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20-Dec-2025 08:27 AM
By First Bihar
Bihar government land : बिहार में सरकारी जमीन की अवैध खरीद-बिक्री और निजी हस्तांतरण पर राज्य सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने सभी प्रमंडलीय आयुक्तों, जिलाधिकारियों (डीएम), अनुमंडल पदाधिकारियों (एसडीओ) और अंचल अधिकारियों (सीओ) को पत्र जारी कर स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सरकारी भूमि के किसी भी प्रकार के अवैध हस्तांतरण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए। साथ ही, भू-माफिया और इसमें संलिप्त सरकारी सेवकों के खिलाफ कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा गया है।
मुख्य सचिव ने अपने पत्र में साफ शब्दों में कहा है कि राज्य में हाल के वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें सरकारी भूमि का निजी व्यक्तियों के पक्ष में अवैध दाखिल-खारिज कर जमाबंदी सृजित की गई। यह कार्य कई स्थानों पर क्षेत्रीय राजस्व पदाधिकारियों की मिलीभगत से किया गया, जिससे भू-माफिया या प्रभावशाली व्यक्तियों को लाभ पहुंचाया गया। उन्होंने इसे न केवल पूरी तरह अनियमित बल्कि अनैतिक भी बताया है।
पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत सुयोग्य वासभूमिहीन परिवारों और व्यक्तियों को आवंटित सरकारी भूमि—जैसे गैर मजरूआ खास, गैर मजरूआ आम, भूमि सीलिंग की अधिशेष भूमि तथा बिहार विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्ति वासभूमि अभिघृति अधिनियम, 1947 के अंतर्गत दी गई जमीन—की भी अवैध खरीद-बिक्री और निजी हस्तांतरण के मामले सामने आए हैं। ऐसे मामलों में मूल उद्देश्य, यानी गरीब और जरूरतमंद परिवारों को स्थायी आवास उपलब्ध कराना, पूरी तरह से विफल हो रहा है।
दरअसल, हाल के दिनों में सरकार द्वारा सरकारी भूमि के अवैध हस्तांतरण से जुड़े मामलों की विस्तृत समीक्षा की गई थी। समीक्षा के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि नियमों और कानूनों की अनदेखी कर कई स्थानों पर सरकारी जमीन को निजी संपत्ति में बदल दिया गया है। इसके बाद राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया कि ऐसे सभी मामलों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं।
मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने अपने पत्र में पांच प्रमुख निर्देश जारी किए हैं, जिन्हें सभी जिला और अनुमंडल स्तर के अधिकारियों को अनिवार्य रूप से लागू करना होगा। पहला निर्देश यह है कि किसी भी प्रकार की सरकारी भूमि का हस्तांतरण या आवंटन किसी संस्था या व्यक्ति विशेष को बिना राज्य सरकार की पूर्व अनुमति के नहीं किया जाएगा। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी अधिकारी अपने स्तर पर मनमाना निर्णय न ले सके।
दूसरा निर्देश यह है कि मंत्रिपरिषद् के अनुमोदन के बाद ही सरकारी भूमि के हस्तांतरण से संबंधित आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। यानी अब कैबिनेट की मंजूरी के बिना किसी भी सरकारी जमीन का हस्तांतरण संभव नहीं होगा। तीसरे निर्देश के तहत यह व्यवस्था की गई है कि राजस्व पदाधिकारियों के स्तर पर विचाराधीन या लंबित मामलों में भू-हस्तांतरण तभी होगा, जब एक स्तर ऊपर के क्षेत्रीय पदाधिकारी, जिलाधिकारी या प्रमंडलीय आयुक्त से अनुमोदन प्राप्त हो।
चौथे निर्देश में यह स्पष्ट किया गया है कि उच्चतम न्यायालय के निर्णयों और पटना उच्च न्यायालय द्वारा पूर्व में जारी न्यायादेशों पर यह नई प्रक्रिया लागू नहीं होगी। यानी न्यायालय के आदेशों के अनुपालन में किए जाने वाले भूमि हस्तांतरण इस रोक से प्रभावित नहीं होंगे। पांचवें और महत्वपूर्ण निर्देश के तहत राज्य सरकार ने औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए लैंड बैंक सृजित करने का निर्णय लिया है। इसके लिए सभी जिलाधिकारी जिला स्तर पर लैंड बैंक पोर्टल तैयार करेंगे, ताकि औद्योगिक निवेश के लिए भूमि की सुलभ और पारदर्शी उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।
सरकार का मानना है कि इन सख्त निर्देशों से न केवल सरकारी भूमि की अवैध खरीद-बिक्री पर रोक लगेगी, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता भी बढ़ेगी। साथ ही, भू-माफिया पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित होगा और जरूरतमंद लोगों के अधिकारों की रक्षा हो सकेगी। मुख्य सचिव ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि कोई सरकारी सेवक अवैध भूमि हस्तांतरण में संलिप्त पाया गया, तो उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के साथ-साथ कानूनी कदम भी उठाए जाएंगे। इस फैसले को बिहार में भूमि सुधार और सुशासन की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है, जिससे सरकारी जमीन के संरक्षण के साथ-साथ राज्य के विकास कार्यों को भी मजबूती मिलने की उम्मीद है।