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09-Nov-2025 08:57 AM
By Dhiraj Kumar Singh
Bihar Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव के बीच शुक्रवार को जमुई शहर राजनीतिक तनाव का केंद्र बन गया, जब राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रत्याशी शमशाद आलम के नेतृत्व में पार्टी कार्यकर्ताओं ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) की प्रत्याशी श्रेयसी सिंह के चुनाव कार्यालय के बाहर जोरदार हंगामा किया। इस दौरान नारेबाज़ी, पोस्टर फाड़ने और अफरातफरी की स्थिति ने पूरे शहर में तनाव का माहौल पैदा कर दिया।
चश्मदीदों के मुताबिक, यह जुलूस बिना किसी प्रशासनिक अनुमति के भाजपा कार्यालय के सामने से निकाला गया था। कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ ने “आरजेडी ज़िंदाबाद” और कई उकसावे भरे नारे लगाए। भीड़ ने भाजपा के बैनर और झंडे भी फाड़ डाले। कुछ देर के लिए स्थिति इतनी बिगड़ गई कि स्थानीय दुकानदारों ने अपने शटर गिरा दिए और सड़कें खाली हो गईं। करीब आधे घंटे तक उग्र भीड़ भाजपा कार्यालय के बाहर डटी रही। माहौल तब और गरमाया जब दोनों दलों के समर्थकों के बीच तीखी नोकझोंक शुरू हो गई। हालांकि, पुलिस के मौके पर पहुंचने से बड़ा टकराव टल गया।
पुलिस ने संभाला मोर्चा
मौके पर पहुंचकर एसडीपीओ, थाना प्रभारी, और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने हालात को नियंत्रित करने की कोशिश की। पुलिस ने भीड़ को चेतावनी दी, लेकिन जब समर्थक नहीं माने तो हल्का बल प्रयोग कर उन्हें पीछे हटाया गया। पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया और इलाके में अतिरिक्त सुरक्षा बल की तैनाती की। जमुई शहर के कई इलाकों में इस घटना के बाद तनाव व्याप्त हो गया। प्रशासन ने सतर्कता बरतते हुए भाजपा और आरजेडी दोनों कार्यालयों के आसपास पुलिस बल तैनात कर दिया है।
जमुई एसपी विश्वजीत दया का बयान
घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए जमुई के पुलिस अधीक्षक (एसपी) विश्वजीत दया ने स्पष्ट किया कि यह हंगामा किसी योजनाबद्ध राजनीतिक टकराव का परिणाम नहीं था, बल्कि तेजस्वी यादव की जनसभा से लौटते वक्त हुई एक अनियंत्रित स्थिति थी।
उन्होंने कहा—“हमें सूचना मिली थी कि तेजस्वी यादव की एक जनसभा थी। जब कार्यकर्ता वहां से लौट रहे थे, उसी दौरान भाजपा के जमुई स्थित कार्यालय के सामने कुछ असभ्य टिप्पणियां की गईं और माहौल बिगड़ गया। मौके पर थानेदार और सीडीपीओ मौजूद थे, जिन्होंने तुरंत स्थिति संभाली। जांच में जो बातें सामने आईं, उसके आधार पर एफआईआर दर्ज की गई है।”
एसपी ने यह भी कहा कि प्रशासन किसी भी सूरत में चुनावी माहौल को बिगड़ने नहीं देगा। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से संयम बरतने की अपील की और कहा कि “चुनाव लोकतंत्र का पर्व है, इसे हिंसा या उकसावे से कलंकित नहीं किया जाना चाहिए।”
प्रशासन की सख्ती और जांच शुरू
पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है। जिन लोगों ने हंगामे में भाग लिया था, उनकी पहचान के लिए वीडियो फुटेज और सोशल मीडिया क्लिप्स खंगाले जा रहे हैं। कई प्रत्यक्षदर्शियों के बयान भी लिए जा चुके हैं। एसपी विश्वजीत दया ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि आरजेडी समर्थकों ने बिना अनुमति के भाजपा कार्यालय के पास से जुलूस निकाला था। इस दौरान उकसावे भरे नारे लगाए गए, जिससे माहौल बिगड़ा। प्रशासन ने अब चुनाव आयोग को इस पूरे घटनाक्रम की रिपोर्ट सौंपने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
जनता में डर और नाराज़गी
घटना के बाद शहर में आम लोगों के बीच भय का माहौल देखा जा रहा है। दुकानदारों का कहना है कि ऐसी घटनाओं से व्यापार प्रभावित होता है और आम जनता असुरक्षित महसूस करती है। स्थानीय निवासी अमित कुमार ने कहा, “हम लोग शांति चाहते हैं। चुनाव में इस तरह का माहौल बनना ठीक नहीं है। पुलिस को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि दोबारा ऐसी स्थिति न हो।”दूसरी ओर, भाजपा समर्थक इसे लोकतंत्र पर हमला बता रहे हैं, जबकि आरजेडी कार्यकर्ता इसे “प्रचार के बहाने विरोधियों की राजनीति” करार दे रहे हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
भाजपा प्रत्याशी श्रेयसी सिंह ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि यह लोकतांत्रिक व्यवस्था पर हमला है और महिलाओं के प्रति अपमानजनक व्यवहार का उदाहरण भी। श्रेयसी ने प्रशासन से मांग की है कि दोषियों को तत्काल गिरफ्तार किया जाए। वहीं, आरजेडी की ओर से बयान जारी कर कहा गया है कि पार्टी का कोई कार्यकर्ता हिंसा में शामिल नहीं था। पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि “यह विरोधियों की साज़िश है जो चुनावी माहौल को बिगाड़ने के लिए गलत प्रचार कर रहे हैं।”
जमुई की यह घटना बिहार चुनाव के दौरान बढ़ती राजनीतिक गर्मी और प्रतिस्पर्धा की तीव्रता को उजागर करती है। हालांकि पुलिस प्रशासन ने समय रहते स्थिति को संभाल लिया, लेकिन यह सवाल अब भी कायम है कि क्या बिहार का चुनावी माहौल पूरी तरह शांतिपूर्ण रह पाएगा। एसपी विश्वजीत दया की सक्रियता और त्वरित कार्रवाई ने फिलहाल तनाव को थाम लिया है, लेकिन यह घटना एक चेतावनी है कि आने वाले दिनों में प्रशासन को और सख्ती बरतनी होगी ताकि लोकतंत्र का यह पर्व हिंसा के साए में न डूबे।