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Pausha Putrada Ekadashi 2025: हर साल पौष माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन पौष पुत्रदा एकादशी का पर्व मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित होता है। इस दिन भक्तगण लक्ष्मी नारायण जी की पूजा भावपूर्वक करते हैं और एकादशी का व्रत रखते हैं। इस पर्व का महत्व सनातन शास्त्रों में अत्यधिक वर्णित किया गया है। कहा जाता है कि पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से जीवन के बड़े से बड़े संकट टल जाते हैं और जीवन में सुख-शांति का वास होता है।
इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है और भक्तगण विधिपूर्वक पूजा करते हुए मां लक्ष्मी के नामों का जप करते हैं। इन नामों के जप से पुण्य की प्राप्ति होती है और भक्तों को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। पौष पुत्रदा एकादशी के दिन मां लक्ष्मी के 108 नामों का मंत्र जपने का विशेष महत्व है, जिन्हें भक्तगण श्रद्धा भाव से जपते हैं।
मां लक्ष्मी के 108 नाम
इन नामों में से कुछ प्रमुख नाम निम्नलिखित हैं:
ॐ नित्यागतायै नमः
ॐ अनन्तनित्यायै नमः
ॐ महालक्ष्म्यै नमः
ॐ महाकाल्यै नमः
ॐ भगवत्यै नमः
ॐ दुर्गायै नमः
ॐ श्री लक्ष्मी नारायणायै नमः
ॐ विघ्ननाशिन्यै नमः
ॐ चन्द्ररूपिण्यै नमः
ॐ त्रैलोक्यजनन्यै नमः
इन नामों का जप करने से मां लक्ष्मी के आशीर्वाद से भक्तों का जीवन समृद्धि और सुखमय होता है।
पौष पुत्रदा एकादशी के दिन का महत्व
इस दिन को विशेष रूप से संतान सुख की प्राप्ति के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। यदि कोई संतान सुख के लिए प्रार्थना करता है, तो इस दिन विधिपूर्वक व्रत और पूजा करने से उसके आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं।
पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत और पूजा विधि
इस दिन भक्तगण सूर्योदय से पूर्व उबटन करके स्नान करते हैं और दिनभर उपवासी रहते हुए एकादशी का व्रत रखते हैं। वे पूजा के दौरान भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की मूर्तियों को स्नान कराकर उन्हें सुगंधित फूलों, दीपकों और प्रसाद से अर्पित करते हैं। व्रत के समय 108 नामों का जप करने से व्रति का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है।
समाप्ति
पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए एक आदर्श समय है। इस दिन पूजा और व्रत करने से न केवल जीवन में खुशहाली आती है, बल्कि सभी प्रकार के संकटों का निवारण भी होता है।