BIHAR: अश्विनी हत्याकांड का मुख्य आरोपी गिरफ्तार, घटना के दो महीने बाद पुलिस ने दबोचा बेगूसराय में बाढ़ का कहर: 12 घंटे में 7 की मौत, प्रशासन पर लापरवाही का आरोप BIHAR: गंगा नदी में 100 KM बहकर बचा शख्स, बेंगलुरु से आने के बाद पटना में लगाई थी छलांग Bihar News: बिहार में पानी में डूबने से दो सगी बहनों की मौत, छोटी सी गलती और चली गई जान Bihar Crime News: बिहार में एक धुर जमीन के लिए हत्या, चचेरे भाई ने लाठी-डंडे से पीट-पीटकर ले ली युवक की जान Bihar Crime News: बिहार में एक धुर जमीन के लिए हत्या, चचेरे भाई ने लाठी-डंडे से पीट-पीटकर ले ली युवक की जान Bihar News: बिहार में दर्दनाक सड़क हादसे में देवर-भाभी की मौत, मायके से लौटने के दौरान तेज रफ्तार वाहन ने रौंदा Bihar News: बिहार में दर्दनाक सड़क हादसे में देवर-भाभी की मौत, मायके से लौटने के दौरान तेज रफ्तार वाहन ने रौंदा Bihar News: पुनौरा धाम को देश के प्रमुख शहरों से जोड़ने की कवायद शुरू, सड़क, रेल और हवाई मार्ग से होगी कनेक्टिविटी Bihar News: पुनौरा धाम को देश के प्रमुख शहरों से जोड़ने की कवायद शुरू, सड़क, रेल और हवाई मार्ग से होगी कनेक्टिविटी
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 16 Jan 2025 08:48:09 AM IST
Sanatan Dharma - फ़ोटो Sanatan Dharma
Sanatan Dharma: महाकुंभ मेला भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का एक अभिन्न हिस्सा है, जो हर बारह वर्षों में आयोजित होता है। यह सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि जीवन के गहरे आंतरिक अर्थ को उद्घाटित करने वाली एक यात्रा है। महाकुंभ मेला न केवल सनातन धर्म की जड़ों को मजबूत करता है, बल्कि यह एक ऐसी आध्यात्मिक प्रक्रिया है जो आत्म-साक्षात्कार, शुद्धीकरण और आध्यात्मिक ज्ञान की खोज के प्रतीक के रूप में कार्य करता है। यह समागम न केवल लाखों श्रद्धालुओं को एकजुट करता है, बल्कि भारतीय संस्कृति की गहरी धरोहर और विश्वासों को पुनः जागृत करता है।
महाकुंभ मेला का महत्व और इतिहास
महाकुंभ मेला भारत में प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक जैसे प्रमुख तीर्थस्थलों पर आयोजित होता है, जहां नदियों के संगम स्थल पर श्रद्धालु स्नान करते हैं और अपने पापों का नाश करने का विश्वास रखते हैं। इस मेले में लाखों लोग एकत्रित होते हैं, जिनमें साधु-संत, अघोरी, नागा साधु और संन्यासी शामिल होते हैं। यह आयोजन भारत की सांस्कृतिक विविधता और सनातन धर्म की विशालता का प्रतीक है। महाकुंभ मेला मानव अस्तित्व और आध्यात्मिक उन्नति की एक यात्रा के रूप में भी देखा जाता है, जो जीवन के संघर्षों के बीच से अमृत की प्राप्ति की उम्मीद दिलाता है। 2025 में महाकुंभ मेला 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलेगा। इस दौरान विशेष स्नान पर्व होते हैं, जिनमें लाखों लोग भाग लेते हैं और अपना आत्मिक शुद्धिकरण करते हैं।
अनिरुद्ध आचार्य महाराज के विचार
महाकुंभ मेला पर हाल ही में एबीपी लाइव के 'धर्म प्रवाह' कार्यक्रम में विशेष पेशकश की गई, जिसमें देश के प्रसिद्ध संतों ने अपने विचार व्यक्त किए। इनमें से एक प्रमुख विचारक अनिरुद्ध आचार्य महाराज थे, जिन्होंने महाकुंभ मेला के महत्व को गहराई से समझाया।
उन्होंने महाकुंभ को संघर्ष और प्रेरणा का प्रतीक बताया। उनके अनुसार, जैसे समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और राक्षसों के बीच संघर्ष हुआ था, उसी तरह जीवन में आने वाली कठिनाइयों से गुजरने के बाद ही अमृत मिलता है। यह बात महाकुंभ मेला के आयोजन को और भी विशेष बनाती है, क्योंकि यह जीवन में आने वाली समस्याओं का समाधान खोजने का प्रतीक है। अनिरुद्ध आचार्य ने मुस्लिम समुदाय के महाकुंभ मेला में प्रवेश पर भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि प्रयागराज में वही लोग आएं, जो गंगा और संतों में आस्था रखते हों। धर्म का पालन करने से व्यक्ति हमेशा सुरक्षित रहता है और जीवन में किसी भी प्रकार की समस्या का समाधान मिलता है।
हिंदू संस्कृति और गोबर का महत्व
अनिरुद्ध आचार्य महाराज ने हिंदू संस्कृति में गोबर से नहाने की परंपरा पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भागवत जी के 9वें स्कंध में यह उल्लेख मिलता है कि भरत जी ने 14 साल तक गौमूत्र में दलिया और जौ पकाकर खाया। यह परंपरा आज भी जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का माध्यम मानी जाती है। उन्होंने युवाओं से भी अपील की कि वे धर्म से जुड़ें और अपने जीवन को आध्यात्मिक दृष्टि से सही दिशा में मार्गदर्शित करें। बड़ों और संतों का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि यही जीवन के वास्तविक उद्देश्य की प्राप्ति का मार्ग है।
अनिरुद्ध आचार्य जी महाराज की पहचान
अनिरुद्ध आचार्य जी महाराज का जन्म 27 सितंबर 1989 को मध्यप्रदेश के दमोह जिले के रिंवझा गांव में हुआ था। बचपन से ही उनका झुकाव धर्म और अध्यात्म की ओर था। वे सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय रहते हैं और युवाओं को धर्म, संस्कार और जीवन के सही मार्ग के बारे में शिक्षा देते हैं। उनकी शिक्षाएं और विचार लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं।
महाकुंभ मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की जड़ों से जुड़ने और आध्यात्मिक उन्नति की ओर बढ़ने की यात्रा है। इस आयोजन के माध्यम से हम अपने जीवन के संघर्षों को समझ सकते हैं और उन्हें पार कर जीवन में शांति और समृद्धि पा सकते हैं। महाकुंभ मेला हमें यह सिखाता है कि किसी भी संकट या परेशानी का समाधान केवल धर्म और आस्था के मार्ग से ही संभव है।