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30-Oct-2025 09:56 AM
By First Bihar
Nameless Railway Station: भारतीय रेलवे में हर स्टेशन का एक नाम होता है जो यात्रियों को दिशा देता है और टिकट बुक करने में उनकी मदद करता है। लेकिन सोचिए, अगर कोई स्टेशन ही बिना नाम का हो तो क्या होगा? जी हां, पश्चिम बंगाल में ऐसा एक अनोखा स्टेशन मौजूद है, जहां सालों से ट्रेनें रुकती हैं, यात्री चढ़ते-उतरते हैं और टिकट काउंटर भी खुला रहता है। बर्धमान से महज 35 किलोमीटर दूर यह जगह दो गांवों के बीच नाम को लेकर चले विवाद की वजह से आज भी 'बेनाम' बनी हुई है। लोग इसे पीले रंग के खाली साइनबोर्ड से पहचानते हैं, यही पीला बोर्ड स्टेशन की अनोखी पहचान बन गया है।
यह स्टेशन साल 2008 से चालू है और रोजाना कई पैसेंजर ट्रेनें व मालगाड़ियां यहां से गुजरती हैं। हालांकि सिर्फ बांकुड़ा-मासाग्राम पैसेंजर ट्रेन ही यहां रुकती है, बाकी एक्सप्रेस गाड़ियां बिना रुके निकल जाती हैं। टिकट काउंटर यहां मौजूद है, जहां से यात्री टिकट खरीदते हैं, लेकिन हैरानी की बात यह कि टिकट पर 'रैनागर' नाम छपा होता है। दरअसल, रेलवे ने शुरू में स्टेशन का नाम रैनागर ही रखा था, मगर स्थानीय लोगों ने इस पर ऐतराज जताया। मामला कोर्ट पहुंच गया और फैसला लंबित होने से नामकरण अटक गया। तब से बोर्ड खाली पड़ा है और स्टेशन बेनाम चल रहा है।
इसके विवाद की जड़ दो पड़ोसी गांवों की आपसी रंजिश है। एक गांव चाहता है कि नाम उसके हिसाब से हो, दूसरा अपनी मर्जी थोपना चाहता है। नतीजा यह कि यात्रियों को टिकट पर पुराना नाम देखकर ही काम चलाना पड़ता है। स्टेशन सप्ताह में छह दिन खुला रहता है, लेकिन रविवार को बंद हो जाता है। वजह यह कि ट्रेन मास्टर को टिकटों का हिसाब करने बर्धमान शहर जाना पड़ता है। आसपास के लोग इस स्टेशन से रोजमर्रा का सफर करते हैं और उनके लिए यह सुविधा का जरिया बना हुआ है, भले ही इसका कोई नाम न हो।