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18-Nov-2024 12:23 PM
By First Bihar
MOTIHARI: बिहार में धर्मांतरण का खेल कोई नया नहीं है, अक्सर इस तरह के मामले सामने आते रहे हैं। हाल ही में बक्सर से एक तस्वीर सामने आई थी, जिसमें हिंदू महिलाओं का सिंदूर गंगा में धूलवाकर उनका ईसाई धर्म में धर्मांतरण कराया जा रहा था। अब पूर्वी चंपारण के मोतिहारी में धर्मांतरण का खेल खेला जा रहा है।
दरअसल, मोतिहारी के ग्रामीण इलाकों में ईसाई मिशनरी की नई पाठशाला लगाकर गुपचुप तरीके से लोगों को प्रार्थना के नाम पर ब्रेन बॉश किया जा रहा है। पकडीदयाल अनुमंडल के सिरहा पंचायत में धर्मांतरण की पाठशाला चुपके चुपके लगाई जा रही है। इस पाठशाला में अनुमंडल के मधुबन, चैता,कटास,मझार, बहुआरा, राजेपुर, तेतरिया सहित दर्जनों गांव के दलित और कमजोर वर्ग के लोगों को सॉफ्ट टारगेट किया जा रहा है।
हर रविवार को विशेष प्रार्थना के नाम पर महिलाओं को बच्चों को टेंपो से बैठाकर चर्च लाया जा रहा है। गांव के लोग बताते हैं कि पहले ऐसा नहीं होता था लेकिन इन दिनों इस तरह की गतिविधियां काफी बढ़ गई हैं और खास तौर पर ईसाई मिशनरी के गरीब दलित शोषित समाज के लोगों को लालच से देकर ग्रामीण परिवेश की दलित और पिछली समाज की महिलाओं को ही टारगेट करके बुलाते है।
जानकारी के अनुसार, गांव के ही उपेंद्र यादव जो पेशे से डॉक्टर थे, उन्होने सबसे पहले ईसाई धर्म ग्रहण किया और अपने घर के बगल में ही दो कट्ठा जमीन चर्च के नाम रजिस्ट्री किया। उक्त जमीन में चर्च बना है। उसके बाद अपने बेटे आनंद और विजय को भी इसमें शामिल कराया। जिसके बाद अब केवल सिरहा पंचायत के तकरीबन 20 से 25 लोग ने ईसाई धर्म ग्रहण कर लिया है जबकि अनुमण्डल में यह संख्या 500 से ज्यादा हो गया है।
वहीं सिरहा पंचायत के इटावा गाव के गणेशा राम, जिन्होंने पहले ईसाई धर्म ग्रहण किया था लेकिन पिछले दिनों फिर उन्होंने ईसाई धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपना लिया। गणेशा राम ने बताया कि उन्होंने ईसाई धर्म में अपना धर्म परिवर्तन कर लिया था लेकिन फिर बाद में परिवार के लोगों के कहने पर और अपनी इच्छा से हिंदू धर्म में लौटने का काम किया। धर्मांतरण के इस खेल को लेकर इलाके के लोग काफी चिंतित हैं।
रिपोर्ट- सोहराब आलम