पटना में नगर निगम की लापरवाही से खुला मेनहोल बना जानलेवा, नाले में गिरा बच्चा पहली उड़ान बनी आखिरी सफर, सऊदी नौकरी पर निकले युवक ने फ्लाइट में दम तोड़ा, विदेश में नौकरी का सपना रह गया अधूरा जमुई में नक्सलियों की बड़ी साजिश नाकाम, जंगल से 24 सिलेंडर बम बरामद भागलपुर-हंसडीहा मुख्य मार्ग पर भीषण सड़क हादसा, महिला की मौत, 6 की हालत गंभीर Patna News: पटना एयरपोर्ट के लिए जारी हुआ नया आदेश, उल्लंघन किया तो होगी कड़ी कार्रवाई बेगूसराय में टला बड़ा हादसा: चलती ट्रेन के इंजन में लगी आग, यात्रियों ने कूदकर बचायी अपनी जान गांधी सेतु पर ट्रक और पिलर के बीच फंसा बाइक सवार, ट्रैफिक पुलिस ने किया रेस्क्यू AI in election: AI की चालबाज़ी से उलझे बिहार के वोटर! फर्जी कॉल्स-Deepfake से फैला भ्रम, अब चुनाव आयोग कसेगा शिकंजा! प्यार के लिए लड़का बना लड़की, अब पति किन्नर से शादी की जिद पर अड़ा Bihar politics : तेजस्वी ने किया 'महिला संवाद' पर हमला, जदयू का पलटवार...क्या महिलाओं की तरक्की से डरते हैं नेता प्रतिपक्ष?
02-Mar-2020 05:55 PM
PATNA : अभी-अभी बड़ी खबर आ रही है। राज्य निर्वाचन आयोग ने आरा शहर के पूर्व महापौर प्रियम देवी की सदस्यता समाप्त कर दी है। पूर्व महापौर की सदस्यता समाप्त किए जाने से भोजपुर के जिला निर्वाचन पदाधिकारी, नगर आयुक्त और सदर अनुमंडल पदाधिकारी के रिपोर्ट पर भी सवाल खड़े हो गये हैं।
राज्य के मुख्य निर्वाचन आयुक्त अशोक कुमार चौहान द्वारा दिए गए 10 पन्नों का जजमेंट में आज आरा शहर के पूर्व महापौर प्रियम की सदस्यता को समाप्त कर दिया गया है साथ ही अपने आदेश में उन्होनें यह भी उल्लेखित किया कि आज से यह पद नियमानुसार रिक्त हो गया और इसे भरने की करवाई की जाए।
वर्तमान में आरा नगर निगम के वार्ड नंबर-44 की पार्षद प्रियम पर आरोप लगा था कि उन्होनें पद का दुरुपयोग करते हुए एक भवन का अनापत्ति प्रमाण नहीं लिया था। इस मामले में उनपर कई गंभीर आरोप लगे थे। नगरपालिका निर्वाचन नियमावली 2017 के मुताबिक भवन का अनापत्ति प्रमाण पत्र पूर्व महापौर प्रियम द्वारा नहीं लिया गया और अपने नाम निर्देशन पत्र में भी नहीं लगाया गया और तथ्य को छुपाया गया। भवन का कर निर्धारण भी प्रियम के द्वारा नहीं कराया गया। जबकि वर्ष 2014 से ही नगर निगम में होल्डिंग स्वामी को अपने होल्डिंग के कर निर्धारण हेतु स्व कर प्रपत्र भर कर निगम कार्यालय में जमा करने का आदेश सरकार के दिशा निर्देश पर लागू है।वहीं इस मामले में अब सदस्यता रद्द होने के बाद जिला निर्वाचन पदाधिकारी, सदर अनुमंडल पदाधिकारी और नगर आयुक्त की के रिपोर्ट पर भी सवाल खड़ा कर दिया है।