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27-Apr-2023 04:13 PM
By Srikant Rai
MADHEPURA: पूर्व सांसद व बाहुबली आनंद मोहन सहरसा जेल से रिहा हो गये हैं। गुरुवार की अहले सुबह आनंद मोहन की रिहाई की खबर मिलते ही उनके समर्थक खुशी से झूम उठे। अपने नेता की रिहाई के बाद समर्थकों ने एक दूसरे को मिठाईयां खिलाकर अपनी खुशी का इजहार किया। आनंद मोहन के समर्थकों ने इस दौरान जमकर आतिशबाजी भी की और जिंदाबाद का नारा लगाते हुए कहा कि जेल का फाटक टूट गया आनंद मोहन छूट गया।
मधेपुरा जिला फ्रेंड्स ऑफ आनंद के कार्यकर्ताओं ने एक सुर में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को शुक्रिया कहा। क्योंकि उन्होंने हाल ही में जेल नियमों में संशोधन करके आनंद मोहन की रिहाई को मुमकिन बनाया। मधेपुरा में आनंद मोहन के समर्थकों ने अपने नेता की रिहाई पर जमकर पटाखे फोड़े और खूब मिठाइयां बांटी। समर्थकों ने कहा कि शेर-ए-बिहार आनंद मोहन हुए आजाद उनका स्वागत, बिहार सरकार को भी आभार, बुलंद आवाज की होगी आगाज।
मधेपुरा जिला फ्रेंड्स ऑफ आनंद के कार्यकर्ताओं का कहना था कि आनंद मोहन की रिहाई की खबर सुनते ही मन खुशी से झूम उठा। इस खुशी से हम सब की नींदें भी गायब हो गयी। आनंद मोहन की रिहाई के बाद हमलोग आजादी महसूस कर रहे हैं।
समर्थकों ने कहा कि कुछ लोग शेर-ए-बिहार की रिहाई का विरोध कर रहे हैं। लोकतंत्र में सबकों विरोध करने का अधिकार है। आनंद मोहन जेल से निकले हैं कई लोगों की दुकाने बंद होने जा रहा है। इसलिए विरोध कर रहे हैं। समर्थकों का कहना था कि जब आनंद मोहन जेल में थे तब उनके परिवार का हाल जानने तक कोई नहीं आया। लेकिन फ्रेंड्स ऑफ आनंद उनके साथ थे और आगे भी साथ रहेंगे।
फ्रेंड्स ऑफ आनंद के नेताओं का कहना था कि आनंद मोहन सवर्णों के नेता है। रिहाई की खबर के बाद कई कैदी अनशन पर बैठ गये हैं क्योंकि जेल में रहते हुए वे कैदियों की सेवा करते रहे हैं। कैदी इस बात से दुखी हैं कि अब उनका क्या होगा। उनके दुख दर्द को कौन सुनेगा।
कार्यकर्ताओं ने कहा कि न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हैं उनके प्रति आभार व्यक्त करते हैं। साढ़े पन्द्रह वर्षों के बाद वे जेल से बाहर निकले हैं। जेल में रहते हुए उन्होंने कई किताबे लिखी है। आनंद मोहन जी में बहुत परिवर्तन हुआ है। उनकी रिहाई को राजनैतिक चश्मे से लोग देख रहे हैं।
सुशील मोदी पर हमला बोलते हुए फ्रेंड्स ऑफ आनंद के नेताओं ने कहा कि जब सुशील मोदी सरकार में थे तब वे खुद आनंद मोहन की रिहाई की पैरवी करते थे और आज जब उनकी सरकार बिहार में नहीं रही तब इसका विरोध कर रहे हैं। इस तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए।