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24-Jan-2024 07:11 AM
By First Bihar
PATNA : बिहार की राजनीति के बारे में थोड़ी सी जानकारी रखने वाला यह बात बहुत ही अच्छी तरह से जानता होगा कि कर्पूरी ठाकुर कौन थे और इनका यहां की राजनीति में कितना अहम योगदान रहा है। इनके इन्हीं कामों की वजह से जननायक की उपाधि दी गई थी। उन्होंने पिछड़े वर्गों के हितों की वकालत की और मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान विभिन्न गरीब समर्थक पहलों को लागू किया, जिसमें भूमि सुधार और वंचितों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से नीतियां शामिल थीं। आज इनके इन्हीं नीतियों की वजह से भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने का निर्णय लिया गया है। लेकिन, इनसे पहले भी बिहार के चार ऐसे विभूति रहे हैं जिन्हें भारत रत्न दिया गया है।
कर्पूरी से पहले बिहार के 4 विभूतियां जिन्हें मिला सर्वोच्च नागरिक सम्मान
बिहार की विभूति डा. विधानचंद्र राय, देश के पहले राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद, सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन के जनक जेपी और शहनाई के जादूगर उस्ताव बिस्मिल्लाह खान भारत रत्न से सुशोभित हो चुके हैं। पटना में जन्म लेने वाले डॉ. विधानचंद्र रॉय को 1961 में भारत रत्न से नवाजा गया था। वहीं, स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को राजनैतिक और सामाजिक योगदान के लिए 1962 में भारत रत्न मिला।
उसके बाद लोकनायक जयप्रकाश नारायण को 1999 में भारत रत्न दिया गया था। वहीं, बिहार के बक्सर में जन्म लेने वाले मशहूर शहनाई वादक उत्साद बिस्मिल्लाह खां को 2001 में भारत रत्न दिया गया था और अब इस कड़ी को समृद्ध करते हुए अब भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर को दिया गया है। बिहार से जुड़ी इन सभी विभूतियों को मरणोपरांत भारत रत्न मिले हैं।
मालूम हो कि, समाजवादी आंदोलन के पुरोधा जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग लंबे समय से की जा रही है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यकाल में जननायक को भारत रत्न देने का प्रस्ताव कई बार केंद्र सरकार को भेजा जा चुका है। जननायक के निधन के बाद से लेकर अब तक आधा दर्जन से अधिक बार विधानमंडल की ओर से सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित कर केंद्र से भारत रत्न देने की मांग की जा चुकी है। इसमें पांच बार तो नीतीश सरकार ने ही इसकी अनुशंसा केन्द्र सरकार से की है। इसके अलावा कई गैर सरकारी संगठनों की ओर से भी जननायक को भारत रत्न देने की मांग की जाती रही है। अब आकर यह निर्णय लिया गया है कि कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिया जाएगा।
उधर, इस फैसले पर उनके बेटे रामनाथ ठाकुर ने कहा कि यह 34 साल की तपस्या का फल है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री को भी इस बारे में चिट्ठी लिखी थी। 34 साल का संघर्ष है तब जाकर उनके पिता कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री से उन्होंने यह सम्मान दिए जाने की मांग की थी तो कोई जवाब तो नहीं दिया था लेकिन अब इसका ऐलान किया है तो इससे वह काफी खुश हैं। रामनाथ ठाकुर ने कहा कि बहुत खुशी है कि उनके पिता को भारत रत्न सम्मान दिया जा रहा है, जो कि देश का सर्वश्रेष्ठ सम्मान माना जाता है।