश कुमार मात्रा 1335 वोटों के मामूली अंतर से ही जीत पाये थे. इन्हीं कारणों से नालंदा के तत्कालीन सांसद और रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नांडिस यहां से चुनाव नहीं लड़ सके थे.
गैरतलब हो कि नीतीश कुमार 1989 में पहली बार बाढ़ संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने गये थे. पहली बार सांसद बने और केन्द्र में मंत्री भी बने थे. प्रधानमंत्री वी पी सिंह के मंत्रिपरिषद में उन्हें कृषि राज्यमंत्री के रूप में शामिल किया गया था. इसके बाद ही वे राष्ट्रीय राजनीति में पहचान बन गए. नीतीश कुमार लगातार पांच बार 1989,1991,1996,1998 और 1999 में यहां से सांसद चुने गए थे.