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06-Nov-2025 10:20 AM
By First Bihar
Mokama Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में मोकामा विधानसभा सीट वह “हॉट सीट” बन चुकी है, जहाँ राजनीतिक रंग, बाहुबली हलचल और वोटरों का उत्साह तीनों मिल रहे हैं। सुबह के समय मतदाता काफी संख्या में पहुंच रहे हैं और आज सुबह तक इस सीट पर लगभग 13.01 % मतदान दर्ज किया गया है।
दो बाहुबालियों का आमना-सामना
मोकामा में इस बार मुकाबला सीधे तौर पर दो बाहुबली नेताओं के बीच हो रहा है — एक ओर हैं चार बार विधायक और प्रभावशाली नेता अनंत सिंह (जदयू), और दूसरी ओर हैं बाहुबली माने जाने वाले सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी (राजद) अनंत सिंह को क्षेत्र में “छोटे सरकार” के नाम से जाना जाता है और उनका सामाजिक-राजनीतिक प्रभाव काफी पुराना है। जबकि वीणा देवी ने राजद के टिकट पर नामांकन किया है और उनका दावा है कि वे मोकामा को बदल सकते हैं। इस तरह, मोकामा में बाहुबली बनाम बाहुबली की टक्कर ने सियासी तापमान बढ़ा दिया है।
दुलारचंद यादव हत्याकांड और उसका असर
हालाँकि राजनीतिक अल्प-संख्या में, इस सीट की चर्चा में एक और बड़ा घटना शामिल हो चुकी है वह हैदुलारचंद यादव की हत्या। उनके निधन ने मोकामा में कानून-व्यवस्था, अपराध-राजनीति और जातीय समीकरण की चुनौतियों को फिर से उजागर किया है। घटना के बाद FIR दर्ज की गई है जिसमें अनंत सिंह सहित कुछ लोगो के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है। इसके बाद अनंत सिंह गिरफ्तार हुए। इसके बाद यह दावा किया जा रहा है की यहां वोटरों की गोलबंदी हुई है।
इस हत्या ने मोकामा के जातीय समीकरण (जैसे यादव-दानुक वोट बैंक) व बाहुबली राजनीति पर असर डाला है। इस घटना के मद्देनज़र, आज मोकामा में मतदान के दौरान वोटर उत्साह के साथ-साथ सतर्कता भी देखने को मिल रही है। मतदाता यह बताना चाह रहे हैं कि इस सीट पर कौन सा फॉर्मूला काम करेगा बाहुबली प्रभाव या विकास-एजेंडा। आज मतदान के दिन मोकामा में वोटरों का उत्साह स्पष्ट है। सुबह-सुबह से बूथों पर भीड़ दृष्टिगत है और 13 % से अधिक मतदान का आंकड़ा यह संकेत दे रहा है कि मतदाता इस मुकाबले को हल्के में नहीं ले रहे।
राजनीतिक पटल पर इसका मतलब है:
बाहुबली नेता अनंत सिंह अपनी पुरानी साख और क्षेत्रीय नेटवर्क पर भरोसा करते हैं लेकिन हत्या-मामले का दबाव भी उन पर बना हुआ है। दूसरी ओर, वीणा देवी बाहुबली परिवार के नाम और राजद के साथ गठबंधन का सहारा ले रही हैं, विकास-वंचित और शिक्षा-स्वास्थ्य जैसे स्थानीय मुद्दों सामने रख रही हैं। इसके अलावा दुलारचंद यादव हत्याकांड ने कानून-व्यवस्था का एजेंडा जोर से उभारा है, जिससे मतदाता आज सिर्फ वादों से नहीं, भरोसे से मतदान कर सकते हैं।
चुनावी नतीजे के मायने
मोकामा सीट की जित या हार सिर्फ इस क्षेत्र तक सीमित नहीं रहेगी — यह पुरानी बाहुबली राजनीति, विकास-उम्मीदों और जातीय समीकरण के बीच एक सिग्नल सीट बन चुकी है। आज अगर बाहुबली प्रभाव कमजोर पड़ता है, तो आने वाले चुनाव-चक्र में इस तरह की सीटों का नक्शा बदल सकता है। मतदाताओं में यह समझ भी दिखाई दे रही है कि वे सिर्फ वोट नहीं दे रहे — वे संदेश दे रहे हैं : “हम देख रहे हैं कि आपने क्या दिया, क्या दिया नहीं।” इस संदेश का असर मतगणना के बाद स्पष्ट होगा।
मोकामा में आज मतदान इसलिए ज्यादा सक्रिय और ध्यान-केंद्रित है क्योंकि यहां सिर्फ दो प्रत्याशी नहीं, बल्कि दो बाहुबली परिवारों की राजनीति, विकास बनाम प्रभुत्व, और नए-पुराने समीकरणों का आमना-सामना हो रहा है। हत्याकांड ने रंग तो बदल दिया है, लेकिन मुकाबला उतना ही तीव्र बना हुआ है। सुबह के 13 % से शुरू हुआ यह दिन, शाम तक यह तय करेगा कि मोकामा की मिट्टी किसके कदमों की गूंज उठायेगी।