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24-Nov-2025 12:46 PM
By First Bihar
Success Story: भारत के न्यायिक इतिहास में एक और महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ गया है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत ने सोमवार को देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ले ली। राष्ट्रपति भवन में आयोजित सादे लेकिन गरिमामय समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। वे चीफ जस्टिस बी.आर. गवई के सेवानिवृत्त होने के बाद इस पद पर आए हैं।
यह नियुक्ति न केवल न्यायपालिका के लिए अहम है, बल्कि इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि आने वाले महीनों में सुप्रीम कोर्ट में कई ऐसे बड़े मुद्दों की सुनवाई होनी है, जिन पर जनता और सरकार की नजरें टिकी होंगी।
कार्यकाल कितना रहेगा?
मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस सूर्यकांत का कार्यकाल 24 नवंबर 2025 से 9 फरवरी 2027 तक रहेगा। नवंबर 2025 की शुरुआत में केंद्र सरकार के न्याय विभाग ने उनकी नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी थी। उनके कार्यकाल को लेकर उम्मीदें इसलिए भी अधिक हैं क्योंकि वे अपने स्पष्ट, संतुलित और सामाजिक संवेदनाओं से जुड़े फैसलों के लिए जाने जाते हैं।
हरियाणा में जन्म, मध्यम वर्गीय परिवार से उठकर शीर्ष तक का सफर
जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार जिले में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ। सामान्य पृष्ठभूमि से आने वाले सूर्यकांत ने अपने दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत के दम पर न्यायपालिका में अपना अलग मुकाम बनाया। उन्होंने कानून की पढ़ाई महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से की और बाद में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से 2011 में एलएलएम किया। वकालत की शुरुआत उन्होंने 1984 में हिसार जिला अदालत से की और बाद में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की।
कानूनी करियर की तेज प्रगति
उनका करियर बेहद तेजी से आगे बढ़ा और उन्होंने 2000 में सिर्फ 38 साल की उम्र में हरियाणा के एडवोकेट जनरल बने। उसके बाद 2001 उनकी विशेषज्ञता को देखते हुए बार काउंसिल ने उन्हें सीनियर एडवोकेट घोषित किया। 2004 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के न्यायाधीश बने। 2018 में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। 2019 में सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में पदोन्नत हुए। उनके नाम अब तक 300 से अधिक ऐतिहासिक फैसले दर्ज हैं, जो संविधान, प्रशासनिक सुधार, मूल अधिकारों और सामाजिक न्याय जैसे विषयों पर आधारित हैं।
संपत्ति कितनी है?
आधिकारिक रिकॉर्ड के मुताबिक, जस्टिस सूर्यकांत के नाम कोई निजी वाहन नहीं, लेकिन उनकी पत्नी के पास वैन-आर कार है। पूरे भारत में उनकी 6 आवासीय संपत्तियां और 2 कृषि/भूमि संपत्तियां हैं। साथ ही उनके पास चंडीगढ़ सेक्टर-10 में 1 कनाल का घर, न्यू चंडीगढ़, इको सिटी-II में 500 गज का प्लॉट, चंडीगढ़ सेक्टर-18सी में 192 गज का घर, पंचकुला के गोलपुरा गांव में 13.5 एकड़ कृषि भूमि, गुरुग्राम के सुशांत लोक-1 में 300 गज का प्लॉट, DLF-II में 250 गज का घर, दिल्ली के ग्रेटर कैलाश-I में 285 गज की संपत्ति (ग्राउंड फ्लोर + बेसमेंट), हिसार के पेटरवार में 12 एकड़ कृषि भूमि व पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी मिली है।
जस्टिस सूर्यकांत के कार्यकाल की शुरुआत ही कई बड़े संवैधानिक मामलों से होगी, जिसमें-
SIR विवाद- देशभर में SIR को लेकर विरोध जारी है। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। मुख्य न्यायाधीश के रूप में यह उनके सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में एक होगा।
वक्फ एक्ट- वक्फ संपत्तियों को लेकर चल रही कानूनी बहस भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और न्यायपालिका के लिए यह भविष्य में महत्वपूर्ण प्रभाव डालने वाला विषय होगा।
तलाक-ए-हसन- इस्लामी तलाक प्रथा “तलाक-ए-हसन” की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका भी अहम मुद्दा है। इसमें पति तीन महीने में तीन बार तलाक बोलकर विवाह समाप्त कर सकता है। इस संवेदनशील मसले पर न्यायालय का फैसला दूरगामी प्रभाव डाल सकता है।
दिल्ली-NCR प्रदूषण मामला- हर वर्ष की तरह इस बार भी वायु प्रदूषण पर सख्त कदमों पर नजरें सुप्रीम कोर्ट पर होंगी। जनता उम्मीद कर रही है कि उनका कार्यकाल इस दिशा में निर्णायक होगा।
आर्टिकल 370, बिहार SIR और AMU जैसे मामलों में निर्णायक भूमिका
जस्टिस सूर्यकांत उन बेंचों का हिस्सा रहे हैं जिन्होंने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के फैसले को बरकरार रखा। बिहार SIR मामले में वोटर लिस्ट से हटाए गए नामों की जानकारी सार्वजनिक करने का आदेश दिया। धारा 144, जनजातीय-अल्पसंख्यक अधिनियम, शराब नीति, और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत देने वाले मुकदमों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पेगासस जासूसी मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी
पेगासस स्पाइवेयर केस में सुनवाई के दौरान वे उस बेंच में शामिल थे जिसने कहा था कि “राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर सरकार को असीमित अधिकार नहीं दिए जा सकते।” यह टिप्पणी आज भी डिजिटल निजता और नागरिक अधिकारों पर बहस का आधार मानी जाती है।
न्यायपालिका में मजबूत और पारदर्शी नेतृत्व की उम्मीद
जस्टिस सूर्यकांत का सफर एक साधारण पृष्ठभूमि से निकलकर भारत के सर्वोच्च न्यायिक पद तक पहुंचने का प्रेरक उदाहरण है। उनके अब तक के फैसले बताते हैं कि वे संविधान की रक्षा, सामाजिक न्याय और नागरिक अधिकारों को सर्वोच्च प्राथमिकता देने वाले न्यायिक अधिकारी हैं। आने वाले 14 महीनों में कई बड़े संवैधानिक मुद्दों पर उनकी अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट का रुख तय होगा, जो देश के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।