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12-Oct-2025 08:42 AM
By First Bihar
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सबसे ज्यादा चर्चा जिस विधानसभा सीट को लेकर है, वह है मोकामा। यह सीट हमेशा से ही बाहुबल और राजनीति के संगम का केंद्र रही है। इस बार भी यहां मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है, क्योंकि एक ओर हैं मोकामा के बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह, जबकि दूसरी तरफ मोकामा ही नहीं देश की राजनीति में दादा के नाम महशूर सूरजभान सिंह भी मोकामा के मैदान में आने वाले हैं । राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि सूरजभान सिंह की पत्नी और पूर्व सांसद वीणा देवी आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ सकती हैं, जिससे इस सीट पर सियासी समीकरण पूरी तरह बदल सकते हैं।
मोकामा सीट पर अनंत सिंह का दबदबा पिछले दो दशकों से कायम है। वे 2005 से अब तक इस सीट से लगातार पांच बार चुनाव जीत चुके हैं पहले तीन बार जदयू (JDU) से, फिर एक बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में और हाल ही में 2020 में राजद (RJD) के टिकट पर। हालांकि, 2022 में आर्म्स एक्ट के मामले में सजा मिलने के बाद उन्हें विधानसभा से अयोग्य ठहराया गया, जिसके बाद उपचुनाव में उनकी पत्नी नीलम देवी को मैदान में उतारा गया। नीलम देवी ने राजद के टिकट पर जीत हासिल कर यह साबित किया कि अनंत सिंह का प्रभाव अब भी इस सीट पर कायम है।
मोकामा विधानसभा सीट पटना जिले के अंतर्गत आती है और यहां की आबादी में भूमिहार, यादव, कुर्मी और अति पिछड़ा वर्ग के मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। अनंत सिंह का आधार मुख्य रूप से भूमिहार समुदाय में मजबूत है, लेकिन उन्होंने वर्षों में अन्य वर्गों में भी अच्छी पैठ बनाई है।
अब मोकामा की सियासत में एक और बड़ा नाम वापसी की तैयारी कर रहा है सूरजभान सिंह। “दादा” नाम से मशहूर सूरजभान का राजनीति और बाहुबल दोनों में गहरा प्रभाव रहा है। वे 2004 में बलिया (बिहार) से लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के सांसद रह चुके हैं। बाद में उनकी पत्नी वीणा देवी ने 2014 में मुंगेर से और उनके भाई चंदन सिंह ने 2019 में नवादा से लोजपा के टिकट पर जीत दर्ज की थी।
सूत्रों के मुताबिक, सूरजभान सिंह और उनका परिवार राजद (RJD) में शामिल होने जा रहा है। पहले यह कार्यक्रम शनिवार को होना था, लेकिन अब इसे रविवार के लिए तय किया गया है। तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव की मौजूदगी में सूरजभान सिंह, उनकी पत्नी वीणा देवी और भाई चंदन सिंह राजद में शामिल होंगे। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि वीणा देवी के मैदान में उतरने से मोकामा सीट पर रोचक मुकाबले की संभावना बढ़ जाएगी।
मोकामा सीट का चुनावी गणित काफी हद तक भूमिहार वोट बैंक पर टिका रहता है। अनंत सिंह खुद इसी समुदाय से आते हैं, जबकि सूरजभान सिंह भी भूमिहार समाज के प्रभावशाली नेता हैं। ऐसे में इस बार का मुकाबला “भूमिहार बनाम भूमिहार” का हो सकता है। हालांकि, यदि सूरजभान परिवार राजद में शामिल होता है और वीणा देवी को टिकट मिलता है, तो यह पार्टी के लिए एक रणनीतिक दांव माना जाएगा। इससे न केवल अनंत सिंह की पारंपरिक पकड़ को चुनौती मिलेगी, बल्कि राजद को भी ऊंची जातियों में नई पैठ बनाने का मौका मिलेगा।
सूरजभान सिंह का राजनीतिक नेटवर्क सिर्फ मोकामा तक सीमित नहीं है। उनका प्रभाव मुंगेर, नवादा, पटना, बलिया और आसपास के जिलों में भी फैला हुआ है। वे हमेशा से रामविलास पासवान की लोजपा के करीबी माने जाते रहे हैं, लेकिन चिराग पासवान गुट और पशुपति पारस गुट के बीच हुए विवाद के बाद उन्होंने अपनी राजनीतिक दिशा बदल ली। राजद में शामिल होकर वे तेजस्वी यादव के साथ गठजोड़ के जरिए एक नई सियासी पहचान बनाने की कोशिश में हैं।
2025 के चुनाव में मोकामा की सीट एक हाई-प्रोफाइल राजनीतिक अखाड़ा बनने जा रही है। एक तरफ अनंत सिंह का पुराना जनाधार और दबदबा रहेगा, वहीं दूसरी ओर सूरजभान परिवार का प्रभाव, अनुभव और नेटवर्क। अब यह मुकाबला बिहार की सबसे चर्चित लड़ाई बन सकता है, क्योंकि इसमें न केवल बाहुबल और राजनीतिक शक्ति का टकराव है, बल्कि जातीय समीकरणों, संगठनात्मक रणनीतियों और नेतृत्व की परीक्षा भी होगी। चाहे जीत किसी की भी हो, मोकामा विधानसभा 2025 में बिहार की राजनीति का हॉटस्पॉट बनने जा रही है। यह सीट न सिर्फ स्थानीय सियासत को, बल्कि पूरे राज्य के चुनावी नैरेटिव को प्रभावित करेगी।