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31-Mar-2021 06:51 PM
PATNA : बिहार में पंचायत चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं. मुखिया, सरपंच, जिला पार्षद और वार्ड सदस्य समेत कई पदों पर एक साथ चुनाव होने वाला है. चुनाव से पहले मुखिया, सरपंच और वार्ड सदस्यों की परेशानी बढ़ गई है. क्योंकि सरकार के फैसले से उनका चुनाव लड़ना मुश्किल हो गया है. 19 मुखिया, 30 सरपंच और 677 वार्ड सदस्यों के चुनाव लड़ने पर खतरा मंडराने लगा है.
भोजपुर जिले की डेढ़ दर्जन से अधिक मुखिया और ढाई दर्जन से अधिक सरपंच पर तलवार लटकी है. जबकि साढ़े 600 से अधिक वार्ड सदस्य भी बड़ी मुश्किल में हैं. इस लापरवाही के लिए जिम्मेवार प्रखंड विकास पदाधिकारी भी कार्रवाई की जद में है. केंद्र और राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं के मद में आवंटित राशि की अवधि गुजर जाने के बाद भी ऑडिट नहीं कराना इन पंचायत प्रतिनिधियों को महंगा पड़ सकता है. यह खुलासा भोजपुर जिले में ऑडिट करने के लिए अधिकृत गोयल परूल एंड कंपनी सीए के प्रतिनिधि के एक रिपोर्ट से हुआ है.
आपको बता दें कि गोयल एंड परूल कंपनी के प्रतिनिधि ने उप विकास आयुक्त को लिखे पत्र में उल्लेख किया है कि उपरोक्त ग्राम पंचायतों के मुखिया, सरपंच और वार्ड सदस्य विभिन्न योजनाओं के मद में आवंटित राशि का 17 माह बाद भी ऑडिट नहीं करा पाए हैं. इसके लिए संबंधित प्रखंडों के प्रखंड विकास पदाधिकारी भी अपने उत्तरदायित्व के प्रति रुचि नहीं दिखा रहे हैं, जिसके चलते बड़े पैमाने पर जिले में ऑडिट का कार्य बाधित हो गया है. इसके लिए उप विकास आयुक्त और पंचायती राज विभाग द्वारा कई स्मार पत्र भी भेजा गया है. परंतु ऑडिट के प्रति कोई रुचि नहीं ले रहा है. नतीजा धीरे-धीरे गंभीर होता जा रहा है और ऑडिट नहीं कराने वाले ग्राम पंचायत, ग्राम कचहरी और वार्ड सदस्य के प्रतिनिधि सरकार में ऑडिट रिपोर्ट नहीं भेजे जाने की स्थिति में चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.
भोजपुर जिले के मखदुमपुर डुमरा, हसनपुरा, गोठहूला, खवासपुर, सोहरा, सहार, खंडोल, बामपाली, कारीसाथ, कसाप, दोघरा, अमई, एयार, जितौरा जंगल महाल, खननी कला, तार, बसौरी, कुरमुरी, शंकरडीह के मुखिया पर तलवार लटकी है. इसके आलावा डिलिया, नोनार, रतनाढ़, दौलतपुर, हसनपुरा, खजुरिया, बलुआ, फरना, पूर्वी गुंडी, सिन्हा, बीरमपुर, दौलतपुर, धनडीहा, कायमनगर, मथुरापुर, मसाढ़, गोडाढ़- रुद्रनगर, कल्याणपुर, बाबूबांध, कोयल, नगरी, ठकुरी, गड़हनी, हेतमपुर, कातर, बागर, बसौरी, जेठवार, करथ, मोआप खुर्द के सरपंच पर भी संकट बरक़रार है.
इन्होंने 12वीं वित्त योजना, 13वीं वित्त योजना, 14वीं वित्त योजना, चतुर्थ राज्य वित्त योजना, बीआरजीएफ, मुख्यमंत्री ग्रामोदय योजना, पंचम राज्य वित्त योजना, ग्राम पंचायत प्रतिनिधि भत्ता, पंचायत समिति प्रतिनिधि भत्ता, राष्ट्रीय ग्राम स्वराज योजना, ग्राम कचहरी की सभी योजनाएं अदि योजनाओं का ऑडिट नहीं हुआ है.
गौरतलब हो कि मुखिया और वार्ड सदस्यों के लिए 31 मार्च तक की समय सीमा तय की गई थी. पंचायती राज विभाग ने साफ कहा है कि जिन पंचायतों के मुखिया या वार्ड सदस्यों द्वारा 31 मार्च तक ग्राम पंचायतों को दी गयी राशि का ऑडिट रिपोर्ट 31 मार्च तक नहीं सौंपी जायेगी, उनको अगले पंचायत चुनाव के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जायेगा. यानी कि वे चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. उन्हें चुनाव में खड़ा होने का मौका नहीं दिया जायेगा.
नीतीश सरकार ये भी कह चुकी है कि जिन वार्डों में और पंचायतों में नल जल योजना और पक्की-गली नाली का काम पूरा नहीं किया गया हो, वहां के मुखिया भी अयोग्य करार हो जायेंगे और वे भी चुनाव लड़ने से वंचित रह जायेंगे. पंचायतों को 14 वित्त आयोग की अनुशंसा और पंचम राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा पर पांच वर्षों तक राशि दी गई है. पंचायतों को दी गयी राशि का अभी तक विभाग के करीब 25 हजार करोड़ का उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं मिला है. ग्राम पंचायतों में पक्की गली-नाली और हर घर नल का जल योजना को पूरा करने की जिम्मेदारी वार्ड विकास और प्रबंधन कमेटी को सौंपी गयी है.