Bihar News: बिहार चुनाव के बीच करोड़ों की लागत से बना पुल धंसा, कांग्रेस बोली- जनता सब देख रही है, अब वोट से चोट करेगी Bihar News: बिहार चुनाव के बीच करोड़ों की लागत से बना पुल धंसा, कांग्रेस बोली- जनता सब देख रही है, अब वोट से चोट करेगी बेतिया में मिनीगन फैक्ट्री का खुलासा, हथियार और उपकरण के साथ बाप-बेटा गिरफ्तार Bihar Election 2025: ओवैसी के नेता के बिगड़े बोल, खुले मंच से तेजस्वी यादव की आंख, उंगली और जुबान काटने की दी धमकी Bihar Election 2025: ओवैसी के नेता के बिगड़े बोल, खुले मंच से तेजस्वी यादव की आंख, उंगली और जुबान काटने की दी धमकी Bihar Election 2025: 'बिहार में सड़कें नहीं थीं, लेकिन बम जरूर फेंके जाते थे', रवि किशन को याद आया जंगलराज का पुराना दौर Bihar Election 2025: 'बिहार में सड़कें नहीं थीं, लेकिन बम जरूर फेंके जाते थे', रवि किशन को याद आया जंगलराज का पुराना दौर Bihar Election 2025: चुनावी रंग में रंगा बिहार, पटना पहुंचकर क्या बोलीं चुनाव आयोग की स्वीप आइकॉन नीतू चंद्रा? Bihar Election 2025: चुनावी रंग में रंगा बिहार, पटना पहुंचकर क्या बोलीं चुनाव आयोग की स्वीप आइकॉन नीतू चंद्रा? Aparajit Lohan : दुलारचंद हत्याकांड के बाद बदले गए नए ग्रामीण SP अपराजित कौन हैं ? इस खबर पढ़िए पटना के नए ग्रामीण एसपी की कहानी; आप भी जान जाएंगे क्या है काम करने का तरीका
                    
                            03-Nov-2025 04:22 PM
By First Bihar
Ayodhya Temple : अयोध्या में वह ऐतिहासिक क्षण अब बहुत करीब है जिसका इंतजार देशभर के करोड़ों लोगों ने पीढ़ियों तक किया है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने घोषणा की है कि मुख्य राम मंदिर और उसके परिसर में छह छोटे मंदिरों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। 25 नवंबर को शिखर पर ध्वज फहराने की परंपरा के साथ मंदिर को औपचारिक रूप से पूर्ण घोषित किया जाएगा। यह न केवल एक धार्मिक घटना है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक चेतना में एक नया अध्याय खोलने जा रही है।
निर्माण कार्य की पूर्णता और धार्मिक महत्व
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि मुख्य मंदिर के साथ-साथ शिव, गणेश, हनुमान, सूर्य, भगवती, अन्नपूर्णा और शेषावतार को समर्पित छह मंदिरों का निर्माण कार्य पूरा हो गया है। परिसर में झंडे के खंभे और कलश भी लगाए जा चुके हैं। सप्त मंडप, जो ऋषि वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य, निषादराज, शबरी और अहल्या को समर्पित हैं, अब बनकर तैयार हैं। इसके अतिरिक्त तुलसीदास मंदिर, ‘जटायु’ और ‘गिलहरी’ की मूर्तियों की स्थापना के साथ आगंतुकों के लिए आवश्यक सुविधाओं का निर्माण भी पूरा किया गया है।
एल एंड टी कंपनी द्वारा पत्थर की फर्श और सड़क निर्माण का कार्य किया गया है, जबकि जीएमआर समूह पंचवटी प्रोजेक्ट के तहत परिसर की हरियाली संभाल रहा है। बाकी जो कार्य बाकी हैं, जैसे चारदीवारी, गेस्ट हाउस और ट्रस्ट कार्यालय, वे आम जनता से सीधे जुड़े नहीं हैं।
25 नवंबर: ध्वज फहराने का ऐतिहासिक आयोजन
23 से 25 नवंबर तक तीन दिवसीय भव्य आयोजन की तैयारी चल रही है। संभावना है कि अंतिम दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर के शिखर पर ध्वज फहराएंगे। मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि अब तक 3,000 करोड़ रुपये से अधिक का दान प्राप्त हुआ है, जिसमें से 1,500 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। समारोह में लगभग 6,000 अतिथियों को आमंत्रित किया गया है, जिनमें वे लोग भी होंगे जिन्होंने 2022 के बाद मंदिर निर्माण में योगदान दिया।
ध्वज का वजन 11 किलो और चौड़ाई 22 फीट होगी, जबकि उसका खंभा 11 फीट ऊंचा होगा। सेना की सहायता से यह रस्म पूरी की जाएगी। ध्वज पर दो प्रतीक अंकित होंगे — कोविदारा का वृक्ष (अयोध्या राज्य का प्रतीक) और इक्ष्वाकु वंश का चिह्न (भगवान राम का वंश)।
समरसता का संदेश और सामाजिक आयाम
ट्रस्ट इस बार ‘समरसता’ की थीम पर विशेष ज़ोर दे रहा है। इसका उद्देश्य यह दिखाना है कि मंदिर आंदोलन केवल एक राजनीतिक परियोजना नहीं था, बल्कि यह समाज के सभी वर्गों की साझेदारी का प्रतीक है। चंपत राय ने कहा, “हम चाहते हैं कि यह आयोजन समाज के हर वर्ग की भागीदारी का उत्सव बने।”
2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष ने मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दौरान दलित समुदाय की भागीदारी को लेकर सवाल उठाए थे। अब इस आयोजन के माध्यम से ट्रस्ट और भाजपा उस कमी को भरने की कोशिश कर रहे हैं। यह एक ऐसा प्रयास है जिससे मंदिर केवल आस्था का नहीं, बल्कि सामाजिक एकता का प्रतीक भी बने।
अयोध्या का बदलता चेहरा – आस्था से अर्थव्यवस्था तक
राम मंदिर निर्माण के साथ अयोध्या एक धार्मिक नगर से आधुनिक पर्यटन नगरी में बदल रही है। एयरपोर्ट, नया रेलवे स्टेशन, चौड़ी सड़कें और होटल श्रृंखलाएं इसे उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा तीर्थ-पर्यटन केंद्र बना रही हैं। योगी आदित्यनाथ सरकार ने पिछले पांच वर्षों में लगभग 3000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाएं अयोध्या में लागू की हैं।
अयोध्या के वरिष्ठ शिक्षक वी. एन. अरोड़ा बताते हैं, “अब यह शहर सिर्फ़ भक्ति का केंद्र नहीं, बल्कि धार्मिक पर्यटन की राजधानी बन रहा है।” स्थानीय दुकानदार रामसेवक कहते हैं, “पहले सिर्फ़ मंदिर की चर्चा होती थी, अब रोज़गार और सुविधाओं की बात होती है।” हालांकि, स्थानीय लोगों के मन में यह सवाल भी है कि क्या यह विकास धार्मिक पर्यटन से आगे जाकर उनके जीवन स्तर में वास्तविक सुधार लाएगा?
राजनीतिक परिप्रेक्ष्य और भविष्य की दिशा
राम मंदिर लंबे समय से भारतीय राजनीति का केंद्र रहा है। 1990 के दशक में यह भाजपा और एनडीए की राजनीति का प्रमुख प्रतीक बना। आज जब मंदिर बनकर तैयार है, तो भाजपा के लिए यह केवल चुनावी नहीं, बल्कि वैचारिक पूंजी का स्रोत भी है। राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर संजय कुमार कहते हैं, “अब चुनौती यह होगी कि भाजपा इस प्रतीक को विकास, संस्कृति और राष्ट्रीय गौरव की कथा में कैसे पिरोती है।”
मंदिर का उद्घाटन योगी आदित्यनाथ सरकार और भाजपा के लिए 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले एक बड़ा नैरेटिव बन सकता है। यह सिर्फ़ धार्मिक नहीं, बल्कि “सांस्कृतिक पुनर्जागरण” और “सुशासन” की कहानी के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है।
नए युग की शुरुआत
राम जन्मभूमि का निर्माण कार्य पूर्ण होना भारत के इतिहास का एक निर्णायक क्षण है। यह केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि उस आंदोलन की परिणति है जिसने भारतीय समाज, राजनीति और संस्कृति को दशकों तक प्रभावित किया। अब जब अयोध्या का स्वरूप नया रूप ले चुका है, तो यह केवल श्रद्धा का स्थल नहीं, बल्कि भारत की एकता, समरसता और सांस्कृतिक आत्मगौरव का प्रतीक बनकर उभर रहा है।
अयोध्या में अब केवल एक मंदिर नहीं बन रहा — यहाँ एक नई चेतना जन्म ले रही है, जो आस्था, अर्थव्यवस्था और राजनीति के संगम से भारत के भविष्य की दिशा तय करेगी।