Bihar Election 2025: पहले चरण में बाहुबलियों के साथ दिग्गजों के भी किस्मत का होगा फैसला, जानिए कितने प्रत्याशी मैदान में Bihar Election 2025: कुछ ने मैदान छोड़ा, तो कुछ ने बढ़ाई सियासी गर्मी; पहले चरण के अखाड़े में 121 सीटों पर इतने उम्मीदवार आजमाएंगे अपनी किस्मत केंद्र सरकार ने गैलेंट्री अवॉर्ड्स का किया ऐलान, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में बहादुरी दिखाने वाले सैनिकों को मिला वीर चक्र सम्मान कैमूर में आपसी विवाद में चली चाकू, 15 वर्षीय किशोर की इलाज के दौरान मौत बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. श्रीकृष्ण सिंह की जयंती: युवा चेतना के राष्ट्रीय संयोजक बोले..‘श्रीबाबू में थी प्रधानमंत्री बनने की क्षमता’ कटिहार की सियासत में बड़ा उलटफेर: 30 साल बाद राजद से छिनी परंपरागत सीट, अब वीआईपी के खाते में Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में EC की सख्ती का असर, अबतक 71 करोड़ रुपये से अधिक कैश, शराब और ड्रग्स जब्त Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में EC की सख्ती का असर, अबतक 71 करोड़ रुपये से अधिक कैश, शराब और ड्रग्स जब्त आरा में दर्दनाक सड़क हादसा: स्कॉर्पियो और बाइक की टक्कर में दो दोस्तों की मौके पर मौत जमुई विधानसभा चुनाव से पहले पुलिस की बड़ी कार्रवाई: AK-47 का मैगजीन और दो जिंदा कारतूस बरामद
18-Feb-2025 07:57 AM
By First Bihar
महाकुंभ में शामिल होने के लिए देशभर से लाखों श्रद्धालु उत्तर प्रदेश के प्रयागराज पहुंच रहे हैं, लेकिन बिहार के सात युवकों ने वहां जाने के लिए ऐसा तरीका अपनाया, जिसने सभी को हैरान कर दिया। बक्सर जिले के कम्हरिया गांव के इन युवकों ने ट्रेनों और सड़कों की भीड़ से बचने के लिए मोटर बोट का सहारा लिया और गंगा नदी के रास्ते 550 किलोमीटर का सफर पूरा कर प्रयागराज पहुंचे। इनका यह अनोखा सफर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है।
मनु चौधरी, सुमंत, संदीप, सुखदेव, आदू, रवींद्र और रमेश नाम के इन सात दोस्तों ने प्रयागराज जाने की योजना बनाई, लेकिन इन्हें डर था कि ट्रेन और सड़क पर भारी भीड़ और जाम की समस्या हो सकती है। तभी इनके दिमाग में एक नया विचार आया- नाव से यात्रा की जाए! सभी ने इस विचार को स्वीकार कर लिया और तुरंत इसकी तैयारी शुरू कर दी।
11 फरवरी को इन दोस्तों ने अपनी यात्रा शुरू की और 13 फरवरी को प्रयागराज के संगम तट पर पहुंचकर डुबकी लगाई। इसके बाद 16 फरवरी की रात 10 बजे तक ये सकुशल अपने घर लौट आए।
मनु चौधरी ने बताया कि यह फैसला जल्दबाजी में नहीं लिया गया। सभी ने पहले पूरी प्लानिंग की ताकि रास्ते में कोई दिक्कत न हो। सबसे पहले एक मजबूत नाव चुनी गई, जिसमें दो मोटर लगाई गई। ऐसा इसलिए किया गया ताकि अगर एक मोटर खराब हो जाए तो दूसरी चलती रहे। इसके अलावा नाव पर गैस चूल्हा, सिलेंडर, राशन, पानी और अन्य जरूरी सामान भी रखा गया।
सुमंत ने बताया कि रास्ते में उन्होंने गूगल मैप का इस्तेमाल किया, जिससे सही दिशा में यात्रा करना आसान हो गया। रात में वे सुरक्षित रास्ता अपनाकर आगे बढ़ते रहे। इस दौरान दो लोग नाव चलाते थे, जबकि बाकी लोग आराम करते थे। उन्होंने 20 लीटर पेट्रोल, सब्जी, आटा, चावल और बिस्तर की पूरी तैयारी कर रखी थी, लेकिन फोन के लिए पावर बैंक ले जाना भूल गए, जिससे कई बार नेटवर्क से कटते रहे। मनु ने हंसते हुए कहा, "महाकुंभ के लिए सब कुछ तैयार था, लेकिन फोन चार्ज करने का जुगाड़ करना भूल गए."
संदीप ने बताया कि गंगा नदी में यात्रा करना आसान काम नहीं है। अगर कोई पेशेवर नाविक नहीं है, तो उसे ऐसी यात्रा से बचना चाहिए। उन्होंने बताया कि वे सभी तैरना जानते थे और सुरक्षा का पूरा ध्यान रखते थे। चूंकि लगातार चलने से मोटर गर्म हो जाती थी, इसलिए उसे हर 5-7 किलोमीटर पर बंद करके ठंडा किया जाता था और नाव को हाथ से चलाया जाता था।
जब सुमंत से पूछा गया कि इस अनोखी यात्रा पर उनका कितना खर्च हुआ, तो उन्होंने बताया कि नाव, पेट्रोल, खाने-पीने का खर्च करीब 20,000 रुपये था। लेकिन बदले में उन्हें एक रोमांचकारी यात्रा का अनुभव मिला, जिसे वे जीवन भर नहीं भूल पाएंगे।