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21-Dec-2025 12:22 PM
By First Bihar
Bihar Crime News : एक फ़िल्मी डायलॉग आपको बहुत याद होगा जिसमें एक एक्टर यह कहता है कि- यह बिहार है बाबू यहां कब किसके साथ क्या हो जाए यह लिस्ट चित्रगुप्त और ब्रह्मा जी के पास भी नहीं है। अब कुछ इसी से जुड़ा एक मामला कटिहार से निकल कर सामने आ रहा है। जहां एक वर्दी वाले भाई साहब ने कुछ ऐसा खेल रचा की बड़े -बड़े महारथी भी चाय काम पानी अधिक हैं। तो आइए जानते हैं की पूरी कहानी क्या है ?
कटिहार जिले के कोढ़ा अनुमंडल अंतर्गत फलका थाना क्षेत्र के मोरसंडा गांव में उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब पुलिस बनकर अवैध वसूली करने पहुंचे चार युवक ग्रामीणों के गुस्से का शिकार हो गए। हैरान करने वाली बात यह रही कि इस पूरे मामले का मुख्य आरोपी कोई बाहरी अपराधी नहीं, बल्कि फलका थाना में अनुबंध पर तैनात वाहन चालक अमन कुमार निकला, जिसने छुट्टी के दिन कानून की वर्दी का डर दिखाकर वसूली करने की साजिश रची थी।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सफेद रंग की एक गाड़ी में सवार होकर अमन कुमार अपने तीन साथियों—छोटू कुमार, अमित कुमार यादव और ब्रजेश कुमार—के साथ मोरसंडा गांव पहुंचा। चारों ने खुद को पुलिसकर्मी बताया और गांव के किराना दुकानदार राहिल को निशाना बनाया। आरोप है कि युवकों ने दुकानदार पर कोडीन युक्त सिरप बेचने का झूठा आरोप लगाया, उसे गालियां दीं, डराया-धमकाया और जबरन गाड़ी में बैठाने की कोशिश की। उद्देश्य साफ था—डर का माहौल बनाकर पैसे की वसूली करना।
लेकिन कहते हैं न, “जुल्म जब हद से गुजरता है, तो आवाज़ बनता है।” दुकानदार राहिल की चीख-पुकार सुनकर आसपास के लोग इकट्ठा होने लगे। कुछ ही मिनटों में बड़ी संख्या में ग्रामीण मौके पर पहुंच गए। ग्रामीणों को जब यह शक हुआ कि ये युवक असली पुलिस नहीं हैं, तो उन्होंने गाड़ी को घेर लिया और पूछताछ शुरू की। बात बढ़ते-बढ़ते गुस्से में बदल गई और तीन आरोपी—अमन कुमार, छोटू कुमार और अमित कुमार यादव—ग्रामीणों के हत्थे चढ़ गए। आक्रोशित लोगों ने तीनों की जमकर पिटाई कर दी, जबकि चौथा आरोपी ब्रजेश कुमार मौके का फायदा उठाकर फरार हो गया।
घटना की सूचना मिलते ही फलका थाना प्रभारी रवि कुमार राय पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। हालांकि, ग्रामीणों का गुस्सा इतना अधिक था कि कुछ समय तक पुलिस वाहन को भी आगे बढ़ने नहीं दिया गया। हालात तनावपूर्ण बने रहे। बाद में कोढ़ा सर्किल इंस्पेक्टर उमेश कुमार के मौके पर पहुंचने और ग्रामीणों को समझाने-बुझाने के बाद स्थिति पर काबू पाया जा सका।
पुलिस ने भीड़ से तीनों आरोपियों को सुरक्षित बाहर निकाला और हिरासत में लेकर फलका थाना ले आई। प्रारंभिक पूछताछ में यह सामने आया कि मुख्य आरोपी अमन कुमार फलका थाना में अनुबंध पर वाहन चालक के पद पर कार्यरत है और उसने पुलिस से जुड़े होने का फायदा उठाकर यह फर्जीवाड़ा किया। मामले ने पुलिस महकमे की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
थाना प्रभारी रवि कुमार राय ने बताया कि पूरे मामले में संबंधित धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की जा रही है। फरार आरोपी ब्रजेश कुमार की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी की जा रही है। साथ ही, विभागीय स्तर पर भी यह जांच की जाएगी कि अमन कुमार ने अपने पद और पहचान का किस तरह दुरुपयोग किया।
इस घटना के बाद गांव में चर्चा का माहौल है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि अगर थाने से जुड़े लोग ही कानून का डर दिखाकर वसूली करेंगे, तो आम जनता किस पर भरोसा करेगी। ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस प्रशासन को ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि कानून की साख बनी रहे। और अंत में वही बड़ा सवाल—जब वर्दी का डर दिखाकर वसूली हो, तो जनता भरोसा किस पर करे? कानून पर… या कानून के नाम पर चल रहे खेल पर?