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Polachi Gangrape Case: फेसबुक फ्रेंडशिप से शुरू हुआ था मौत का खेल...6 साल बाद 9 आरोपियों को मिली उम्रकैद की सजा

Polachi Gangrape Case: 6 साल के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार पोलाची गैंगरेप केस में पीड़िताओं को न्याय मिल गया। CBI कोर्ट ने 9 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह मामला न केवल तमिलनाडु बल्कि पूरे भारत को हिला देने वाला था|

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13-May-2025 04:00 PM

By First Bihar

Polachi Gangrape Case: देश को झकझोर देने वाले पोलाची यौन उत्पीड़न मामले में मंगलवार को कोयंबटूर की विशेष महिला अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सभी नौ आरोपियों को दोषी करार दिया। अदालत ने उन्हें आपराधिक साजिश, यौन उत्पीड़न, बलात्कार, सामूहिक बलात्कार और जबरन वसूली जैसे संगीन अपराधों में उम्रकैद की सजा सुनाई।


यह मामला पहली बार 2019 में सामने आया था, जब एक 19 वर्षीय कॉलेज छात्रा ने चार युवकों पर कार में यौन उत्पीड़न और वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया। जांच में सामने आया कि यह एक संगठित यौन अपराध रैकेट था, जो 2013 से सक्रिय था। आरोपी फेसबुक और व्हाट्सऐप के माध्यम से महिलाओं को जाल में फंसाते, फिर उनका यौन उत्पीड़न कर वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करते थे। 


पीड़िता के भाई की सतर्कता और साहसिक कदम से यह रैकेट उजागर हुआ। उसके द्वारा जब्त किए गए मोबाइल में कई और महिलाओं के आपत्तिजनक वीडियो मिले, जिसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया। जांच में खुलासा हुआ कि इस रैकेट में करीब 275 महिलाओं को निशाना बनाया गया था।


बता दे कि राजनीतिक तूफान भी खड़ा हुआ, जब एक आरोपी का संबंध सत्तारूढ़ एआईएडीएमके पार्टी से निकला। विपक्षी डीएमके ने इस मामले को लेकर जोरदार विरोध किया। जांच में लापरवाही और पीड़िता की पहचान उजागर करने पर प्रशासन को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा। 


सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए पीड़िता का नाम तक सार्वजनिक कर दिया गया था। बाद में मामला सीबीआई को सौंपा गया, जिसने गहराई से जांच कर सभी नौ आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत जुटाए गए ,लिहाजा  सभी आरोपियों को सजा मिली ,बता दे कि इनमें मुख्य आरोपी सबरीराजन उर्फ रिश्वंत, थिरुनवुक्करसु, सतीश, वसंतकुमार, मणिवन्नन, बाबू, हारून पॉल, अरुलनंतम और अरुण कुमार शामिल हैं।


अदालत का यह फैसला न केवल पीड़िताओं को न्याय दिलाने की दिशा में एक मजबूत कदम है, बल्कि यह यौन अपराधियों के लिए भी एक सख्त संदेश है कि कानून से बच पाना नामुमकिन है। यह फैसला पीड़ित महिलाओं की बहादुरी और सामाजिक संघर्ष की जीत के रूप में भी देखा जा रहा है।