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Bihar Ethanol Plant : बिहार को मिला औद्योगिक तोहफा, इस जिले में लगेगा एशिया का सबसे बड़ा अनाज इथेनॉल प्लांट; इतने लोगों को मिलेगा सीधा फायदा

बिहार के जमुई जिले के चकाई प्रखंड के उरवा गांव में एशिया का सबसे बड़ा अनाज आधारित इथेनॉल प्लांट बन रहा है, जो अगस्त 2026 से शुरू होगा।

Bihar Ethanol Plant : बिहार को मिला औद्योगिक तोहफा, इस जिले में लगेगा एशिया का सबसे बड़ा अनाज इथेनॉल प्लांट; इतने लोगों को मिलेगा सीधा फायदा

15-Dec-2025 01:16 PM

By First Bihar

Bihar Ethanol Plant : बिहार के जमुई जिले के चकाई प्रखंड अंतर्गत उरवा गांव में एशिया का सबसे बड़ा अनाज आधारित इथेनॉल प्लांट बनकर लगभग तैयार है। करीब 4 हजार करोड़ रुपये की लागत से तैयार हो रहा यह मेगा प्रोजेक्ट अगस्त 2026 से व्यावसायिक रूप से शुरू होने जा रहा है। 105 एकड़ में फैले इस विशाल प्लांट के चालू होने से न केवल जमुई जिले बल्कि पूरे बिहार के औद्योगिक परिदृश्य में एक नया अध्याय जुड़ने वाला है। इस परियोजना से जिले के 10 हजार से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलने की उम्मीद है।


यह इथेनॉल प्लांट ग्रीन वेस्ट आधारित अनाज इथेनॉल परियोजना है, जिसे आधुनिक और पर्यावरण के अनुकूल तकनीक पर विकसित किया जा रहा है। प्लांट में प्रदूषण नियंत्रण और ऊर्जा दक्षता को विशेष प्राथमिकता दी गई है। इसी क्रम में यहां 20 मेगावाट क्षमता का को-जनरेशन पावर प्लांट भी स्थापित किया गया है, जिससे इथेनॉल प्लांट की बड़ी हिस्से की ऊर्जा जरूरतें यहीं से पूरी की जा सकेंगी। इससे न केवल उत्पादन लागत कम होगी, बल्कि पर्यावरण पर पड़ने वाला प्रभाव भी न्यूनतम रहेगा।


परियोजना प्रबंधन के अनुसार, इस प्लांट में प्रतिदिन करीब 30 हजार क्विंटल अनाज की खपत होगी। इसके जरिए प्रतिदिन लगभग 7.5 लाख लीटर इथेनॉल का उत्पादन किया जाएगा। खास बात यह है कि अनाज की खरीद में सबसे पहले जमुई जिले और आसपास के क्षेत्रों के किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी। इससे स्थानीय किसानों के लिए एक बड़ा और स्थायी बाजार उपलब्ध होगा, जिससे उनकी आय में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होने की संभावना है।  


रोजगार के लिहाज से भी यह परियोजना जमुई जिले के लिए मील का पत्थर साबित होने वाली है। प्लांट मैनेजर कमलाकांत दान ने बताया कि मार्च-अप्रैल 2026 से बड़े पैमाने पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसमें सबसे पहले जमुई और आसपास के इलाकों के स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। तकनीकी और गैर-तकनीकी दोनों तरह के पदों पर नियुक्तियां होंगी। इसके बाद आवश्यकता के अनुसार अन्य जिलों और राज्यों से भी कुशल श्रमिकों और तकनीकी विशेषज्ञों की बहाली की जाएगी। फिलहाल प्लांट निर्माण और प्रारंभिक संचालन से जुड़े लगभग 300 कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें बड़ी संख्या स्थानीय लोगों की है।


यह परियोजना राष्ट्रीय स्तर पर भी काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। केंद्र सरकार की इथेनॉल ब्लेंडिंग नीति के तहत पेट्रोल में इथेनॉल की हिस्सेदारी बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे में बिहार में इतने बड़े अनाज आधारित इथेनॉल प्लांट का स्थापित होना राज्य को इथेनॉल उत्पादन के राष्ट्रीय मानचित्र पर मजबूत स्थिति दिलाएगा। इससे आयात पर निर्भरता कम होगी और देश की ऊर्जा सुरक्षा को भी बल मिलेगा।


स्थानीय लोगों में इस परियोजना को लेकर काफी उत्साह है। ग्रामीणों का मानना है कि इससे इलाके में पलायन की समस्या कम होगी और युवाओं को अपने ही जिले में रोजगार के बेहतर अवसर मिलेंगे। किसानों को भी उम्मीद है कि अनाज की बढ़ती मांग से उन्हें स्थिर और लाभकारी कीमतें मिलेंगी।


कुल मिलाकर, उरवा गांव में बन रहा यह इथेनॉल प्लांट जमुई जिले के लिए केवल एक औद्योगिक इकाई नहीं, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और विकासात्मक बदलाव का प्रतीक बनने जा रहा है। अगस्त 2026 में इसके शुरू होने के साथ ही चकाई और आसपास का क्षेत्र बिहार के नए औद्योगिक केंद्र के रूप में उभरता नजर आएगा।