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24-Dec-2024 12:11 AM
केंद्र सरकार ने शिक्षा व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण बदलाव का ऐलान किया है। अब कक्षा पांच और आठ में भी बच्चों को फेल किया जाएगा। पहले बच्चों को आठवीं कक्षा तक फेल नहीं किया जाता था, लेकिन अब उन बच्चों को जो वार्षिक परीक्षा में फेल हो जाएंगे, दो महीने के भीतर फिर से परीक्षा में बैठने का अवसर मिलेगा। अगर फिर भी वे परीक्षा में असफल रहते हैं, तो उन्हें उसी कक्षा में दोबारा पढ़ाई करनी होगी और अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा।
पहले की नीति: नो डिटेंशन पॉलिसी
पिछले कुछ सालों से कक्षा पांच और आठ तक बच्चों को फेल नहीं करने का प्रावधान था, जिसे "नो डिटेंशन पॉलिसी" कहा जाता था। यह नीति 2009 में लागू शिक्षा के अधिकार अधिनियम का हिस्सा थी, जिसमें छात्रों को बिना परीक्षा में फेल हुए अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाता था। इस नीति के तहत, छात्रों को सतत और व्यापक मूल्यांकन के आधार पर प्रमोट किया जाता था। हालांकि, इसके कारण शिक्षा स्तर में गिरावट देखी गई, खासकर 10वीं और 12वीं कक्षा के बोर्ड परीक्षाओं में।
नई व्यवस्था: दोबारा परीक्षा का अवसर
अब, कक्षा पांच और आठ में फेल होने वाले छात्रों को दोबारा परीक्षा देने का मौका मिलेगा। दो महीने के भीतर उन्हें एक और अवसर दिया जाएगा, और यदि इस बार भी वे असफल होते हैं, तो उन्हें फेल कर दिया जाएगा। इसके बाद उन्हें उसी कक्षा में पढ़ाई करनी होगी। इस नीति के तहत, बच्चों को सुधार का एक मौका मिलेगा और टीचर उन्हें व्यक्तिगत ध्यान देंगे, साथ ही पेरेंट्स को भी समय-समय पर गाइड किया जाएगा।
फेल होने वाले बच्चों के लिए विशेष ध्यान
नई नीति के तहत, फेल होने वाले बच्चों को सुधार के लिए विशेष ध्यान दिया जाएगा। टीचर्स बच्चों के प्रदर्शन पर खास ध्यान देंगे और सुधार के लिए रणनीतियाँ तैयार करेंगे। इसके अलावा, पेरेंट्स को भी बच्चों की प्रगति के बारे में मार्गदर्शन दिया जाएगा ताकि उनकी मदद से बच्चे बेहतर कर सकें।
यह बदलाव भारतीय शिक्षा व्यवस्था को सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और इसके माध्यम से सरकार शिक्षा का स्तर ऊंचा करने की कोशिश कर रही है।