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                            06-Feb-2020 09:25 AM
ARA : जम्मू कश्मीर में तीन आतंकियों को मार गिराने के बाद शहीद हुए सीआरपीएफ के रमेश रंजन के गांव के लोगों को अब भी उनके चले जाने का यकीन नहीं हो रहा है। भोजपुर जिले के जगदीशपुर के इसाढ़ी देव टोला में हर तरफ सन्नाटा पसरा है। परिवार के साथ साथ गांव के भी लोग भी गमगीन है लेकिन किसी को अब तक इस बात का यकीन नहीं हो रहा है कि सबका चहेता रमेश अब इस दुनिया में नहीं है। जम्मू कश्मीर के लवेपोरा इलाके में आतंकियों और सीआरपीएफ के बीच मुठभेड़ के दौरान रमेश रंजन वीरगति को प्राप्त हुए थे। हालांकि उन्होंने शहीद होने से पहले तीन आतंकियों को मार गिराया था।
जम्मू कश्मीर में आतंकियों से मुठभेड़ के पहले रमेश रंजन की बातचीत उनके पिता से हुई थी। तब पिता राधा मोहन सिंह को इस बात की भनक नहीं थी कि थोड़ी देर में उनका बेटा शहीद हो जाएगा। रमेश रंजन लगभग 1 महीने पहले छुट्टियों में अपने घर आए थे। 30 साल के शहीद रमेश रंजन का चला जाना उनके परिवार के लिए बड़ी त्रासदी है बावजूद रमेश के पिता ने अपने बेटे के शहीद होने पर गर्व जताया है। रमेश रंजन अपने गांव के लोगों के चहेते थे। एक मिलनसार युवा जो देश की किस सेवा का जज्बा लिए सीआरपीएफ में बहाल हुआ था।
शहीद रमेश रंजन केक कमांडर ने घरवालों को फोन करके उनकी वीरता। की कहानी बताएं। कमांडर नहीं बताया था कि रमेश रंजन को भी। मुठभेड़ के दौरान गोली लगी है। लेकिन उसके थोड़े ही देर बाद उनके शहीद हो जाने की खबर आई। शहीद रमेश रंजन ने। 9 साल पहले सीआरपीएफ को अपनी सेवाएं देनी शुरू की थी। उनकी पहली पोस्टिंग, संबलपुर उड़ीसा में हुई और उसके बाद जम्मू-कश्मीर में वह अक्सर अपने परिवार वालों से कहा करते थे कि घाटी में आतंकियों पर हम भारी पड़ रहे हैं.. हमें बहुत मुस्तैद रहना है.. देश के लिए हमेशा मुस्तैद.