Women's Day 2025: 4 सगी बहनें बनीं महिला सिपाही, पिता की मौत के बाद मां ने मजदूरी करके पढ़ाया court of contempt: पटना हाईकोर्ट ने दरभंगा DM को किया जवाब तलब, अवमानना का आरोप... Bihar Budget Session 2025: महुआ बाग और जेपी गंगा पथ खूब जाते हैं लालू, लेकिन मरीन ड्राइव पर नहीं ले पाये जमीन: नीरज कुमार Bihar Transfer Posting: राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने 6 अधिकारियों का किया ट्रांसफर, दी यह जिम्मेदारी,जानें... Bihar news: बैंक अकाउंट से आधार लिंक नहीं कराया तो जल्द करा लें, वरना हो सकता है बड़ा नुकसान Bihar Crime News : अपराध पर अंकुश लगाने को लेकर पुलिस का बड़ा कदम, बदमाशों की अब खैर नहीं Bihar news: विधानसभा चुनाव से पहले बिहार को एक और बड़ी सौगात, इस जिले में बनेगा ग्रीनफील्ड बाईपास सरकार बनी तो लागू करेंगे 100% डोमिसाइल नीति..तेजस्वी बोले-परीक्षा फीस भी माफ करेंगे सरकार बनी तो लागू करेंगे 100% डोमिसाइल नीति..तेजस्वी बोले-परीक्षा फीस भी माफ करेंगे Bihar politics:क्या कांग्रेस पार्टी बिहार में खोयी हई साख बचा पाने में सफल होगी ?
06-Mar-2025 10:07 AM
Bollywood News : हाल ही में हनी सिंह का एक गाना काफी ज्यादा वायरल हुआ था जिसका नाम ‘मैनिएक’ है, इसमें भोजपुरी लाइंस भी शामिल हैं, जो बेहद अश्लील हैं, जहां दीदी के देवर द्वारा चोली के पीछे कुछ तलाशने की बात की जा रही है. गाने के वायरल होने के पीछे का मुख्य कारण यही लाइनें हैं. अब इसी को लेकर अभिनेत्री नीतू चंद्रा ने हनी सिंह जैसों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
एक्ट्रेस ने पटना हाईकोर्ट में एक लोकहित याचिका दायर की है और कहा है कि जल्द से जल्द ऐसे गानों पर रोक लगाईं जाए एवं क़ानूनी कार्यवाई की जाए. ऐसे बोल के जरिए महिलाओं का चित्रण अश्लील ढंग से किया जाता है. जबकि ऐसी भाषाओँ के प्रयोग से समाज में अश्लीलता बढती है और इनके जरिए युवाओं की सोच को विकृत करने का काम हो रहा है, अतएव इस पर कार्यवाई बेहद जरुरी है.
अभिनेत्री चंद्रा की और से अधिवक्ता शशांक शेखर, शशि, आर्य अंचित इत्यादि ने अधिवक्ता निवेदिता निर्विकार की देखरेख में अर्जी दायर की और कहा है कि भोजपुरी गानों का उपयोग कर समाज के हर वर्ग के लोगों की मानसिकता को दूषित किया जा रहा है. गलत तरीके से महिलाओं का चित्रण किया जा रह है. जिन पर ठोस कदम उठाना बेहद आवश्यक हो गया है.
इस याचिका में यह भी कहा गया है कि संविधान के मुलभुत अधिकारों में अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का और बोलने का अधिकार जरुर है मगर इसकी भी एक सीमा होती है. कुछ लोग इस सीमा को कब का पार कर चुके हैं. ऐसे में इन पर कार्यवाई करने का प्रावधान है और अब समय आ गया है कि सख्ती से इस पर क़ानून लागू किया जाए. 7 मार्च पर इस याचिका पर सुनवाई की जा सकती है. देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में इस विषय पर क्या जरुरी कदम उठाए जाते हैं.